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एएसआई सर्वे रिपोर्ट का दावा ज्ञानव्यापी मस्जिद में मिले मंदिर के ढांचे के प्रमाण

वाराणसी, नवसत्ता :- वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर की एएसआई सर्वे रिपोर्ट के आधार पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने दावा किया है कि रिपोर्ट में मंदिर होने के 32 सबूत मिले हैं और दीवारों पर कन्नड़, तेलुगु, देवनागरी और ग्रंथा भाषाओं में लेखनी मिली है। इसके साथ ही, वह बता रहे हैं कि मस्जिद के सारे पिलर पहले मंदिर के थे, जिन्हें मॉडिफाई कर मस्जिद में इस्तेमाल किया गया है। मस्जिद की पश्चिमी दीवार से साफ पता चलता है कि वह मंदिर की दीवार है और इसके नीचे 1 हजार साल पुराने अवशेष भी मिले हैं। इस विषय पर मुस्लिम पक्ष ने रिपोर्ट पढ़ने के बाद कुछ कहने का इंतजार कर रहा है।विष्णु शंकर जैन ने बताया कि मस्जिद का गुंबद 350 साल पुराना है और हनुमान और गणेश की खंडित मूर्तियां भी मिली हैं।

उन्होंने कहा कि दीवार पर त्रिशूल की आकृति भी मौजूद है और मस्जिद में औरंगजेब काल का शिलापट भी मिला है। तहखाना एस 2 में भी हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां मिली हैं। एएसआई ने जदुनाथ सरकार के निष्कर्ष पर भरोसा जताया है कि 2 सितंबर 1669 को मंदिर ढहा दिया गया था।24 जनवरी को वाराणसी कोर्ट ने सर्वे रिपोर्ट की हार्ड कॉपी को दोनों पक्षों को देने का फैसला सुनाया। इसके बाद सीलबंद रिपोर्ट 24 जनवरी को वाराणसी कोर्ट के पटल पर रखी गई और जज के सामने लिफाफा खोला गया। प्रति पेज की 2 रुपए की दर पर रिपोर्ट को देने का निर्णय लिया गया।जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने कहा- दोनों पक्ष रिपोर्ट के लिए अप्लाई कर सकते हैं। रिपोर्ट में मिलने के बाद दोनों पक्ष 6 फरवरी तक आपत्ति दर्ज करवा सकते हैं।

इसके बाद हिंदू पक्ष की तरफ से विष्णु शंकर जैन और सुधीर उपाध्याय, चारों वादिनी महिलाएं और मुस्लिम पक्ष से वकील अखलाक अहमद समेत 13 लोगों ने रिपोर्ट के लिए आवेदन किया। इसके बाद रिपोर्ट की फोटो कॉपी कराई गई। फिर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन और सुधीर उपाध्याय और मुस्लिम पक्ष के अखलाक अहमद को रिपोर्ट सौंपी गई। बाकी 10 लोगों को कल यानी शुक्रवार को रिपोर्ट सौंपी जाएगी।18 दिसंबर को एएसआई ने कोर्ट में सील बंद लिफाफे में स्टडी रिपोर्ट सौंपी थी। इसी दिन हिंदू पक्ष ने कोर्ट से सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की थी, लेकिन मुस्लिम पक्ष ने इस पर आपत्ति जताई थी। बाद में मुस्लिम पक्ष ने भी कोर्ट से कॉपी सौंपने की मांग की थी, जिस पर 3 जनवरी को सुनवाई होनी थी। हालांकि, उस दिन सुनवाई नहीं हुई और इसके बाद 5 जनवरी को कोर्ट में सुनवाई हुई, लेकिन कोई फैसला नहीं आया। इसके बाद 24 जनवरी की सुनवाई में कोर्ट ने सर्वे रिपोर्ट की हार्ड कॉपी दोनों पक्षों को देने का फैसला सुनाया।

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