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डॉक्टर्स डे विशेष:जानिए अपने डॉक्टर के अनसुने किस्से

डाक्टर सुनीत रस्तोगी की मेडिकल कालेज में इसलिए रैगिंग नहीं हुई क्योंकि पहले दिन उन्हें गेट तक छोड़ने आये थे इंजीनियरिंग कॉलेज के 60 स्टूडेंट

राय अभिषेक

रायबरेली,नवसत्ता:आगामी डॉक्टर्स डे पर आपके चिकित्सक के अनसुने पहलू से रूबरू कराते हुए आज आपको मिलवाते हैं ज़िले के मशहूर चाइल्ड स्पेशलिस्ट डाक्टर सुनीत रस्तोगी से।डॉक्टर रस्तोगी बताते हैं,मैथमेटिक्स का अव्वल विद्यार्थी होने के बावजूद डॉक्टरी के पेशे में आने की प्रेरणा अपने पिता डॉ. एस. सी. रस्तोगी से मिली। पिता डाक्टर एस सी रस्तोगी खुद भी होम्योपैथ चिकित्सक थे। उनकी लोगों के प्रति सेवा की भावना को देखकर डॉ. सुनीत के मन में समाज के लिए कुछ करने का भाव जागा। धीरे धीरे इस सेवाभाव ने जुनून का रूप ले लिया जिसे साकार करने के लिए डॉ सुनीत ने एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए,महाराष्ट्र के डॉ. पंजाबराव देशमुख मेमोरियल मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया।
कॉलेज के पहले दिन के वाक्ये को याद करते हुए डॉ. सुनीत ने बताया, चूँकि मेरे ज्यादातर सहपाठी वहीं इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ते थे। मेरे कालेज का पहला दिन था इसलिए वह सभी मुझे गेट तक छोड़ने आये।पचास -साठ स्टूडेंट के साथ आते हुए शायद मेरे सीनियर्स ने देखा होगा। यही वजह रही कि मेरे सभी फ्रेशर सहपाठियों की रैगिंग हुई लेकिन मेरी नहीं हुई।मज़े की बात यह कि मेरी रैगिंग क्यों नहीं हुई इसका पता भी मुझे लंबे समय के बाद चल पाया। मुझे बाद में पता चला कि पहले दिन मेरे साथ आये मेरे दोस्तों के हुजूम की वजह से मुझे रैगिंग से अलग कर दिया गया था।
अपने मेडिकल कैरियर में वैसे तो डॉ सुनीत ने कई मरीजों की जटिल बीमारियों का इलाज किया पर सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण केस में से एक का सामना उन्होंने तब किया जब वे सलोन में प्रैक्टिस कर रहे थे। उस समय जापानी मतिष्क ज्वर जिसे जापानी इंसेफेलाइटिस के नाम से जाना जाता है,फैला हुआ था। रायबरेली जिला अस्पताल मरीजों से भरा हुआ था और मरीजो की संख्या बढती जा रही थी।मरीज की स्थिति देख कर उन्होंने चुनौती को स्वीकार किया और सलोन जैसी छोटी जगह पर सीमित संसाधनों के वहां इसका इलाज किया और लोगों को काफी राहत मिली।
कोरोना महामारी के इस दौर में अपने अनुभव साझा करते हुए डॉ सुनीत का कहना है कि आज के दौर ने इस समाज के हर नागरिक को सतर्क व जिंदगी के प्रति जिम्मेदार बना दिया है। पहले सभी लोग लग्जरी पर ध्यान देते थे और लंबे समय की प्लानिंग करते थे। अब जबकि जिंदगी में हर पल परिवर्तन हो रहे हैं और और कोविड ने पूरी दुनिया पर अपना असर डाला है तो लोग अपने स्वास्थ्य और अन्य दायित्वों के प्रति सजग हो गए हैं।

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