मिशन जल जीवन में एक के बाद एक खुलासा, लगी 200 करोड़ की चपत
बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र की है डैम बेस्ड योजना
ईएफसी से स्वीकृत थीं एस्टीमेट की दरें
अपर मुख्य सचिव वित्त की अध्यक्षता में हुई थी ईएफसी
संजय श्रीवास्तव
लखनऊ,नवसत्ताः अभी जल जीवन मिशन का काम भले ही जमीन पर नहीं दिख रहा है पर कागजों पर बहुत तेजी से दौड़ रहा है। जितनी तेजी से मिशन के काम दौड़ रहे हैं उतनी ही तेजी से एक के बाद एक घोटाला भी उजागर हो रहे हैं।
अब ताजा मामला बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र में डैम पर आधारित पाइप पेयजल योजनाओं को लेकर सामने आया है। दोनों ही मंडलों में करीब 48 योजनाएं डैम पर आधारित पेयजल आपूर्ति की चल रही हैं। जल शोधन संयंत्रो की योजनाओं के लिए जो प्राक्कलन (एस्टीमेट) बनाया गया वो राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन के अधिकारियों द्वारा बनाया गया। प्राक्कलन को अपर मुख्य सचिव वित्त की अध्यक्षता में विभिन्न बैठकों में 48 योजनाओं की स्वीकृति प्रदान की गईं।
इसके बाद राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन द्वारा विभिन्न निविदाओं द्वारा 48 पेयजल योजनाओं के लिए टेंडर प्राप्त एवं स्वीकृत किए गए। इस तरह ठेकेदारों को आवंटित किए गए टेंडरों में कामों की दरें प्राक्कलन समितियों की स्वीकृत दरों से दोगुनी हो गईं। मसलन प्राक्कलन के मुताबिक 5 एमएलडी ( मिलियन लीटर पर डे) पर आने वाला खर्च 40 लाख रूपए पर एमएलडी के हिसाब से लगाया गया जबकि टेंडर के समय इसकी दर 75 लाख रूपए पर एमएलडी हो गई।
कुल 48 योजनाओं में इस तरह लगभग दोगुने रेट पर ठेकेदारों को टेंडर देने से जल जीवन मिशन को करीब 200 करोड़ की अतिरिक्त चपत लगाई गई। मतलब जहां महंगा काम कराने से मिशन को करोड़ों का नुकसान हो रहा है वहीं चंद अधिकारियों को इससे मोटा कमीशन भी प्राप्त हो रहा है।
इस बाबत जब ईएफसी से अप्रूव्ड एस्टीमेट के समय मिशन के यूनिट कोआर्डिनेटर रहे के के दुबे से उनके मोबाइल पर संपर्क किया गया तो वो स्विच ऑफ रहा जबकि टेंडर अवार्ड करते समय के यूनिट कोआर्डिनेटर जीपी शुक्ला ने फोन पर ईएफसी द्वारा स्वीकृत एस्टीमेट और दिए गए टेंडरों की जानकारी मांगी तो दोनों की प्रतियां उनके मोबाइल पर वाट्स एप कर दी गई जिसे उन्होंने देख तो लिया पर कई बार पूछने के बाद भी कोई जवाब नहीं दिया।