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ब्लैक फंगस से बचने के लिए बरतें जरूरी सावधानी

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स्वास्थ्य महानिदेशक ने जारी किये आवश्यक दिशा-निर्देश

रायबरेली, नवसत्ता: कोरोना संक्रमण के दौरान या बाद में लोग ब्लैक फंगस या म्यूकोरमाइकोसिस नाम के फंगल इन्फेक्शन की चपेट में आ रहे हैं । इसको लेकर सरकार गंभीर है और इस सम्बन्ध में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महानिदेशक डा. डी.एस.नेगी ने आवश्यक दिशा निर्देश जारी किये हैं | यह बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. वीरेन्द्र सिंह ने कहीं | सीएमओ ने कहा – यह दुर्लभ फंगल इन्फेक्शन है जो किसी व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर होता है | कोविड-19 और डायबिटीज के मरीजों के लिए यह इन्फेक्शन और ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है। यह शरीर में बहुत तेजी से फैलता है म्यूकोरमाइकोसिस इंफेक्शन नाक, आँख, दिमाग, फेफड़े या फिर स्किन पर भी हो सकता है। इस बीमारी में कई लोगों की आंखों की रोशनी तक चली जाती है, वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी गल जाती है। डॉ. सिंह ने बताया- कोरोना के दौरान या फिर ठीक हो चुके मरीजों का इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर होता है, इसलिए वह आसानी से इसकी चपेट में आ रहे हैं। खासतौर से कोरोना के जिन मरीजों को डायबिटीज है। शुगर लेवल बढ़ जाने पर उनमें म्यूकोरमाइकोसिस खतरनाक रूप ले सकता है। इसके साथ ही जिन रोगियों ने कोविड के दौरान ज्यादा स्टेरॉइड लिया हो, काफी देर आईसीयू में रहे हों , ट्रांसप्लांट या कैंसर के रोगी इससे प्रभावित हो सकते हैं | यह संक्रमण सांस द्वारा नाक के जरिये व्यक्ति के अंदर चला जाता है | मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा- म्यूकोरमाइकोसिस के मुख्य लक्षणों में नाक में दर्द, खून आना या नाक बंद होना, नाक में सूजन, दांत या जबड़े में दर्द या दांतों का गिरना, आंखों के सामने धुंधलापन या दर्द, न दिखना या दो-दो दिखाई देना , बुखार, सीने में दर्द, खांसी , सांस लेने में दिक्कत , खून की उल्टियाँ हैं | यह कभी-कभी दिमाग पर भी असर डालता है | डा. सिंह ने कहा- इससे बचने के लिए किसी निर्माणाधीन इलाके में जाने पर मास्क पहनें, बगीचे में जाएं तो पैंट , फुल आस्तीन शर्ट व ग्लब्स पहनें और ब्लड ग्लूकोज स्तर को जांचते रहें तथा इसे नियंत्रित रखें| हल्के लक्षण दिखने पर जल्दी से डॉक्टर से संपर्क करें| कोविड के रोगियों में अगर बार – बार नाक बंद होती हो या नाक से पानी निकलता रहे, गालों पर काले या लाल चकत्ते दिखने लगें, चेहरे के एक तरफ सूजन हो या सुन्न पड़ जाए, दांतों और जबड़े में दर्द, कम दिखाई दे या सांस लेने में तकलीफ हो तो यह ब्लैक फंगस हो सकता है|
सीएमओ ने बताया- स्वयं, मित्र, दोस्त या अप्रशिक्षित डाक्टर की सलाह पर स्टेरॉयड का सेवन न करें | बीमारी शुरू होते ही स्टेरॉयड का सेवन शुरू न करें | लक्षण के 5 से 7 दिनों में स्टेरॉयड देने के दुष्परिणाम होते हैं | स्टेरॉयड शुरू होने पर विशेषज्ञ डाक्टर के सम्पर्क में नियमित सम्पर्क में रहें | घर पर यदि ऑक्सीजन लगाया जा रहा है तो उसकी बोतल में उबालकर ठंडा किया हुआ पानी डालें नॉर्मल सेलाइन डालें | बेहतर हो कि अस्पताल में भर्ती हों |

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