नई दिल्ली, नवसत्ता: राहुल गांधी ने कहा कि मोदी सरकार ने हमारे लोकतंत्र की प्राथमिक संस्थाओं, राज नेताओं व जनता की जासूसी करने के लिए पेगासस खरीदा था. फोन टैप करके सत्ता पक्ष, विपक्ष, सेना, न्यायपालिका सब को निशाना बनाया है. ये देशद्रोह है. संसद के बजट सत्र शुरू होने से पहले इजरायली स्पाइवेयर पेगासस जासूसी मामला फिर से सामने आने के बाद यह देश में तूल पकड़ता जा रहा है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अंग्रेजी अखबार की एक कटिंग को पोस्ट करते हुए ट्वीट किया, और कहा कि मोदी सरकार ने हमारे लोकतंत्र की प्राथमिक संस्थाओं, राज नेताओं व जनता की जासूसी करने के लिए पेगासस खरीदा था. फोन टैप करके सत्ता पक्ष, विपक्ष, सेना, न्यायपालिका सब को निशाना बनाया है. ये देशद्रोह है. उन्होंने आरोप लगाया, ‘मोदी सरकार ने देशद्रोह किया है.
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने भी ट्वीट कर कहा, ‘मोदी सरकार ने भारत के शत्रु की तरह काम क्यों किया और भारतीय नागरिकों के खिलाफ ही युद्ध के हथियारों का उपयोग क्यों किया? उन्होंने कहा, ‘पेगासस का उपयोग गैरकानूनी जासूसी के लिए करना राष्ट्रद्रोह है. कानून से बढ़कर कोई नहीं है. हम सुनिश्चित करेंगे कि न्याय हो. भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी कहा, ‘मोदी सरकार को न्यूयॉर्क टाइम्स के खुलासे को खारिज करना चाहिए. इजरायली कंपनी एनएसओ ने 300 करोड़ रुपये में पेगासस बेचा. प्रथम दृष्टया यह लगता है कि सरकार ने उच्चतम न्यायालय और संसद को गुमराह किया है. क्या यह वाटरगेट है? इससे पहले न्यू यॉर्क टाइम्स ने अपनी एक खबर में दावा किया था कि भारत ने 2017 में इजराइल से डिफेंस डीव के दौरान स्पाइवेयर खरीदा था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी सरकार ने इसे 2 बिलियन के रक्षा पैकेज के हिस्से के रूप में खरीदा था, जिसमें स्पाइवेयर और मिसाइल सिस्टम ‘केंद्रबिंदु थे. राहुल गांधी पहले भी इस मुद्दे पर सरकार पर निशाना साध चुके हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि किस तरह से स्पाइवेयर का दुनिया भर में अपने विरोधियों के खिलाफ इस्तेमाल किया गया. साथ ही यह भी कहा गया कि इजरायल के रक्षा मंत्रालय से लाइसेंस प्राप्त नए सौदों के एक सेट के तहत, पोलैंड, हंगरी और भारत समेत कई अन्य देशों को पेगासस की सुविधा प्रदान की गई थी.
हालांकि इस मुद्दे पर अब तक न तो भारत सरकार और न ही इजराइली सरकार ने स्वीकार किया है कि भारत ने पेगासस को खरीदा है. पिछले साल जुलाई में मीडिया समूहों के एक वैश्विक संघ ने खुलासा किया था कि दुनिया भर की कई सरकारों ने विरोधियों, व्यापारियों और पत्रकारों आदि पर जासूसी करने के लिए स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया था.