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सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से किया इनकार

नई दिल्ली,नवसत्ताः देश के उच्चतम न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की विशेष पीठ ने आज समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट के लिखे फैसले से सहमति जताई। इसके साथ ही न्यायमूर्ति भट्ट ने कहा कि समलैंगिक जोड़ों को बिना किसी बाधा एवं परेशानी के एक साथ रहने का अधिकार है।

न्यायमूर्ति भट्ट ने प्रधान न्यायाधीश, न्यायमूर्ति कौल की इस बात से सहमति जताई कि संविधान में विवाह के किसी मौलिक अधिकार की गारंटी नहीं दी गई है। न्यायमूर्ति भट्ट ने कहा कि कानून के अभाव में विवाह का कोई योग्य अधिकार नहीं है। न्यायमूर्ति भट्ट ने गोद लेने के समलैंगिक जोड़ों के अधिकार पर प्रधान न्यायाधीश से असहमति जताई और कहा कि उन्होंने कुछ चिंताएं व्यक्त की हैं।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की खंडपीठ ने 11 मई, 2023 को मामले में आरक्षित फैसले पर 18 अप्रैल को मामले की सुनवाई शुरू की थी। जस्टिस भट्ट 20 अक्टूबर, 2023 को रिटायर्ड होने वाली है, इसलिए विवाह समानता पर निर्णय जल्द ही आने की उम्मीद है।

विशेष विवाह अधिनियम 1954, हिंदू विवाह अधिनियम 1955 और विदेशी विवाह अधिनियम 1969 के प्रावधानों को चुनौती देने वाली विभिन्न सेम-सेक्स वाले जोड़ों, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों और एलजीबीटीक्यूआईए + एक्टिविस्ट द्वारा दायर की गई बीस याचिकाएं हैं, जिन पर फैसला किया जाएगा। कानून गैर-विषमलैंगिक विवाहों को मान्यता नहीं देते हैं। सुनवाई के दौरान, खंडपीठ ने कहा कि वह इस मुद्दे को केवल विशेष विवाह अधिनियम तक ही सीमित रखेगी और व्यक्तिगत कानूनों को नहीं छुएगी।

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