लखनऊ,नवसत्ता : योग शरीर, मन और आत्मा को जोडऩे का विज्ञान है तो कला भी। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस से पूर्व आज ब्रम्हाकुमारीज गोमती नगर सेंटर पर सेंटर इंचार्ज राधा बहन की प्रेरणा व आशीर्वचन से हुए ‘राजयोग से करें स्वस्थ तन सशक्त मन कार्यक्रम में राजस्थान से पधारी राजयोगिनी विजयलक्ष्मी बहन ने योग को विश्व स्तर पर स्वीकार्यता एवं मान्यता दिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों की सराहना करते हुए गीता में वर्णित प्राचीन योग का महत्व बताया।
कार्यक्रम में बी0के0 स्वर्णलता बहन ने कहा कि ‘मन स्वस्थ तो तन भी स्वस्थ’। मन में उपजे चिंता, अवसाद, निराशा, तनाव, भय आदि भाव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। इससे बचने के लिए शारीरिक योग के साथ मन का योग अर्थात राजयोग जरूरी है। राजयोग आत्मा का ज्ञान कराता है, राजयोग मन की आन्तरिक यात्रा है। इसमें आत्मा-परमात्मा के मध्य दोतरफा संवाद से आत्मा को परमात्मा की शक्ति प्राप्त होती है जिससे तन और मन दोनों शक्तिशाली रहते हैं। उन्होंने कहा इसीलिए स्वस्थ तन व सशक्त मन के लिए शारीरिक योग से पहले राजयोग अवश्य करें। इस अवसर पर योग शिक्षक तथा कैरियर काउंसलर शोभित नारायण अग्रवाल ने सरकारी प्रोटोकॉल के तहत विभिन्न आसन और प्राणायाम आदि क्रियाएं कराई। जिसमें अनेक बी0के0 भाई बहनों तथा लखनऊ, बाराबंकी, सहारनपुर एवं जालौन के माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों सहित लगभग 2000 लोग शामिल हुए। इसी क्रम में होम्योपैथी डॉक्टर रोहित आहूजाने दवा से उपचार के साथ-साथ अध्यात्म के समावेश को बहुत लाभकारी बताया। उन्होंने कहा जैसे हम शरीर को प्रतिदिन 3-4 बार भोजन देते हैं ऐसे ही मन को भी समय समयपर श्रेष्ठ विचारों व शुद्ध संकल्पों का भोजन देते रहें तो मनुष्य स्वस्थ के साथ सुखी भी रह सकता है और हीलिंग भी जल्दी होती है।
अंत में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए राजेश शाही, सहायक निदेशक मध्यान्ह भोजन प्राधिकरण ने कहा कि करोना महामारी से लोग मानसिक रुप से भी बीमार हुए हैं, ऐसे में शरीर के योगके साथ हीराजयोग का अभ्यास भी अवश्य करें।