एस एच अख्तर
नवसत्ता, रायबरेली:कोरोना का कहर चरम पर है।चारों तरफ हाहाकार है।सोशल मीडिया पर ऑक्सीजन और डेमेडीसीवीर की चीत्कार है।इस सब के बावजूद केले बिस्किट वाले दानवीर नदारद हैं।नवसत्ता ने इस खबर को प्रमुखता से उठाया भी था।दानवीरों से बात भी हुई लेकिन उनमें से ज़्यादातर लॉकडाउन का इंतेज़ार कर रहे हैं।
खबर का असर
हालांकि इस खबर के बाद ज़िले के दो जनप्रतिनिधियों ने आगे आकर मदद का प्रयास किया है।राजनीतिक नज़रिए से नहीं बल्कि इंसानियत के तौर पर देखें तो एमएलसी दिनेश सिंह और सांसद सोनिया गांधी बधाई की पात्र हैं।सोनिया गांधी ने अपनी सांसद निधि का 1 करोड़ 17 लाख रुपये कोरोना पीड़ितों की मदद के लिए इस्तेमाल किये जाने को लेकर जिलाधिकारी को पत्र लिखा है।वहीं एमएलसी दिनेश सिंह ने भी जिलाधिकारी को चिट्ठी लिख कर जीआईसी ग्राउंड में 500 बेड के अस्थायी कोविड-विशेष अस्पताल की अनुमति मांगी है।
हालांकि दिनेश सिंह की इस पहल को लेकर कुछ लोगों ने उनकी नियत पर सवाल उठाए हैं।जनप्रतिनिधि पर सवाल उठाया जाना लोकतंत्र की खूबसूरती है लेकिन फिलहाल यह समय राजनीति या पुरानी खुंदक निकालने का नहीं।जब चारों तरफ हाहाकार मचा है,ऐसे समय में जो भी सक्षम व्यक्ति मदद के लिए सामने आता है,उसका इस्तेकबाल किया जाना चाहिए।अगर सवाल ही करना है,तो शहर के उन दानवीरों के पिछले साल वाले सोशल मीडिया अकाउंट खंगाले जाने की ज़रूरत है जो केले बिस्किट बाटती तस्वीरों से पटे पड़े थे।आज वह क्यों सामने नहीं आते डेमेडीसीवीर और ऑक्सीजन खोजते लोगों की मदद को।