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महानाट्य जाणता राजा : जय भवानी-जय शिवाजी के उद्घोष गूंज उठा पण्डाल

लखनऊ (नवसत्ता) :- महाराज छत्रपति शिवाजी के जीवन चरित्र पर आधारित महानाट्य जाणता राजा के चौथे दिन आज रविवार को जनेश्वर मिश्र पार्क के पण्डाल में प्रदेश के अनेक जनपदों से आये हजारों दर्शकों में राष्ट्रप्रेम के प्रति झलक तब दिखायी दी जब खचाखच भरे पण्डाल में जय भवानी-जय शिवाजी के उद्घोष गूंज उठा। सायं 5 बजे नाट्य शुरू होते ही दर्शकों में उत्साह और स्फूर्ति दिखायी दे रही थी। नाट्य के दौरान भारत का शौर्य पराक्रम और स्वाभिमान साक्षात शिवाजी महाराज में दिखाई दे रहा था। शिवाजी ने राजा बनने के समय शपथ लेते हुए कहा कि ’’यह पृथ्वी मेरी पत्नी है और यह प्रजा मेरी संतान है, राजा होने के नाते मैं इसका पालन पोषण और संरक्षण करूंगा। अगर मेरे कर्तव्य पालन में कोई गलती होती है तो मैं स्वयं राज्य का त्याग कर दूँगा।’’

राष्ट्रधर्म और राज धर्म दोनों की शिक्षा इस विषाल नाट्य के द्वारा लखनऊ सहित आस-पास के कई जिलों के हजारों दर्शक पा रहे हैं। शिवाजी ने यह भी कहा कि जो व्यक्ति चरित्रवान, नैतिक और राष्ट्र भक्त है वही वास्तव में राजा होने का अधिकारी होता है। उन्होंने ने अपनी माँ साहब जीजाबाई को वचन दिया कि मैं अपनी प्रजा और सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए स्वराज की स्थापना करूंगा इसके लिए चाहे मुझे अपने प्राणों का बलिदान भी क्यों न देना पड़े। इस दिव्य चरित्र वाले नाट्य जाणता राजा को प्रतिदिन हजारों विद्यार्थी, युवा, बुजुर्ग एवं बच्चे देख रहे हैं।

दर्शकों में कई लोग यह कहते सुनायी दिये कि इस नाट्य से आगे आने वाली पीढ़ी को बहुत लाभ होगा और यह अनूठा नाट्य राष्ट्रधर्म से ओतप्रोत है। नाट्य के दौरान दर्षकों में जोश और भावुकता तब दिखायी दी जब तत्कालीन मुगलशासक शिवाजी के शौर्य, पराक्रम और त्याग से भयभीत दिखाई दिया। मुगल शासक ने अपने सभी सेनापतियों और सरदारों को फटकार लगाते हुए नसीहत दी कि इस समुद्र जैसी मुगल सेना को एक शिवाजी ने अपनी छोटी सेना से छिन्न-भिन्न कर दिया और तुम लोग पीठ दिखाकर भागे। उसने कहा लानत है तुम लोगों की वीरता पर। मुगल शासक ने शिवाजी की तारीफ करते हुए कहा कि वाह ! योद्धा और वीर हो तो शिवाजी जैसा। इस तीन घंटे के मंचन को देख रहे हजारों दर्शक झूम उठे और बीच-बीच में जय भवानी-जय शिवाजी के नारों से पण्डाल गूंजने लगा।

मंचन के दौरान शिवा की माता जीजाबाई ने मुगलिया शासन के खिलाफ ललकार भरते हुए अपने पुत्र शिवाजी से कहा कि तुम साक्षात शिव और माता तुलजा भवानी के अवतार हो। तुम्हारे साथ तुम्हारी माता और सारी प्रजा का आशीर्वाद है। तुम स्वयं अपनी सेना को तैयार करो और मुगल शासन की धज्जियां उड़ा दो। माता जीजाबाई के आदर्ष और संस्कारों से ओतप्रोत होकर शिवाजी ने वैसा ही किया और एक शक्तिशाली राजा साबित हुए। दिव्य प्रेम सेवा मिशन के द्वारा दिनाँक 26 से 31 अक्टूबर  तक हिंदवी स्वराज्य स्थापना के 350वें वर्ष पर छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित विश्व के सबसे बड़े महानाट्य ‘जाणता राजा’ का आयोजन लखनऊ, उ0प्र0 के जनेश्वर मिश्र पार्क में किया जा रहा है।

