लखनऊ, नवसत्ता :- “अपराधी द्वारा किये गए अपराध को जब तक घाटे का सौदा न बना दिया जाए तब तक अपराध कम नहीं हो सकता. अपराधी को यह महसूस होना चाहिए की उसने अपराध किया है जिससे उसे आत्मग्लानि हो और वह अपराध न करे”। यह विचार उत्तर प्रदेश के डायरेक्टर जनरल होमगार्ड्स एवं वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी बी.के. मौर्य ने आज लखनऊ विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग में “कारागार संस्कृति में सुधार: मानव केंद्रित डिजाइन के माध्यम से पुनर्वास को बढ़ावा देना” विषयक संपन्न हुए एक सत्र में दिए। उन्होंने कहा कि अपराध को रोकने में विश्वविद्यालयों कि बड़ी अहम् भूमिका है। यहाँ बच्चे समाज के ज़िम्मेदार नागरिक बनने के साथ एक उत्कृष्ट व्यक्ति भी बनते हैं।
उन्होंने समाज कार्य विभाग में चल रहे परास्नातक स्तर के क्रिमिनॉलिजी एंड क्रिमिनल जस्टिस एडमिनिस्ट्रेशन कोर्स का ज़िक्र करते हुए कहा कि इस कोर्स में पढ़ रहे शिक्षकों और छात्रों की महती भूमिका जेल सुधार में हो सकती है, क्योंकि यहाँ शिक्षण के साथ अपराध सुधार का व्यावहारिक प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इस कोर्स के छात्र और शिक्षक अपने अनुभव द्वारा निश्चय ही सजा पूर्ण होने वाले व्यक्तियों के पुनर्वास के लिए एक कार्यक्रम भी बना सकेंगे।
दीप प्रज्वलन के साथ सत्र का प्रारंभ हुआ जिसमे अपने स्वागत उद्बोधन में विश्वविद्यालय के मुख्य कुलानुशासक एवं समाज कार्य के विभागाध्यक्ष प्रो. राकेश द्विवेदी ने सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि बी. के. मौर्य जी को हम लोग अक्सर टीवी में देखते थे लेकिन आज वो हमारे समक्ष उपस्थित है ये हमारे विभाग के लिए अत्यंत हर्ष की बात है।
उन्होंने जेल में बंद अपराधियों के विषय पर सुधारात्मक प्रणाली पर जोर देते हुए कहा कि अपराधियों की मानसिक स्थिति पर काम करने के साथ समय-समय पर उनकी काउंसलिंग भी करनी चाहिए ताकि उन्हें फिर से स्वस्थ रूप से समाज की मुख्यधारा में जोड़ा जा सके। कार्यक्रम में विभाग के शिक्षक डॉ. रजनीश कुमार यादव द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया. प्रो. राज कुमार सिंह, प्रो. डी. के. सिंह, प्रो. रूपेश कुमार, डॉ. रमेश त्रिपाठी, डॉ. अन्विता वर्मा, डॉ. शिखा सिंह, डॉ. गरिमा सिंह सहित विभाग के कर्मचारीगं, एन. सी. सी. के कडेट्स के साथ छात्र एवं छात्राओं की उपस्थिति रही. कार्यक्रम का सञ्चालन डॉ. ओमेन्द कुमार यादव द्वारा किया गया.