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योगी राज में भाजपा नेता व अफसर मिलकर अयोध्या में कर रहे जमीन की जालसाजी

नई दिल्ली, नवसत्ता: अयोध्या जमीन घोटाले मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। अयोध्या जमीन घोटाले मामले में तत्कालीन जिलाधिकारी अनुज झा, कमिश्नर एमपी अग्रवाल, मुख्य राजस्व अधिकारी, लेखपाल, कानूनगो और बीजेपी के 2 विधायक फंसे हैं। इस मामले में यूपी सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही 1 हफ्ते के अंदर जांच की रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए गए हैं।

यूपी विधानसभा चुनाव को देखते हुए अयोध्या में जमीन खरीद में गड़बड़ी का मामले ने फिर तूल पकड़ लिया है। सीएम योगी के आदेश पर अपर मुख्य सचिव राजस्व मनोज कुमार सिंह ने जांच बैठाई है। मनोज सिंह जमीन खरीद मामले को लेकर जांच करेंगे और शासन को 1 हफ्ते में रिपोर्ट सौप देंगे। गौरतलब है कि, अयोध्या में जमीन खरीद विवाद मामले में कई नेताओं और अधिकारियों के परिजनों का नाम सामने आया है।

रामजन्मभूमि क्षेत्र में जमीन की खरीद-फरोख्त का मामला एक बार फिर गर्मा उठा है। बुधवार को आम आदमी पार्टी के प्रदेश प्रभारी राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने प्रसवार्ता करके जन्मभूमि की पांच किलोमीटर की परिधि में भाजपा नेताओं और अफसरों द्वारा जमीन की जालसाजी करके भ्रष्टाचार करने का मामला उठाया। इस मौके पर उन्होंने दो टूक कहा कि प्रभु श्री राम की मंदिर के लिए लोगों ने अपना पेट काटकर चंदा दिया था, माताओं बहनों ने अपना गहने गिरवी रखी चंदा दिया था। उसमें भ्रष्टाचार और लूट हम कभी नहीं करने देंगे। आप के यूपी प्रभारी ने रामजन्मभूमि के पांच किमी परिक्षेत्र में जमीन की खरीद-फरोख्त के मामले उठाकर न सिर्फ गंभीर आरोप लगाए, बल्कि यह भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी के विधायकों, उनके रिश्तेदारों सहित उनके मेयर ने जमीनें खरीदी हैं उसका पूरा खाका मेरे पास है।

संजय सिंंह ने कहा कि रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की आड़ में किस तरह से दो करोड़ की जमीन किस तरह से पांच मिनट के अंदर साढ़े सोलह करोड़ खरीदी गई यह मैंने काफी पहले बताया था। भ्रष्टाचार में डूबे ट्रस्ट पदाधिकारियों सहित भाजपा नेताओं का राजफाश किया तो मेरे ऊपर तमाम मुकदमे किए गए थे। विश्व हिंदू परिषद भारतीय जनता पार्टी और ऐसे तमाम नेता, विधायक-मंत्री आदि कह रहे थे कि मेरे ऊपर मानहानि का मुकदमा करेंगे। आज तक उन्होंने मानहानि का मुकदमा करने की हिम्मत इसलिए नहीं की, क्योंकि पूरी की पूरी भारतीय जनता पार्टी प्रभु श्री राम के मंदिर के नाम पर उस क्षेत्र में जमीन का घोटाला और भ्रष्टाचार करने में जुटी हुई है।
संजय सिंंह ने ताजा खुलासा करते हुए कहा कि राम जन्मभूमि क्षेत्र के पांच किलोमीटर के दायरे में किस तरह से तमाम अधिकारियों, भारतीय जनता पार्टी के विधायकों, उनके रिश्तेदारों और भाजपा के मेयर ने जमीनें खरीदी हैं उसका पूरा खाका मेरे पास है। संजय सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश में नियम है की 3.5 बीघे से अधिक जिस दलित की जमीन होगी वही बेच सकता है, अन्यथा नहीं बेच सकता। इसमें पहले एक रोघई नाम के व्यक्ति को तैयार किया गया, क्योंकि दलित ही दलित की जमीन को खरीद सकता है, यह ट्रस्ट के लोग जानते थे। एक-दो बीघे की जमीन रखने वाले उस क्षेत्र के दलितों से रोघई ने 21 बीघा जमीन खरीदी।

फिर वह 21 बीघा जमीन महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट को दान कर देता है। जब वह जमीन दान में चली गई और इस बात का पता उसमें शामिल एक एक जमीन बेचने वाले दलित महादेव को पता चली, तो उसने शिकायत की। उसने कहा कि हमारी जमीनों को गलत ढंग से खरीद कर, गलत ढंग से बेचा जा रहा है, जो कि ट्रस्ट नहीं कर सकता।
संजय सिंंह ने कहा कि जब इस बात का खुलासा हुआ तो अधिकारियों ने जांच बैठा दी। हद तो यह रही जो अधिकारी इस मामले की जांच बैठाते हैं वही अधिकारी ट्रस्ट से फिर जमीने खरीदते हैं। यह सीधा-सीधा भाजपा नेताओं और अफसरों द्वारा मिलीभगत करके किया गया भ्रष्टाचार है। यह मामला बताता है कि रामजन्मभूमि क्षेत्र में योगी राज में जमीन की जालसाजी चल रही है। इसमें कोई मामूली लोग शामिल नहीं है। एमपी अग्रवाल जो अयोध्या के कमिश्नर रहे उनके ससुर ने 2530 स्क्वायर मीटर और उनके साले आनंद वर्धन ने 12060 स्क्वायर मीटर एक जमीन खरीदी, जिसमें उनकी पत्‍नी अपने पिता के साथ बनाई गई एक कंपनी की पार्टनर भी हैं। इसके बाद डीआईजी दीपक कुमार इनकी साली महिमा ठाकुर ने 1 सितंबर 2021 को 19 लाख 75000 में 1020 स्क्वायर मीटर जमीन खरीदी। संजय सिंह ने ऐसा ही दूसरा मामला सामने रखा।

