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कांग्रेस में हो रही रायबरेली से सोनिया गांधी को हराने की साजिश!

संजय श्रीवास्तव

लखनऊ, नवसत्ताः लोकसभा में यूपी से कांग्रेस की एकमात्र सीट रायबरेली या यूं कहें कि प्रदेश में कांग्रेस का अंतिम दुर्ग भी ढहने की कगार पर है. हैरत की बात यह है कि इसकी साजिश पार्टी के जयचंदों द्वारा ही रची जा रही है. एक के बाद पार्टी के वफादारों को किनारे किया जा रहा है. ऐसे में दो साल बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में पार्टी को इस सीट से भी हाथ धोना पड़ सकता है.

गांधी परिवार की सबसे बड़ी समस्या उनका सीधे तौर पर जनता से सम्पर्क न होना है. राजनीति में वह नेता कभी सफल नहीं हो सकता जिसे अपने क्षेत्र के लोगों की समस्याएं ही न पता हों. रायबरेली में कुछ ऐसा ही हो रहा है. कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी का अपने संसदीय क्षेत्र की जनता से सीधा सम्पर्क न के बराबर रह गया है. स्वास्थ्य कारणों से वे लम्बे समय से रायबरेली आयीं भी नहीं.

सांसद प्रतिनिधि के तौर पर किशोरी लाल शर्मा भी समस्याओं को उन तक पहुंचाने में रूचि नहीं ले रहे हैं या हो सकता है कि उनकी चल ही न पा रही हो. उत्तर प्रदेश में महासचिव के तौर पर प्रियंका गांधी के सक्रिय होने के बाद उनके निजी सचिव संदीप सिंह ही पार्टी के निर्णय ले रहे हैं. चुनाव के दौरान यूपी कांग्रेस में उनके मैनेजरों का ही बोलबाला था. विधानसभा चुनाव में इसी टीम के कई फैसलों ने पार्टी के जनाधार वाले नेताओं के साथ-साथ आम मतदाता को भी नाराज कर दिया जिसका परिणाम यह रहा कि विधानसभा चुनाव में पार्टी को मात्र दो ही सीटें मिलीं और उसका वोट प्रतिशत भी घटकर दो फीसदी के करीब रह गया. बावजूद इसके यूपी कांग्रेस के इन नीति निर्धारकों ने कोई सबक नहीं सीखा. और अब वे रायबरेली के आम मतदाताओं को नाराज करने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं. यहां तक कि रायबरेली के लोगों को चुनाव के दौरान खर्च हुआ पैसा भी प्रदेश कांग्रेस देने में आना कानी कर रही है. ऐसा जानबूझ कर किया जा रहा है या किसी साजिश के तहत यह जांच का विषय है। इस बारे में श्रीमती गांधी के सांसद प्रतिनिधि किशोरी लाल शर्मा भी सबकुछ जानते हुए भी कोरा आश्वासन देते आ नजर रहे हैं.

यही हाल रहा तो बहुत मुश्किल है अंतिम दुर्ग बचा पाना

पार्टी के मैनेजरों का यही हाल रहा तो कांग्रेस को सूबे के अंतिम दुर्ग रायबरेली को बचा पाना टेढ़ी खीर होगा. रायबरेली सीट शुरुआत से कांग्रेस का गढ़ रही है. खुद सोनिया गांधी यहां से 2004 से सांसद हैं. बता दें कि साल 2014 के चुनाव में सोनिया गांधी ने बीजेपी प्रत्याशी अजय अग्रवाल को 3 लाख 52 हजार से अधिक वोटों से हराया था. इसके पहले 2009 के चुनाव में भी सोनिया ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा प्रत्याशी आरएस कुशवाहा को 3 लाख 72 से भी अधिक मतों से हराया था. लेकिन 2019 के चुनाव सोनिया की जीत का अंतर डेढ़ लाख मतों तक ही रह गया. पिछला चुनाव कम अंतरों से हारने वाले दिनेश सिंह को योगी सरकार में मंत्री बना दिया गया है वे क्षे़त्र में लगातार सक्रिय भी हैं. उधर इस अंतिम किले को मजबूत करने के बजाय पार्टी मैनेजर नेताओं को ही नहीं आम मतदाताओं को भी नाराज करने में पीछे नहीं हट रहे हैं. उनका यह कदम श्रीमती गांधी के खिलाफ किसी बड़ी साजिश का इशारा कर रहा है.

 

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