आज कार्यक्रम के दौरान अतिथि के रूप में  आर0पी0एन0 सिंह संरक्षक दिव्य प्रेम सेवा मिषन, न्यायमूर्ति  बृजराज सिंह , महेष चन्द्र चतुर्वेदी  उपाध्यक्ष दिव्य प्रेम सेवा मिशन,  विमल श्रीवास्तव  अपर महाधिवक्ता,  राकेश शर्मा  विषेष सचिव,  वी0के0 सिंह  प्रशासनिक अधिकारी, श्रीमती रीनूरंग भारती  सहायक निदेशक,  आशुतोष त्रिवेदी  प्रबन्ध सलहकार,  अनिल गोयल  संरक्षक दिव्य प्रेम सेवा मिशन, कार्यक्रम प्रभारी  कामेश्वर सिंह , स्वयं सेवक प्रशान्त भाटिया, मुख्य कार्यक्रम संयोजक अमरजीत मिश्रा,  राघवेन्द्र सिंह, जयवीर सिंह तोमर राजेन्द्र सिंह  ’बृजेश ’ संरक्षक दिव्य प्रेम सेवा मिशन, रिषी चौरसिया ,  प्रमोद शर्मा ,  भवानी भट्ट जी,  रामशकर राजपूत , सोनू सेंगर , डॉ0 अवधेश कुमार , श्रीमती सुनीता सिंह , प्रमोद सिंह ,  परीक्षित सिंह , अशोक सिंह , डॉ0 नितिन अग्रवाल जी, विनय चौधरी , विजय राज सिंह , नन्दलाल ,  चन्द्रप्रकाश चौहान ,  सुमन पाण्डे  एवं श्रीमती ईशा मित्तल  सहित प्रदेश व महानगर के हजारों दर्शक उपस्थित रहे। दिव्य प्रेम सेवा मिषन के द्वारा विगत 27 वर्षाें से जो हरिद्वार में कुष्ठ पीड़ित, अनाथ, असहाय निराश्रित लोगों के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य एवं स्वावलम्बन के अनेक प्रकल्पों का संचालन निःशुल्क रूप से समाज के सहयोग से निरन्तर कर रहा है। इसमें कुष्ठ रोग से पीड़ित सभी रोगियों की निःशुल्क चिकित्सा एवं उनके बच्चां की शिक्षा-दीक्षा का भी कार्य लगातार किया जा रहा है।

दिव्य प्रेम सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. आशीष गौतम जी ने कहा कि इस महानाट्य को आयोजित करने का निर्णय दो सात्विक उद्देश्यों के लिए किया गया है पहला यह कि वर्तमान युवा पीढ़ी के सामने एक ऐसे महान योद्धा के चरित्र की प्रस्तुति हो जिसे देखकर व समझकर युवा पीढ़ी अपने जीवन की दषा-दिशा तय कर सकें। अपनी संस्कृति एवं इतिहास अनेक वीरों की शौर्य गाथाओं से भरा हुआ है परन्तु समाज के एक बड़े वर्ग को इसकी जानकारी तक नही है।

उन्ही वीरों में से एक हैं छत्रपति शिवाजी महाराज हैं। दूसरा पवित्र उद्देश्य यह है कि संवेदनशील समाज को दिव्य प्रेम सेवा मिशन के सेवा कार्यों से जोड़ना। डॉ. आषीष गौतम जी ने आगे बताया कि कार्यक्रम को सवा लाख लोगों को दिखाने का लक्ष्य रखा गया है जो निरन्तर पूर्णता की ओर है। सेवा मिशन के संयोजक  संजय चतुर्वेदी  ने बताया कि इस दिव्य नाट्य को देखने के बाद विद्यार्थी, युवा एवं समाज के अनेक वर्ग के लोग अपने पुराने इतिहास और आदर्षों को जान और समझ रहे हैं। इससे समाज में आने वाली युवा पीढ़ी में चरित्र और संस्कार का निर्माण भी होगा। कार्यक्रम आयोजन से आम नागरिकों के साथ छात्रों, व्यवसायिक, राजनैतिक, चिकित्सा, शिक्षा, न्यायपालिका आदि क्षेत्रों से जुडे़ हजारों लोगों में अपार उत्साह देखने को मिल रहा है।

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