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फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जनांदोलन की आवश्यकता

स्वास्थ्य विभाग व बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की अन्तर्राष्ट्रीय टीम ने फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम से सम्बंधित गतिविधियों का क्षेत्र में जाकर अवलोकन किया

लखनऊ,नवसत्ता: फाइलेरिया या हाथीपांव रोग सार्वजनिक स्वास्थ्य की गंभीर समस्या है. यह रोग मच्छर के काटने से फैलता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार फाइलेरिया, दुनिया भर में दीर्घकालिक विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है. किसी भी आयु वर्ग में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है.

फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे; हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक बहिष्कार का बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है. प्रदेश सरकार इस बीमारी के पूर्ण उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है और फाइलेरिया से प्रभावित जनपदों में रणनीति बनाकर कार्य कर रही है.

फाइलेरिया उन्मूलन की दिशा में प्रदेश सरकार और सहयोगी संस्थाओं द्वारा किये जा रहे प्रयासों और गतिविधियों के अवलोकन के लिए स्वास्थ्य विभाग एवं बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) बीएमजीएम के अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने सहयोगी संस्थाओं के साथ मिलकर प्रदेश के रायबरेली, कौशाम्बी, कानपुर और फतेहपुर जनपदों के विभिन्न शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण किया.

प्रदेश के संयुक्त निदेशक फाइलेरिया एवं कालाजार डा. वी. पी. सिंह ने क्षेत्र भ्रमण के दौरान दवाओं की उपलब्धता, फैमिली रजिस्टर में भरा गया विवरण, कार्यक्रम के दौरान लगाई गयी टीमों और माइक्रो प्लान का विशेष रूप से निरीक्षण किया. उन्होंने क्षेत्र में उपस्थित स्वास्थ्य अधिकारियों को ये भी निर्देश दिए कि लिम्फेडेमा के मरीजों के प्रबंधन और हाइड्रोसील के मरीजों की सर्जरी को सुनियोजित तरीके से सुनिश्चित किया जाये.

जनपद रायबरेली के शहरी क्षेत्र निरालानगर और ग्रामीण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) हरचंदपुर के डिघौरा व सराय उमर गाँव के बथुआ खास गाँव और डलमऊ पूरे भागू गाँव के भ्रमण के दौरान टीम ने फाइलेरिया मरीजों के घर जाकर उनसे बातचीत कर उनकी चुनौतियों को भी समझा. इसके अलावा अभियान के दौरान जिन लोगों ने फाइलेरिया से बचाव की दवा खाने से मना किया था उन लोगों से मिलकर उन्हें दवा खिलाने के लिए प्रेरित किया किया और अपने सामने दवा भी खिलाई.

इस अवसर पर बीएमजीएफ की संक्रामक रोग कार्यक्रम की डिप्टी डायरेक्टर डॉ. कायला लार्सन ने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन के लिए अभी हाल ही में चलाये गए सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम के आईडीए राउंड के दौरान स्वास्थ्य विभाग के साथ ही फ्रंटलाइन वर्कर की भूमिका अत्यंत सराहनीय रही है.

उन्होंने कहा कि इस दिशा में ग्रामीण क्षेत्रों में जिस तरह से बेहतरीन कार्य हुआ है, वैसा ही प्रयास शहरी क्षेत्रों में भी करने की जरूरत है. उन्होंने इसके लिए अलग से रणनीति बनाने पर भी विचार करने को कहा ताकि फाइलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य को शीघ्र प्राप्त किया जा सके.

इसी क्रम में, टीम ने जनपद कौशाम्बी के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य इकाइयों के भ्रमण के दौरान सुझाव दिया कि आईडीए राउंड के दौरान दवा का सेवन न करने वालों की सूची बनाकर उनको विशेष तौर पर फाइलेरिया रोधी दवाएं खाने के लिए प्रेरित किया जाये और उन्हें दवाएं खिलाना सुनिश्चित किया जाये.

बीएमजीएफ के नेगलेक्टेड ट्रापिकल डिजीज (एनटीडी) उन्मूलन कार्यक्रम के कंट्री लीड डॉ. भूपेन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि दवा सेवन न करने वालों को दो श्रेणी में विभाजित करने की जरूरत है, पहली श्रेणी में उन लोगों को रखा जाए जो काम-धंधे के सिलसिले में शहर से बाहर हैं और दूसरी श्रेणी में उनको रखा जाए जो दिनभर काम-धंधे के कारण घर से बाहर रहते हैं और शाम को लौट आते हैं.

इसी आधार पर रणनीति बनाकर शाम को घर लौटकर आने वालों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने वाली दवाओं का सेवन करवाना सुनिश्चित करें. ऐसा होने पर कवरेज में निश्चित रूप से वृद्धि होगी.

जनपद कानपुर के भ्रमण के दौरान बीएमजीएफ टीम ने फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर बने रोगी सहायता समूह द्वारा किये जा रहे कार्यों को जाना, साथ ही सचेंडी और बिनौर के गांवों में फाइलेरिया सहायता समूह के मरीजों से बातचीत की और उनके द्वारा फाइलेरिया उन्मूलन के लिए किये जा रहें प्रयासों के बारे में जानकारी ली.

उन्होंने, कल्याणपुर ब्लॉक के गाँव बिनौर में रोगी सहायता समूह माता सागर देवी के सदस्यों से मुलाकात की. समूह के सदस्यों ने अपने अनुभव भी साझा किये. मरीजों ने बताया – हमारा प्रयास है कि लोग इस बीमारी के प्रति जागरूक बनें ताकि जिन दिक्कतों का सामना हमें करना पड़ा है, उसका सामना उनको न करना पड़े.

जनपद फतेहपुर में बहुआ ब्लॉक के भ्रमण के टीम ने आशाओं द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले इ-कवच एप्लीकेशन के किर्यन्वयन को देखा. उन्होंने क्षेत्र में आशाओं द्वारा इ-कवच एप्लीकेशन के माध्यम से गर्भवतियों व नवजात के टीकाकरण का ब्योरा दर्ज करते हुए देखा.

टीम के भ्रमण के दौरान प्रदेश के संयुक्त निदेशक फाइलेरिया एवं कालाजार डा. वी. पी. सिंह, बीएमजीएफ के सिएटल, यूनाइटेड स्टेट्स के डॉ. जॉर्डन टेपेरो, डॉ. रशेल ब्रोंज़ोन, मौली मोर्ट एवं डॉ. पैट्रिक लैमी, बीएमजीएफ कंट्री ऑफिस के डॉ. भूपेंद्र त्रिपाठी, कायला लार्सन, डॉ. रजनी, अमोल एवं विशाल, के साथ ही अन्य सहयोगी संस्थाओं, विश्व स्वास्थ्य संगठन, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च, पाथ एवं प्रोजेक्ट कंसर्न इंटेरनेशनल (पीसीआई) के प्रतिनिधि उपस्थित रहे.

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