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शेयर बाजार ने भी दिये मोदी सरकार के हारने के संकेत

लखनऊ। विपक्षी दलों के नेताओं के दावों पर अब लग रहा है कि शेयर बाजार को भी भरोसा हो चला है। अपना शेयर बाजार पिछले छह दिनों से लगातार गिर रहा है। पिछले छह दिनों में दो तारीख से विदेशी निवेशक मोटी बिकवाली करके, अपना पैसा लेकर के वापस जा रहे हैं। इसके पहले इन फ्लो था, अब आउट फ्लो हो रहा है। एक नया ट्रेंड आया है। अब बड़े शेयर जैसे रिलायंस, स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई जैसे शेयरों के दाम तीन से पांच परसेंट तक टूट गए हैं। आर्थिक व राजनीतिक विशेषज्ञों से अलग-अलग बातचीत के दौरान उनका कहना था कि पहले हम लोगों ने यह सोचा कि ट्रंप ने जो ट्रेड वॉर का जो माहौल बनाया, उसके कारण बाजार गिर रहा है। लेकिन उसके बाद बाकी बाजार सुधर गए। उसके बाद चीन की तरफ से संकेत आए कि शायद ट्रेड वॉर टल जाए आपस में बातचीत हो जाए। उसके क्या आसार हैं, ये तो नहीं मालूम, लेकिन वो एक मुद्दा हो सकता है। लेकिन शेयर बाजार के बहुत से लोगों से बातचीत करने के बाद हमारा आकलन यह बन रहा है कि बीजेपी को अकेले बहुमत मिल जाने का उनका जो आकलन था उस पर वो पुनर्विचार कर रहे हैं। इन लोगों को लग रहा था कि एनडीए के साथ मिलकर बीजेपी आसानी से सरकार बना लेगी, इसमें कोई दिक्कत नहीं है। अपने इस आकलन पर फिर से विचार कर रहे हैं। पांचवें चरण की वोटिंग के बाद अब वो ये कह रहे हैं कि शायद एनडीए अकेले बहुमत तक ना पहुंचे। तो बीजेपी को अपने सहयोगी दलों पर निर्भर रहना होगा, लेकिन वो तो हो गई गठबंधन सरकार। उनको चाहिए बीजेपी के बहुमत वाले ’आजाद’ प्रधानमंत्री मोदी। लेकिन अब निवेशकों को ऐसा होता हुआ नहीं दिख रहा है। इसलिए बाजार में बेचैनी बनी हुई है। शेयर बाजार अब दूसरे पहलू पर भी चर्चा करने लग गया है। शेयर बाजार के मूड को समझना इसलिए जरूरी है क्योंकि मूल रूप से इन्हें निरंतरता और स्थिरता चाहिए। इन्हें अनिश्चितता से डर लगता है कि पता नहीं क्या हो जाएगा । इसलिए इस निरंतरता का मतलब साफ है कि ये लोग मोदी जी को चाहते हैं। गठबंधन सरकार के आसार से बाजार बेजार बाजार में जो गिरावट है वो ये बताती है कि थ्प्प् बेचकर निकल रहे हैं, कुछ प्लेयर शॉर्ट कर रहे हैं। कुछ प्लेयर कुछ दिनों से बेच रहे हैं और कैश लेकर के घर में बैठ गए हैं। कुछ लोग अभी गंभीरता से सोच रहे हैं कि पांचवें चरण के बाद के नंबर अगर ये बता रहे हैं कि बीजेपी अकेले बहुमत के आंकड़े तक नहीं पहुंच रही है और गठबंधन सरकार आने वाली है। यह बात उन्हें बेचैन कर रही है । उन्हें लगता है कि चुनाव नतीजों के बाद बाजार गिरेगा और पता नहीं कितना गिरेगा। क्योंकि इसके पहले बाजार हमेशा चुनाव नतीजों के बाद ऊपर चढ़ा है। सिर्फ दो बार ऐसा हुआ है कि नतीजों के बाद बाजार नीचे गया है। इस बीजेपी की बहुमत वाली सरकार न बनने की स्थिति में ये गिरावट 5 परसेंट होगी या 10 परसेंट होगी, इसका कोई अनुमान लगा नहीं सकता है। तो बाजार अब इस बात को लेकर नर्वस हो रहा है कि अगर अकेले बीजेपी के बहुमत वाली सरकार नहीं आती है और गठबंधन सरकार बनती है तब पता नहीं इकोनॉमी का क्या होगा और बाजार का क्या होगा।

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