बताया कि पुरुषोत्तम दास गुप्ता जो मुख्य राजस्व अधिकारी अयोध्या थे और वर्तमान में एडीएम गोरखपुर हैं के सालेे और उनकी पत्नी अमरजीत यादव के साथ मिलकर 1130 स्क्वायर मीटर जमीन खरीदते हैं 12 अक्टूबर 2021 को। इसके बाद नाम आता है बीजेपी के विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ उर्फ खब्बू तिवारी जो अभी फर्जी सर्टिफिकेट के मामले में सजा पाकर जेल में है। 18 नवंबर 2019 को एक जमीन इनके साले खरीदते हैं 2593 स्क्वायर मीटर और 16 मार्च 2021 को स्वयं जिस विद्यालय के यह प्रबंधक हैं उसके लिए 47 लाख रुपए में 6320 स्क्वायर मीटर जमीन खरीदते हैं। मां शारदा ट्रस्ट के नाम पर 9860 स्क्वायर मीटर जमीन खरीदते हैं। 19 दिसंबर 2020 को 14860 मीटर जमीन चार करोड रुपए में खरीदते हैं। भारतीय जनता पार्टी के एक और विधायक वेद प्रकाश गुप्ता हैं, उनके भतीजे तरुण मित्तल रेनू सिंह और सीमा सोनी से एक करोड़ 15 लाख की 5174 स्क्वायर मीटर जमीन 21 नवंबर 2019 को खरीदते हैं। तीसरे हैं उमा धर द्विवेदी जो रिटायर्ड आईएएस हैं, ये 39 लाख रुपए में अयोध्या क्षेत्र में 23 अक्टूबर को 1680 स्क्वायर मीटर जमीन खरीदते हैं।

संजय सिंंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का मेयर ऋषिकेश उपाध्याय जिसके ऊपर पहले भी तमाम कागजों सहित मैंने आरोप लगाए थे आज तक उसकी जांच आदित्यनाथ की सरकार ने नहीं की। 1480 स्क्वायर मीटर जमीन 18 सितंबर 2019 को हरीश कुमार से 3000000 रुपये में उन्होंने खरीदी।
इसी तरह से इसके बाद स्टेट इनफॉरमेशन कमिश्नर हर्षवर्धन शाही की पत्नी संगीता शाही और उनके पुत्र सहर्ष शाही 18 नवंबर 2021 को इंद्र प्रकाश सिंह से 1500000 रुपये में जमीन खरीदते हैं। बलराम मौर्या जो एस्टेट ओबीसी कमिशन के मेंबर हैं वह 5000000 रुपए की जमीन जगदंबा सिंह से खरीदते हैं। बद्री उपाध्याय जो लेखपाल है, वह भी वहां पर जमीन खरीदते हैं। सुधांशु रंजन जो कानूनगो है वह 270 स्क्वायर मीटर जमीन 750000 की खरीदते हैं। 28 नवंबर 2020 को एसडीएम आयुष चौधरी इनके चचेरे भाई 1700000 रुपये में आसाराम से 5350 स्क्वायर मीटर जमीन खरीदते हैं। इनके एक फाउंडेशन के द्वारा 1130 स्क्वायर मीटर जमीन 700000 में खरीदी जाती है और उनके ससुर संतोष कुमार जून 2021 को 280 स्क्वायर मीटर जमीन खरीदते हैं।

संजय सिंह ने कहा कि बार-बार इस मांग उठा रहा हूं कि पूरे जमीन खरीद मामले की जांच कराई जाए। जिस प्रकार से 5 मिनट में दो करोड़ की जमीन 185000000 रुपये में रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के द्वारा खरीदकर भ्रष्टाचार किया गया, उसकी जांच कराई जानी चाहिए। इस क्षेत्र में दलितों की जमीन दान में लेकर महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट ने तमाम मंत्रियों और विधायकों को जमीने बेंच दींं, वह भी तब जबकि उसकी जांच चल रही है। यह सीधा-सीधा भ्रष्टाचार का खेल है। इसलिए इन सारे अधिकारियों के खिलाफ जांच कराकर इनको जेल में भेजना चाहिए। इन सब की जांच हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटर्ड कमेटी की निगरानी में एसआईटी बनाकर और सीबीआई के द्वारा जांच कराई जानी चाहिए। यह एक बड़ा भ्रष्टाचार का मामला है, जिसमें खुद अधिकारी, विधायक और भाजपा के नेता शामिल हैंं।

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