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डॉक्टर्स डे विशेष: जानिए अपने डॉक्टर के अनसुने किस्से,आज मिलिए सीएचसी शिवगढ़ के चिकित्सक डाक्टर सौरभ से

अमित श्रीवास्तव

इंटर्नशिप के दौरान एक मरीज का इलाज हमारी टीम कर रही थी।मरीज़ की पत्नी लगातार रोये जा रही थी।मुझे इतना तजुर्बा न था।मरीज़ की बाहरी हालत के आधार पर मैंने तीमारदार से कह दिया कि इन्हें कुछ नही होगा।ठीक हो जाएंगे।थोड़ी ही देर बाद मरीज़ मर गया।उसके बाद तीमारदार की आंखें जो सवाल मुझसे कर रही थीं वह आज तक मेरे लिए सीख है…..

रायबरेली,नवसत्ता:आगामी डॉक्टर्स डे से पहले हमारी इस विशेष सिरीज़ के तहत आज आपको मिलवाएंगे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शिवगढ़ के जनरल फिजिशियन डाक्टर सौरभ से। डाक्टर सौरभ के इस पेशे में आने की प्रेरणा के बारे में हमने पूछा तो डॉक्टर सौरभ ने बताया कि,उनके पिताजी की इच्छा थी कि उनका बेटा डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करे। पिताजी की प्रेरणा के कारण और काफी मेहनत के बाद आज वे इस मंजिल को हासिल कर पाये। एमबीबीएस के दौरान किसी अविस्मरणीय पल को हमसे साझा करने के सवाल पर डॉक्टर सौरभ सिंह ने कहा कि ”एमबीबीएस की इंटर्नशिप के दौरान हम लोग किसी सीनियर के अंडर में रहते हुए पहली बार किसी मरीज के डायरेक्ट संपर्क में आते हैं। एक मरीज का इलाज हमारी टीम के द्वारा किया जा रहा था। मरीज की पत्नी बहुत रो रही थी। कुछ इलाज होने के बाद मैंने मरीज से बात की, तो मुझे लगा कि मरीज अब ठीक है। मैंने उसकी पत्नी को बताया की मरीज ठीक है और बिल्कुल ठीक हो जाएगा। परंतु दुर्भाग्य से कुछ देर बाद मैंने देखा कि मरीज की मृत्यु हो गई। तब मरीज की पत्नी और अन्य अटेंडेंट काफी परेशान हुए,मैं भी बहुत दुखी हुआ।क्योंकि मैं यही समझ रहा था कि मरीज बिल्कुल ठीक हो जाएगा। लेकिन तब मुझे पहली बार समझ में आया कि कई बार हम लोग निश्चिंत हो जाते हैं,लेकिन इस पेशे में यह ठीक नहीं, कुछ भी हो सकता है। इस घटना ने मुझे झखझोर कर रख दिया। क्योंकि मैं शुरू से ही मरीजों के प्रति बहुत ही सॉफ्ट कॉर्नर रखता था। जब मैंने डॉक्टर सौरभ से पूछा कि और किसी ऐसी अविस्मरणीय घटना के बारे में बताएं जो आपके प्रोफेशन में घटित हुई हो? तब डॉक्टर सौरभ ने कहा। ”हमारा तो प्रोफेशन ही ऐसा है जिस में आए दिन कुछ ना कुछ विशेष घटित होता रहता है।” कोरोना काल के अनुभव के बारे में बताते हुए डॉ सौरभ कहते हैं। कि ”वास्तव में कोरोना काल हम सभी डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ के लिए परीक्षा की घड़ी रही है। क्योंकि इतनी व्यापक महामारी,और इतनी बड़ी जनसंख्या,संसाधनों का अभाव होते हुए भी, हम लोगों ने अन्य देशों की तुलना में अच्छी सफलता प्राप्त की है।”

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