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सरकार गिराना नहीं, ‘घेरना’ मकसद है विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का

संवाददाता
नई दिल्ली,नवसत्ताः मोदी सरकार के खिलाफ लाये गये दूसरे अविश्वास प्रस्ताव की मंजूरी मिलने के साथ ही इस बात पर भी चर्चा शुरू हों गई है कि संख्या बल के न होने के बावजूद आखिर विपक्ष क्यों यह प्रस्ताव लाया है। इस पर विपक्षी नेताओं ने कहा है कि प्रस्ताव मणिपुर पर प्रधानमंत्री की चुप्पी तुड़वाने के लिए लाया जा रहा है। उधर सरकार की ओर से कहा गया है कि वह विपक्ष के प्रस्ताव पर चर्चा को तैयार है। पूर्व की भांति इस बार भी विपक्ष को मुंह की खानी पड़ेगी।
कांग्रेस और बीआरएस पार्टियों ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। कांग्रेस की तरफ से लोकसभा में पार्टी के उपनेता गौरव गोगोई ने और बीआरएस की तरफ से लोकसभा में पार्टी के नेता नमा नागेश्वर राव ने प्रस्ताव पेश किया। स्पीकर ओम बिरला ने आज प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।

क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव
अगर कम से कम 50 सदस्य समर्थन देते हैं तो स्पीकर को प्रस्ताव को मानना पड़ता है और फिर आगे की कार्रवाई शुरू होती है। उसके बाद स्पीकर प्रस्ताव पर चर्चा के लिए समय तय करते हैं। चर्चा पूरी हो जाने के बाद उसपर मतदान होता है। अगर बहुमत प्रस्ताव के पक्ष में पड़ा तो प्रस्ताव पारित हो जाता है और सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है। अप्रैल 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार एक वोट से अविश्वास प्रस्ताव हार गई थी और सरकार को इस्तीफा देना पड़ा था।

मोदी सरकार को कोई खतरा नहीं
सम्पूर्ण विपक्ष की ओर से लाये गये अविश्वास प्रस्ताव को लेकर सरकार पर कोई खतरा नहीं है। संख्या बल के आधार पर दोनों सदनों में सत्ता पक्ष मजबूत है। भाजपा की अगुआई वाली एनडीए सरकार के पास अभी लोकसभा में 330 से ज्यादा सांसदों का समर्थन है। अकेले भाजपा के 301 सांसद हैं। वहीं, विपक्षी खेमे यानी इंडिया गठबंधन के पास लोकसभा में 142 और राज्यसभा में 96 सांसद हैं।
मौजूदा लोकसभा में विपक्षी पार्टियों में अकेले कांग्रेस के पास ही 50 सांसद हैं। बीआरएस के पास लोकसभा में नौ सदस्य हैं, जो प्रस्ताव को अतिरिक्त बल देंगे। इसके अलावा कई और विपक्षी पार्टियों के भी समर्थन की उम्मीद की जा रही है। हाल ही में विपक्षी पार्टियों की एक बैठक में 26 पार्टियां शामिल हुई थीं।

मणिपुर का सवाल
प्रस्ताव को पारित कराने के लिए इतनी संख्या काफी नहीं है, इसलिए इस प्रस्ताव के सफल होने की उम्मीद नहीं की जा रही है। लेकिन विपक्ष के कुछ नेताओं का कहना है कि सवाल संख्या का नहीं बल्कि मणिपुर पर प्रधानमंत्री की चुप्पी को तुड़वाने का है।

यह मोदी सरकार के खिलाफ लाया जाने वाला दूसरा अविश्वास प्रस्ताव है. पहला प्रस्ताव 2018 में लाया गया था, जिसके अंत में सरकार को 325 और विपक्ष को 126 वोट मिले थे। गौरतलब है कि संसद के इतिहास में आज तक 27 पास अविश्वास प्रस्ताव लाये गए हैं, जिनमें से सिर्फ एक सफल हुआ है। .
सरकार की तरफ से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि लोगों को पीएम मोदी और भाजपा पर भरोसा है। वे (विपक्ष) पिछले कार्यकाल में भी अविश्वास प्रस्ताव लाए थे। इस देश की जनता ने उन्हें (विपक्ष) सबक सिखाया है।
केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, अविश्वास प्रस्ताव आने दीजिए, सरकार हर स्थिति के लिए तैयार है। हम मणिपुर पर चर्चा चाहते हैं।

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