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हाई कोर्ट की इजाजत के बिना वापस नहीं होंगे एमपी/एमएलए के खिलाफ दर्ज मुकदमे: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली,नवसत्ता : सुप्रीम कोर्ट ने सासंदों/विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल न करने पर केंद्र सरकार से नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा राज्य सेक्शन 321 के तहत मिली ताकत का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने विशेष एमपीं/एमएलए कोर्ट के सभी जजों को अगले आदेश तक सेवा में रहने का भी आदेश दिया, कोर्ट में सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने मुजफ्फरनगर दंगे मामले में संगीत सोम, सुरेश राणा, कपिल देव, साध्वी प्राची का केस वापस ले लिया है। इसी प्रकार कर्नाटक सरकार विधायकों के खिलाफ 61 मामलों को वापस लेना चाहती है। उतराखंड और महाराष्ट्र सरकार भी केस वापस लेना चाहती हैं।

सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि हमने शुरू में ही केंद्र से आग्रह किया था कि वो सांसदों/विधायकों से संबंधित लंबित मामलों में गंभीर हो, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से कोई प्रगति नहीं हुई। ईडी की स्टेट्स रिपोर्ट पेपर में छपने पर नाराजगी जताई कहा कि आज हमने पेपर में रिपोर्ट पढ़ी। सब मीडिया को पहले मिल जाता है। एजेंसी अदालत को कुछ नहीं देती। ईडी के हलफनामा भी फॉर्मेट में नहीं है और इसमें सिर्फ आरोपियों की सूची है। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करने के लिए आखिरी मौका दिया।

कोर्ट ने दो हफ्ते के समय के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने ये बड़ा कदम एमिक्स क्यूरी विजय हंसारिया की रिपोर्ट पर उठाया। इसके मुताबिक- यूपी सरकार मुजफ्फरनगर दंगों के आरोपी बीजेपी विधायकों के खिलाफ 76 मामले वापस लेना चाहती है। वहीं कर्नाटक सरकार विधायकों के खिलाफ 61 मामलों को वापस लेना चाहती है।

उतराखंड और महाराष्ट्र सरकार भी इसी तरह केस वापस लेना चाहती हैं। सीबीआई की तरफ से एसजी तुषार मेहता ने कोर्ट से फॉर्मेंट के हिसाब से स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय मांगा है। सुप्रीम कोर्ट सासंदों/ विधायकों के खिलाफ आपराधिक ट्रायल के जल्द निपटारे की निगरानी के लिए स्पेशल बेंच का गठन करेगा।

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