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इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद एएसआई कल से सर्वे शुरू करेगा

प्रयागराज ,(नवसत्ता )-इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को सर्वेक्षण करने की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने ज़िला कोर्ट के फैसले को तत्काल प्रभाव से प्रभावी करने के लिए भी कहा है। कोर्ट के फैसले के बाद एएसआई कल से सर्वे शुरू करेगा ।

कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के सर्वे करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि इस सर्वे से किसी को नुकसान नहीं है। इसलिए यह जारी रहेगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण कराने के जिला कोर्ट के फैसले को जारी रखने की अनुमति देिये जाने से मुस्लिम पक्ष को तगड़ा झटका लगा है।

मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में जिला कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को हाई कोर्ट भेजा था। आज मुस्लिम पक्ष की याचिका को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया।

न्याय के लिए यह सर्वे महत्वपूर्ण

कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि न्याय के लिए यह सर्वे जरूरी है। कुछ शर्तों के साथ इसे लागू करने की जरूरत है। सर्वे करिए, लेकिन बिना खुदाई किए। जुलाई के अंतिम सप्ताह में कोर्ट में दोनों पक्षों की तरफ से लगातार दो दिन बहस चली थी। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद 27 जुलाई को अपने फैसले को रिजर्व कर लिया था। पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने एएसआई से सुनवाई खत्म होने तक मस्जिद का सर्वे शुरू न करने को कहा था।

इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वेक्षण की अनुमति देने पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण एएसआई को सर्वेक्षण करने के लिए कहा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ज़िला कोर्ट के फैसले को तत्काल प्रभाव से प्रभावी करने के लिए भी कहा है।

कोर्ट में दलील देते हुए मुस्लिम पक्ष के वकील एसएफए नकवी ने असमायिक अदालती आदेश के जरिये ज्ञानवापी के वैज्ञानिक सर्वेक्षण से ज्ञानवापी के मूल ढांचे को नुकसान पहुंचने की आशंका जताई थी। उन्होंने यह भी कहा था कि अयोध्या के बाबरी मस्जिद विध्वंस का दंश देश ने झेला है। सिविल वाद में पोषणीयता का बिंदु तय किये बिना जल्दबाजी में सर्वेक्षण और खोदाई का फैसला घातक हो सकता है।

इस फैसले का इंतजार हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष की ओर से किया जा रहा था।

वाराणसी कोर्ट के जिला जज डॉ.अजय कुमार विश्वेश ने ज्ञानवापी सर्वे का कराने का आदेश जारी किया था। अब जिला कोर्ट के इस फैसले को हाई कोर्ट ने जारी रखने का आदेश जारी किया है।जिसके बाद ज्ञानवापी परिसर के एएसआई पर लगी रोक भी हट गई है। बताया जा रहा है कि मुस्लिम पक्ष एएसआई सर्वे पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सकता है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के तरफ से जारी इस फैसले के बाद मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रहा है। मुस्लिम पक्ष एएसआई सर्वे पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सकता है।

मुस्लिम पक्षकार बोले ,हर जज का अपना नजरिया.

अंजुमन इंतजामिया कमेटी का कहना है कि अभी उनके पास हाईकोर्ट के फैसले की कॉपी नहीं आई है। कमेटी ने वाराणसी जिला अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी के एएसआई सर्वे पर रोक लगाने से इन्‍कार कर दिया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी पर वाराणसी जिला अदालत के दिए गए सर्वे के आदेश को बरकरार रखा है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि सर्वे का काम किया जा सकता है। इस बीच मुस्लिम पक्ष ने अपनी पहली प्रतिक्रिया अंजुमन इंतजामिया कमेटी के महासचिव यासीन ने बताया कि अभी उन्हें फैसले की पूरी जानकारी नहीं है। सिर्फ इतना पता चला है कि सर्वे के आदेश को बरकरार रखा गया है। आगे की रणनीति वह अपने कानूनी सलाहकारों के साथ बैठकर तय करेंगे।
अंजुमन इंतजामिया कमेटी के महासचिव यासीन ने कहा कि वाराणसी जिला अदालत के फैसले को हम ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के जज ने इस फैसले पर रोक लगाते हुए हाईकोर्ट में अपील करने का निर्देश दिया था। हाईकोर्ट में हम लोगों ने अपने तर्क रखें जिसके बाद हाईकोर्ट ने सर्वे के आदेश को बरकरार रखा है लेकिन कुछ निर्देश भी दिए हैं। जिसके बारे में हम अपने कानूनी सलाहकारों से पूछ रहे हैं। हर जज का अपना एक नजरिया होता है और उसी नजरिए के हिसाब से कानून की व्याख्या करके आदेश देता है। पूरे फैसले का अध्ययन किए हुए हम लोग किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकते हैं। लेकिन इतना तय है कि हम लोग कानूनी रूप से क्या किया जा सकता है इस पर विचार करेंगे।

इंडियन मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड जाएगी सुप्रीम कोर्ट: मो. सुलेमान

दूसरी ओर, कानपुर में इंडियन मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के सदस्य मो सुलेमान ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्‍होंने कहा कि बीजेपी मुद्दों की नहीं एजेंडों की बात करती है। देश की संसद ने 1991 में कानून बनाया था कि सभी धार्मिक स्थलों को यथास्थिति में बनाए रखा जाएगा। बीजेपी ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही है। ज्ञानवापी में एएसआई सर्वे के दौरान मस्जिद को क्षति पहुंच सकती है। इंडियन मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएगा।

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