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निजामुद्दीन में कोरोना: कौन ज्यादा जिम्मेदार-सरकार या तबलीगी जमात?

नई दिल्ली -देशभर में कम से कम तीन अलग-अलग स्थानों पर कोविड-19 टेस्ट में कई धर्मगुरुओं के पॉजिटिव पाए जाने के बाद इस्लामिक संगठन तबलीगी जमात चर्चा के केंद्र में आ गया है. क्या तबलीगी जमात ने किसी मानदंड का उल्लंघन किया? तबलीगी जमात जोर देकर यह कह रहा है कि उसने कोई अवैध काम नहीं किया है और 22 मार्च या उसके बाद कोई धार्मिक गतिविधियां उसने नहीं की हैं. इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता कर्फ्यू की घोषणा की थी.तबलीगी जमात मरकज या इसके दिल्ली मुख्यालय ने एक प्रेस बयान में कहा,“जब प्रधानमंत्री ने 22 मार्च के लिए जनता कर्फ्यू की घोषणा की तो उसके तुरंत बाद मरकज निजामुद्दीन में चल रहे कार्यक्रम रोक दिए गये.” यह सही है. 22 मार्च या उसके बाद वहां वास्तव में कोई कार्यक्रम नहीं हुआ. देशव्यापी लॉकडॉन भी इसी दौरान आया. बहरहाल जब दिल्ली सरकार के दिशा निर्देशों की बात करें तो मामला थोड़ा जटिल हो जाता है. तबलीगी जमात के मौलाना के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की दिल्ली सरकार की मांग का आधार दो अधिसूचनाएं हैं- एक जो 13 और 16 मार्च को जारी किए गये और दूसरा 12 मार्च को जारी हुआ.पहली बात, दिल्ली सरकार ने तबलीगी जमात मरकज को 13 मार्च के उस आदेश के उल्लंघन का दोषी ठहराया है जिसमें 200 लोगों से ज्यादा के जमा होने पर रोक लगायी गयी थी.12 मार्च को जारी दूसरे नोटिस के क्लाउज 8 और 9 को सामने रखकर दिल्ली सरकार तबलीगी जमात के प्रतिनिधियों के खिलाफ एफआईआर को सही ठहरा रही है.क्लाउज 8 कहता है कि बीते 14 दिन में कोविड-19 से प्रभावित देश से यात्रा का इतिहास रखने वाले किसी भी व्यक्ति में कोरोना वायरस के लक्षण नजर आते हैं तो उन्हें कंट्रोल रूम में रिपोर्ट करनी होगी. क्लाउज 9 कहता है कि बीते 14 दिन में कोविड-19 से प्रभावित देश से यात्रा का इतिहास रखने वाले किसी भी व्यक्ति में कोरोना वायरस के लक्षण नजर नहीं आते हैं तो उन्हें खुद को क्वॉरन्टीन करना होगा.अब इन क्लाउज के आधारों पर मरकज में कुछ खास किस्म के लोग नियमों का उल्लंघन करते मिल सकते हैं.जो लोग 27 फरवरी के बाद कोविड-19 से प्रभावित देशों से भारत आए और कोरोना वायरस के लक्षण विकसित होने के बावजूद कंट्रोल रूम को रिपोर्ट नहीं किया. सरकार ने क्या किया? बहरहाल, सबसे बड़ा आरोप भारत सरकार पर लग रहा है. 31 मार्च को गृहमंत्रालय के बयान के मुताबिक,सबसे पहला सवाल है कि कोविड-19 से प्रभावित देशों से यात्रियों को भारत आने ही क्यों दिया गया? हवाई अड्डे पर उनकी स्क्रीनिंग क्यों नहीं हुई? तबलीगी जमात मरकज पर लौटें तो कुछ सवालों के जवाब दिल्ली पुलिस को भी देने हैं जो गृहमंत्रालय के मातहत आती है.निजामुद्दीन पुलिस थाने से 100 मीटर से भी कम दूरी पर है मरकज. मार्च के दूसरे हफ्ते में हुए जमावड़े को रोकने के लिए पुलिस ने क्यों नहीं कदम उठाए? गृहमंत्रालय दावा कर रहा है कि जो विदेशी मरकज आते हैं वे निजामुद्दीन पुलिस थाने में अपने आने की सूचना देते हैं. ऐसे में जो लोग कोविड-19 से संक्रमित देशों से आए पुलिस ने उनके टेस्ट क्यों नहीं कराए? इसमें संदेह नहीं कि तबलीगी जमात मरकज ने रुखा व्यवहार दिखाया, मगर सबसे बड़ा आरोप सरकार पर है कि कोविड-19 के खतरे को देखते हुए वह बहुत देर से जागी और उसने एअरपोर्ट पर वायरस वाहकों को रोकने की कोशिश नहीं की.हिन्दुत्ववादी मीडिया और सोशल मीडिया में कोरोना जिहाद अभियान के जरिए सांप्रदायिकता का जहर घोलने से स्थिति केवल खराब होगी जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है.

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