लखनऊ,नवसत्ता: उत्तर प्रदेश में अब कुछ ही महीनों में चुनाव होने जा रहे हैं. जिसको लेकर तमाम पार्टियां और उनके विधायक अपने-अपने क्षेत्र में सक्रिय हो चुके हैं. इससे पहले उत्तर प्रदेश इलेक्शन वाच और एसोसियेशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म यानी एडीआर ने एक सर्वे की रिपोर्ट जारी की है. जिसमें बताया गया है कि प्रदेश में 396 विधायकों में से 140 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. इनमें से 101 विधायकों पर तो गंभीर धाराओं के तहत मुकदमे दर्ज हैं, जिसमें हत्या, हत्या का प्रयास, धोखाधड़ी और छेड़खानी जैसे मामले शामिल हैं.
बीजेपी के 304 में से 106 विधायक, एसपी के 49 में से 18 विधायक और बीएसपी के 18 में से दो विधायक, कांग्रेस के एक विधायक पर आपराधिक मामले चल रहे हैं. वहीं एडीआर की ओर से विधायकों को वित्तीय विवरण भी जारी किया गया है. जिसमें बताया गया है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में 79 प्रतिशत विधायक करोड़पति हैं. मतलब प्रदेश में 396 में से 313 विधायकों के पास करोड़ों की संपत्ती है. जिनमें बीजेपी के सबसे ज्यादा विधायक करोड़पति हैं. बीजेपी के 304 में से 235 विधायक करोड़ों के मालिक हैं. वहीं समाजवादी पार्टी 49 में से 42 विधायक करोड़पति हैं. औसतन समाजवादी पार्टी के 86 प्रतिशत विधायकों के पास करोड़ों की संपत्ति है. तीसरे स्थान पर बीएसपी के 16 में से 15 विधायक करोड़पति हैं जबकि कांग्रेस के सात में से पांच विधायक करोड़पति हैं.
यूपी में 27 प्रतिशत विधायक अपराध से तालुक रखते है. यूपी में सबसे ज्यादा अमीर विधायक बीएसपी में शाह आलम और गुड्डू जमाली है. दूसरे नम्बर बीएसपी विधायक विनय शंकर कुबेर के खजाने से सम्पर्क सखते हैं. बीजेपी के 2 विधायक वर्तमान में मंत्री है दोनो कर्जदार हैं. प्रयागराज के विधायक नन्दगोपाल नन्दी और सिद्धार्थनाथ सभी विधायकों में कर्जदार है. 396 विधायकों में से 95 विधायको की शैक्षिक योग्यता 8वी से 12वीं है. यूपी में 396 विधायकों में से 4 विधायको की शैक्षिक योग्यता सिर्फ साक्षर है 5 डिप्लोमा धारक हैं.
बता दें कि उत्तर प्रदेश इलेक्शन वाच और एडीआर की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी गई. इस सर्वे का मकसद मतदाताओं को जागरुक करना था. ताकि मतदाता ये जान सकें कि वह जिन्हें अपना प्रतिनिधि चुनकर विधानसभा में भेजते हैं वह वास्त में हैं कैसे. चुने गए जनप्रतिनिधि कैसे हैं यह बातें जनचर्चा पर आधारित नहीं हैं. यह विश्लेषण खुद उनका अपना किया हुआ है. बता दें कि यूपी इलेक्शन वाच और एडीआर ने सभी विधायकों के शपथपत्रों को पढऩे के बाद यह विश्लेषण तैयार किया है.