जलजीवन मिशन के घोटाले की हो रही लोकायुक्त जांच, अफसर बेफिक्रस्वास्थ्य विभाग और पशुपालन विभाग में भी आरोपी अफसरों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहींनीरज श्रीवास्तव लखनऊ, नवसत्ताः उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जहां एक ओर भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जीरो टालरेंस का दावा कर रही है वहीं दूसरी ओर कुछ जुगाड़ू अफसरों के कारण सरकार की छवि का धक्का लग रहा है. यहां तक कि भ्रष्टाचार की जांच में फंसे कई अफसरों के हाथ में विभागों की बागडोर है और उनके कारनामों से आम जनता को तो छोड़ि़ये विभाग के मंत्री तक उपेक्षित महसूस कर रहे हैं. ऐसे ही एक मामले में आज जलशक्ति राज्यमंत्री के इस्तीफे ने प्रदेश में सियासी भूचाल ला दिया है. विपक्ष जहां इस मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथों ले रहा है वहीं सरकार ने स्पष्ट किया है कि कहीं कोई गड़बड़ी नहीं है विपक्ष बेवजह तिल का ताड़ बना रहा है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ईमानदार छवि पर किसी को संदेह नहीं है परन्तु उनके मातहत सरकार को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. आलम यह है कि सरकार-2 के सौ दिन बीतते बीतते कई मंत्री बेलगाम अफसरों के कारनामों से नाराज बताये जा रहे हैं. आज जलजीवन मिशन के राज्यमंत्री के इस्तीफे से साफ हो गया है कि सरकार में सबकुछ सामान्य नहीं चल रहा है. अफसरों के कारनामे से मंत्री की नाराजगी का यह कोई पहला मामला नहीं है. अभी कुछ दिन पूर्व ही उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने अपने स्वास्थ्य विभाग में हुए तबादलों में अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद की भूमिका को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था। मुख्यमंत्री ने इस मामले में जांच कमेटी भी गठित की थी जिसने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है परन्तु अभी तक लम्बे समय से स्वास्थ्य विभाग में जमे अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद या उनके मातहतों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। लोकनिर्माण मंत्री जितिन प्रसाद भी खुश नहींलोकनिर्माण विभाग में तबादलों में हुए भ्रष्टाचार पर सख्त रूख अपनाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंत्री के ओएसडी अनिल पांडेय को हटाए जाने के बाद मंगलवार को विभाग अध्यक्ष मनोज गुप्ता और प्रमुख अभियंता नियोजन एवं प्रकल्प राकेश सक्सेना व वरिष्ठ स्टाफ ऑफिसर शैलेंद्र यादव समेत पांच आरोपियों को निलंबित कर दिया. रोचक बात यह है कि इस पूरे प्रकरण में विभाग के प्रमुख सचिव नरेन्द्र भूषण साफ बचते नजर आ रहे हैं. नरेन्द्र भूषण कितने जुगाड़ू हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ग्रेटर नोएडा में सीईओ के पद पर तैनाती के दौरान उन पर 300 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगा है. इसकी शिकायत पीएम और सीएम पोर्टल पर होने के बाद भ्रष्टाचार दूर करने की मंशा पर काम कर रही योगी सरकार ने मामले की जांच भी करा रही है. इस बीच आज एक बयान जारी कर लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद दे नाराजगी इंकार करते हुए कहा है कि तबादलों में भ्रष्टाचार हुआ है तो कार्रवाई तो होगी ही. पशुपालन विभाग में भी 50 करोड़ रुपये के घोटाले की हो रही जांचप्रदेश के पशुपालन विभाग में 50 करोड़ रुपये के घोटाले का नया मामला सामने आने के बाद इसकी जांच कराई जा रही है. पशुपालन विभाग में पशुओं के लिए दवाएं, सीरिंज और इक्विपमेंट की खरीद की गई थी. आरोप लगा कि खरीदी गई ये दवाएं घटिया क्विलिटी की थीं. अधिकारियों पर आरोप है कि 50 हजार के कोल्ड बॉक्स 1 लाख 27 हजार में खरीदे गए हैं. एन-95 मास्क भी मार्केट की कीमत से तीन गुना