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दोषियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही होगी ,किसी को नहीं बख्शेंगे : एन बीरेन सिंह

मणिपुर/नवसत्ता -पिछले कई महीनों से लगातार हिंसा की आग में जल रहे मणिपुर का एक वीडियो वायरल होने के बाद से बवाल और बढ़ गया है। इसको लेकर राजनीति गर्म हो गई है। हालांकि, दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात की जा रही है। लेकिन विपक्षी लगातार भाजपा पर निशाना साध रहे हैं। इतना ही नहीं, विपक्षी दलों की ओर से मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का इस्तीफा की मांगा किया जा रहा है। एन बीरेन सिंह ने साफ तौर पर कहा है कि मेरा काम राज्य में शांति स्थापित करना है और मैं इस काम को कर रहा हूं। किसी भी उपद्रवी तत्व को हम नहीं छोड़ेंगे।

मणिपुर की घटना को लेकर राज्य भर में लोग सड़को पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और मांग कर रहे हैं की आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए । उन्होंने कहा कि आरोपी नंबर एक, जिसे पहले गिरफ्तार किया गया था, कल उसका घर महिलाओं ने जला दिया था। उन्होंने कहा कि मणिपुर का समाज महिलाओं के खिलाफ अपराध के खिलाफ है। वे महिलाओं को अपनी मां मानते हैं। यह विरोध आरोपियों को सजा दिलाने के लिए सरकार का समर्थन करने के लिए है। मणिपुर में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर अपने इस्तीफे की मांग पर प्रतिक्रिया देने के लिए पूछे जाने पर, सीएम एन बीरेन सिंह कि मैं इसमें नहीं जाना चाहता। मेरा काम राज्य में शांति लाना है। समाज में उपद्रवी हर जगह हैं लेकिन हम उन्हें नहीं छोड़ेंगे।”

इससे पहले मणिपुर पुलिस ने सेनापति जिले के एक गांव में दो जनजातीय महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने और भीड़ द्वारा उनसे छेड़छाड़ किए जाने संबंधी चार मई की घटना के वीडियो में नजर आ रहे मुख्य आरोपियों में से एक को बृहस्पतिवार को गिरफ्तार कर लिया था। मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि वह सभी आरोपियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे और मृत्युदंड दिलाने का प्रयास भी करेंगे। उन्होंने कहा कि बुधवार को घटना का वीडियो सामने आने के तुरंत बाद पुलिस की कई टीम का गठन किया गया था और कथित मुख्य साजिशकर्ता बताए जा रहे व्यक्ति को थाउबल जिले से गिरफ्तार कर लिया गया। संबंधित आरोपी 26 सेकंड के वीडियो में प्रमुखता से दिखाई दे रहा है।

हम चर्चा के लिए तैयार : राजनाथ सिंह

संसद के मानसून सत्र के आज दूसरे दिन भी हंगामा जारी रहा। हंगामे की वजह से संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही सोमवार सुबह 11:00 बजे तक स्थगित कर दी गई है। आज लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही हंगामा तेज हो गया। दिल्ली में सेवा मामले पर अध्यादेश कोर्ट में विचाराधीन होने के बावजूद सरकार द्वारा उसके स्थान पर विधेयक लाए जाने का विरोध हुआ। विपक्षी दलों ने जबरदस्त तरीके से हंगामा किया। इसके बाद सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दी गई। वहीं, राज्यसभा की भी कार्यवाही मणिपुर मामले को लेकर हंगामे की भेंट चढ़ गया। संसद के दोनों सदनों में मणिपुर मामला उठा।

twitter.com/rajnathsingh/status/1682275567029334016?s

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा कि मणिपुर की घटना पर सरकार संसद में चर्चा करना चाहती है, लेकिन विपक्ष गंभीर नहीं है। लोकसभा में मणिपुर के विषय पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच सरकार का पक्ष रखते हुए सदन के उप नेता सिंह ने यह भी कहा कि कुछ राजनीतिक दल ऐसी स्थिति पैदा करना चाहते हैं कि सदन में मणिपुर के विषय पर चर्चा नहीं हो। उन्होंने कहा कि मणिपुर की घटना की गंभीरता को समझते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं कहा है कि इससे पूरा राष्ट्र शर्मसार हुआ है और कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी।

सरकार ने शुक्रवार को कहा कि जिला स्तर पर न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के गठन के प्रस्ताव पर फिलहाल आम-सहमति नहीं बनी है। विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि इस प्रस्ताव पर राज्य सरकारों और उच्च न्यायालयों के विचार पूछे गये थे। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने शुक्रवार को उच्च सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को उनके 81वें जन्मदिन पर बधाई दी और कहा कि उनके विवेक व हास-परिहास का अंदाज सताते हुए मौसम को भी बदल देता है।

मणिपुर हिंसा, दिल्ली के सेवा मामले पर अध्यादेश के अदालत में विचाराधीन होने के बावजूद सरकार द्वारा उसके स्थान पर विधेयक लाए जाने और सदन की कार्यवाही से कुछ अंशों को हटा देने के मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही शुक्रवार को एक बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई। ढाई बजे जैसे ही दोबारा सदन की बैठक शुरु हुई सभापति जगदीप धनखड़ ने दिल्ली के उपराज्यपाल को शक्तियां प्रदान करने के प्रावधान वाले ‘राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक’ का जिक्र किया। इसी समय संजय सिंह सहित आम आदमी पार्टी (आप) के सदस्यों ने इसका विरोध किया और इस कदम को ‘गैर संवैधानिक’ बताया।

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