के सी पाठक
प्रारम्भिक शिक्षा के दौरान तख्ती पर लाइन खींच कर लिखना मेडिकल की पढ़ाई में बहुत काम आया।तख्ती पर लिखने के कारण मेरी राइटिंग बहुत अच्छी थी।मेरी अच्छी राइटिंग के कारण साथी छात्राओं को डांट खानी पड़ती थी।गुरुजन मेरी कॉपी देखने के बाद उनकी देखते तो अच्छी राइटिंग का उनका माइंड सेट डिस्टर्ब हो जाता और लड़कियों को गुरुजन खूब डांट पिलाते….
सुल्तानपुर,नवसत्ता:आगामी डॉक्टर्स डे से पहले हमारी इस विशेष सीरीज़ में आज मिलिए सुल्तानपुर जनपद के सुप्रसिद्ध ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉक्टर सी एल रस्तोगी से।डाक्टर रस्तोगी हाल में ही कोरोना जैसी भयानक बीमारी को परास्त करके जिला अस्पताल के मरीजों की सेवा में जी जान से लगे हुए है l एक मुलाकात के दौरान डॉक्टर सी एल रस्तोगी से उनके ही कई अनसुने किस्से उन्ही की जबानी सुनने को मिली। डॉक्टर सी एल रस्तोगी अपने डॉक्टर बनने में प्रेरणास्रोत अपने माता पिता और परिवार को ही मानते हैं।वह बताते हैं,उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नही थी। तब भी उनके परिवार का सपना था कि परिवार का कोई बच्चा डॉक्टर जरूर बने l परिवार और माता पिता के सपनो को पूरा करने के लिए डॉक्टर सी एल रस्तोगी ने कड़ी मेहनत करते हुए अपने डॉक्टर बनने के मुकाम को हासिल कर माँ बाप की खुशी का कारण बने l सन 1986 में जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर से एमबीबीएस के पाठ्यक्रम में प्रवेश के समय से ही गुरुजन उनकी पढ़ाई से काफी प्रभावित रहते थे।पढ़ाई के दौरान ही डॉक्टर सी एल रस्तोगी को कई अवार्ड मिले। यही वजह रही कि उनकी रुचि पढ़ाई में और बढ़ती गई। मेडिकल कालेज के अपने किस्से याद करते हुए डाक्टर रस्तोगी बताते हैं,बचपन मे ही पुरानी परिपाटी के अनुसार तख्ती पर लकीर खींच कर लिखते रहने से उनकी हिन्दी की हस्तलिपि बहुत अच्छी थी। अच्छी राइटिंग के कारण मेडिकल कॉलेज में परीक्षा के दौरान सहपाठी डॉक्टर लड़कियों को गुरुजनों से खूब डांट पड़ती थी।इस कारण से लड़कियां उनकी कॉपी देखने के लिए हमेशा मांगती रहती थीं l पढाई के बाद प्रोफेशनल लाइफ में आये तो यहां भी कड़ी मेहनत से अलग मुकाम हासिल किया। एक बार डॉक्टर सी एल रस्तोगी ने रोटरी इंटरनेशनल के बैनर तले पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम के तहत बाहर के राज्यों से आई कई डॉक्टरों की टीम के साथ 150 सर्जरी की थी।जिससे बाहर राज्यों से आये डॉक्टर उनसे बहुत प्रभावित रहते हुए। इसी कारण से बिना साथ मे डॉक्टर रस्तोगी को लिए कोई ऑपरेशन नही करते थे l पोलियो उन्मूलन के इस कार्यक्रम में डॉक्टर सी एल रस्तोगी को कई अवार्ड भी मिले l कोरोनाकाल में जिला अस्पताल में मरीजो के इलाज के दौरान डॉक्टर सी एल रस्तोगी भी कोरोना की चपेट में दो बार आये मगर अपनी इच्छाशक्ति और नियमित व्यायाम से इन्होंने दोनो बार इस खतरनाक बीमारी को भी पराजित किया।हर बार ठीक होते ही वो जिला अस्पताल के मरीजो की सेवा में फिर से उपस्थित होकर जी जान लगाकर कर अपने कार्य को सुचारू रूप से अंजाम देते रहे है l डॉक्टर सी एल रस्तोगी ने नीट परीक्षा की तैयारी में लगे बच्चो को सन्देश देते हुए कहा कि बच्चो को पूर्णरूप से ये सोचते हुए अपनी पढ़ाई के प्रति योगदान देना है कि मुझे डॉक्टर ही बनना है। अगर इस इच्छाशक्ति से तैयारी करते हैं तो उन्हें डॉक्टर बनने से कोई नही रोक सकता। अपने बारे में बताते हुए डाक्टर रस्तोगी कहते हैं,मैं भी तीसरी बार के प्रयास में पास होकर डॉक्टर बन सका। अगर प्रयास करना बंद कर देता तो डॉक्टर न बन पाता। कड़ी मेहनत और सच्चे योगदान से ही कोई भी परीक्षा पास की जा सकती है।