ज्यादा रेट पर लिए गए। इस तरह बजट के 65 करोड़ रुपए सिर्फ 4 महीने में ही खर्च कर दिए गए. इस विभाग के अपर मुख्य सचिव डा रजनीश दुबे को विभाग के मंत्री धर्मपाल सिंह ने उक सप्ताह पूर्व जांच सौंपते हुए तीन दिन के भीतर रिपोर्ट तलब की थी परन्तु अभी तक जांच रिपोर्ट में क्या हुआ इसका खुलासा नहीं हुआ है. इन मामलों के सामने आने के बाद विपक्ष सरकार पर हमलावर हैै. बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने ट्वीट कर लिखा कि उत्तर प्रदेश भाजपा मंत्रिमण्डल के भीतर भी दलित मंत्री की उपेक्षा अति-निन्दनीय व दुर्भाग्यपूर्ण। ऐसी खबरें राष्ट्रीय चर्चाओं में हैं. सरकार अपनी जातिवादी मानसिकता व दलितों के प्रति उपेक्षा, तिरस्कार, शोषण व अन्याय को त्याग कर उनकी सुरक्षा व सम्मान का ध्यान रखने का दायित्व निभाए. इससे पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि जहां मंत्री होने का सम्मान तो नहीं परंतु दलित होने का अपमान मिले, ऐसी भेदभावपूर्ण भाजपा सरकार से त्यागपत्र देना ही अपने समाज का मान रखने के लिए यथोचित उपाय है। साथ ही लिखा कि कभी-कभी बुलडोजर उल्टा भी चलता है. उधर डैमेज कंट्रोल में जुटी सरकार की ओर से भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा है उनकी जल शक्ति विभाग के राज्य मंत्री दिनेश खटीक से रोजाना बातचीत होती रहती है, वह नाराज नहीं हैं. उन्होंने इस बात को स्वीकार किया है और अगर कोई बात होगी भी तो बैठकर सुलझा लिया जाएगा. अखिलेश यादव के पास कोई मुद्दा नहीं है, वह इसे बेवजह तिल का ताड़ बना रहा है. क्या है राज्यमंत्री के इस्तीफे की वायरल चिठ्ठी मेंयोगी सरकार के जल शक्ति राज्य मंत्री दिनेश खटीक की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखी इस्तीफे की जो चिट्ठी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है इस चिट्ठी में तबादलों और नमामि गंगे योजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है. कथित इस्तीफे की इस चिट्ठी में दिनेश खटीक ने लिखा है- इस विभाग में स्थानांतरण सत्र में बहुत बड़ा भ्रष्टाचार किया गया है. नामामि गंगे योजना के अंदर भी बहुत बड़ा भ्रष्टाचार फैला हुआ है जो ग्राउण्ड पर जाने पर पता चलता है लेकिन जब मैं कोई शिकायत किसी भी अधिकारी के विरूद्ध करता हूं तो उस पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। चाहें तो इसकी किसी भी एजेंसी से जांच कराई जा सकती है. बता दें कि दिनेश खटीक के कथित इस्तीफे की चर्चा को लेकर लखनऊ के राजनीतिक गलियारों में सुबह से हलचल मची हुई है. हालांकि न तो दिनेश खटीक न ही सरकार की ओर से किसी ने अभी तक इस इस्तीफे की पुष्टि की है. मेरठ के गंगानगर स्थित आवास पर मीडिया के सामने आए दिनेश खटीक ने सिर्फ इतना कहा कि कोई विषय नहीं है. यही नहीं दिनेश खटीक ने विभाग में स्थानांतरण और नमामि गंगे योजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का भी आरोप लगाया है. दिनेश खटीक ने लिखा है-इस विभाग में स्थानांतरण सत्र में बहुत बड़ा भ्रष्टाचार किया गया है. उन्होंने लिखा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टारलेंस नीति को ध्यान में रखते हुये मेरे संज्ञान में आने पर इस विभाग में स्थानांतरण सत्र 2022-23 में किये गये अधिकारियों के स्थानांतरण से सम्बंधित सूचना मैंने लिखित रूप से मांगी लेकिन आज तक मुझे सूचना नहीं दी गई. कई दिनों के बाद मैंने विभागाध्यक्ष से फोन पर बात करके सूचना के लिए कहा तब भी उन्होंने आज तक सूचना उपलब्ध नहीं कराई है. मैंने प्रमुख सचिव सिंचाई अनिल गर्ग को उक्त स्थिति से अवगत कराना चाहा तो उन्होंने बिना मेरी पूरी बात सुन ही टेलीफोन काट दिया. उन्होंने भी मेरी बात को अनुसना कर दिया जो एक जनप्रतिनिधि का बहुत बड़ा अपमान है.
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