लखनऊ,नवसत्ताः सीएम योगी की सोशल मीडिया टीम के सदस्य पार्थ श्रीवास्तव के सुसाइड मामले में सोशल मीडिया पर चल रहे भारी विरोध के कारण 72 घण्टे बाद पार्थ के सहकर्मियों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज कर ली है। इस मामले की जांच के लिए बीते दिनों से पार्थ के शुभचिंतक सोशल मीडिया पर अभियान चला रहे थे।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सोशल मीडिया अकाउंट्स को चलाने वाली कंपनी में काम करने वाले पार्थ श्रीवास्तव ने बुधवार को अपने आवास पर फांसी लगा ली थी। पार्थ ने आत्महत्या के पहले सुसाइड नोट और सोशल मीडिया पोस्ट भी लिखा था। जिसका स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा इसमें मुख्यमंत्री को टैग करते हुए पार्थ ने अपनी कंपनी की गुटबाजी और राजनीति के बारे में बताया था। पार्थ ने लिखा, ’मेरी आत्महत्या एक कत्ल है। जिसके जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ राजनीति करने वाली शैलजा और उनका साथ देने वाले पुष्पेंद्र सिंह हैं।’ पार्थ श्रीवास्तव के 2 पेज के सुसाइड नोट में कई नाम दर्ज हैं। इनमें पार्थ ने पुष्पेंद्र सिंह और अन्य सहकर्मियों पर आरोप लगाए हैं। पार्थ ने सुसाइड नोट में अभय भैया, महेंद्र और शैलजा नाम की महिला कर्मी के नाम का भी जिक्र किया गया है। हालांकि अब पार्थ के सोशल मीडिया अकाउंट्स से ये सुसाइड नोट गायब है।
पार्थ की बड़ी बहन शालिनी ने भी इस मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। पूर्व आईएएस एसपी सिंह,पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर तथा डॉ. नूतन ठाकुर ने भी कल लखनऊ पुलिस कमिश्नर को शिकायत भेज करे इस मामले में तत्काल एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी। पार्थ के दोस्तों ने भी सोशल मीडिया पर पार्थ के ट्विटर और फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए जस्टिस फॉर पार्थ कैंपेन शुरू किया था। इसी दबाव के चलते पुलिस ने आज इंदिरा नगर थाने में पार्थ के सहकर्मियों के खिलाफ धारा 306 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया।