फैमिली फार्मिंग अपनाओ, छुट्टा पशुओं से निजात पाओ
संजय श्रीवास्तव
लखनऊ,नवसत्ता: आखिर खेती-किसानी को लेकर सार्थक चर्चा क्यों नहीं, जब फैमिली प्लानिंग अंजाम तक पहुंच सकती है तो फिर फैमिली फार्मिंग को आगे बढ़ाने में क्या दिक्कत. ‘एक गाय एक किसान’ के लक्ष्य को साधते हुए अगर जीवामृत आधारित जैविक या यूं कहें कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाए तो गोबर और गोमूत्र के वृहद संकलन के लिए गांवों में समस्या बने छुट्टा पशुओं को भी लोग बाड़े में रखने लगेंगे, इससे ना सिर्फ उनकी समस्या खत्म हो जाएगी, बल्कि लोगों के बीच उनकी उपयोगिता भी बढ़ जाएगी. गांवों में फार्मर प्रोडक्टिव कंपनियां बनेंगी और किसान उपभोक्ता से सीधे जुड़ेंगे.
इस खेती से ना सिर्फ लोगों को कम लागत में शुद्ध और स्वास्थ्यप्रद अनाज सब्जी फल मिलेगा बल्कि रोजगार के नए-नए अवसर भी बढ़ेंगे और वो भी बिना किसी सरकारी प्रयास के,
नवसत्ता के साथ फैमिली फार्मिंग पर विस्तार से चर्चा की, किसान समृद्धि विद्यापीठ अम्बावाय झांसी के फाउंडर श्याम बिहारी गुप्ता और मुरादाबाद की आईएफटीएम विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर और जीवामृत पर शोध कर रहे डॉक्टर हिमांशु त्रिवेदी ने……