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और घायल दीदी ने किया कमाल

अमित प्रकाश सिंह
नई दिल्ली, नवसत्ता: दो सौ से ऊपर सीट जीती गईं । यह कर दिखाने का
दावा था  पश्चिम बंगाल विघानसभा के लिए चुनावी भव्य रेली में केंद्रीय गृहमंत्री का। कई  बार किया गया यह दावा।उनकी पार्टी के दूसरे नेता भी दुहराते रहे। दो मई को जब नतीजे आए तो सबने जाना कमाल किया , राज्य की मुख्यमंत्री ममता बंद्योपाध्याय ने। उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं और विधायकों ने वाकई  कर दिखाया।
 देश के एक नामी चैनेल के समाचार निदेशक  चार महीने से जुटे थे पार्टी के प्रमुख सलाहकार की तरह पार्टी को जिताने के लिए । न जाने क्यों । उनके समर्थन वाली पार्टी को बमुश्किल अस्सी स्थान मिले।तमाम भाषाई अखबार भी उनका कहा दुहरा रहे थे पर मतदाता झांसे में नहीं आए।तमाम धार्मिक संगठन  डिजिटल नेटवर्किंग से झूठ फैलाने में  पीछे नहीं थे ।क्योंकि यह सब पेडन्यूज जैसा था ।फिर भी दीदी की ही पार्टी को दो सौ से ज्यादा सीटें मिली। उन्हें घायल किया गया । बंगाल की घायल बाघिनी ने  जीत हासिल की!
केंद्र और प्रदेश के चुनाव आयोग ने केंद्र में राज कर रही पार्टी के अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्रिमंडल  संभाल रहे मंत्रियों की सुविधा के अनुसार बंगाल का चुनाव आठ चरण मे नियत किया ।उनके सुभीते के हिसाब से एक ही जिले में अलग अलग चरण में चुनाव कराए गए। चुनावी रैलियों, शोभायात्राओं,चुनावी रैलियों में वक्ता,श्रोता बिना मास्क पहने पहुंचे।सभी आपस में सटे खडे दिखे।हाथों के सैनिटे शन की तो कोई व्यवस्था ही नहीं थी !
 पूरी चुनाव प्रक्रिया को पूरा होने में जितने दिन लगे उसे देखना परखना चाहिए।यह पूरी कवायद इसलिए की गई जिससे पार्टी को पूरे देश में अपने राज्य   के  फैलाव के मौके मिलें।बंगाल के अलावा तमिलनाडु,असम ,केरल और केंद्रशासित राज पुडुचेरी तक में योजना थी कि हर  कहीं कमल खिल जाए।लेकिन असम के अलावा कहीं यह योजना सफल नहीं हुई। पुडुचेरी में जरूर भाजपा गंठजोड जीता।असम में  पहले से  भाजपा सरकार थी।
इस बार केंद्रीय सुरक्षा बलों के साए में चुनाव हुए। धमाके ,मौतें कम हुई पर हुई। राज्य के तमाम आर्थिक घपलों के आरोपपत्र धारी इस चुनाव में जीत की आस में सतत सक्रिय थे।उन्हें उम्मीद थी कि जीत के बाद उन पर लगे सारे मामले मुकदमे हट जाएंगे ।जनता भी भूल जाएगी कि उनके पैसे कभी लिए गए  थे। पर,जनता ने किया वही जो उसके मन में था।उन्होंने तमाम मारपीट, धमकी के बाद भी उन्हें अपना हाथ नहीं सौंपा। वे घायल दीदी के साथ रहे जो ह्वीलचेयर पर बैठी  उनके बीच पहुंच कर बात करती थी।
धार्मिक खेमेबाजी में मतदाताओं को लाने की कोशिश हुई। चुनाव में तरह तरह के भगवा झंडे , घरों,झुग्गियों पर लटकाए गए। पर ये सब बेअसर रहे। खूब कीर्तन,खूब श्रीराम ,,राधे-कृष्ण, हनुमान सेनाओं की रैलियां निकली ।जनता सब देखती सुनती समझती। दिल्ली के सातों सीमाओं पर से आंदोलनकारी किसान भी अपनी समस्या से बंगाल की जनता को अपनी सोच बता रहे थे।वे सालाना दो  हजार यानी मासिक पांच सौ रुपए  की केंद्र से मिल रही सब्सिडी का सच भी बांट रहे थे।नर्मदा बचाओ आंदोलन के नेत्री भी अपनी टीम के साथ ब॔गाल में सक्रिय थी। वे भी केंद्र सरकार के सच और झूठ को साफ कर रही थीं।
दीदी जल्दी ही तीसरी बार राज्य में मुख्यमंत्री पद संभालेंगी।वे जानती है कि बेवजह राज्यपाल उनके काम में कितना बाधक बनता रहा है ।लेकिन अब वे वैसी भूल नहीं करेंगी जब उन्होने एक राजनीतिक धार्मिक पार्टी को राज्य में आमंत्रित कर लिया था।अब वे जानती हैं कि विपक्ष  आज इनका ही है ।राज्यपाल इनका ही है।उन्हें मिले बहुमत से अब उनका कोई बिल तो नहीं रुकेगा लेकिन ऐसे विघ्नसंतोषियों से बचाव जरूरी है।इसके लिए अब वे तैयार हैं।
अब तीन साल का उनका कार्यक्रम शायद विपक्ष  को साथ लेकर साथ,साथ आंदोलन करने का हो। जिससे देश बचाने के लिए और भी लोग जुटें। देखिएअब  होता है क्या- क्या ?—

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