उन्होंने कहा, ‘‘राज्यसभा में विधेयक पास कराने के लिए अपने दल का व्यक्ति लगाए हुए हैं और बिहार में महागठबंधन बनाकर प्रदेश की जनता को फिर से ठगने का प्रयास कर रहे हैं।’’ किशोर ने बुधवार को पश्चिम चंपारण जिले में, जहां वह राज्यव्यापी पदयात्रा के तहत तीन सप्ताह से हैं, एक जनसभा में यह आरोप लगाया था। संभावना जताई जा रही है कि इस पदयात्रा के बाद किशोर एक राजनीतिक दल का गठन कर सकते हैं। चुनावी रणनीतिकार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से यह भी कहा था कि कुमार ने हरिवंश के माध्यम से भाजपा के साथ संवाद का रास्ता खुला रखा है।
उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा से नाता तोड़ने के बाद नीतीश कुमार को हरिवंश को पद छोड़ने के लिए कहना चाहिए था। अगर वह इस पद पर बने रहते तो उन्हें जदयू से निष्कासित किया जा सकता था। पर नीतीश ने भविष्य को ध्यान में रखते हुए विकल्प खुला रखा है। हाल के दिनों में कई बार नीतीश पर प्रहार कर चुके किशोर ने बृहस्पतिवार को कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री ने वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराने के नाम पर वोट मांगे थे, लेकिन दो साल बाद जनता को धोखा दिया।
उन्होंने कहा कि वह आज फिर भाजपा के साथ लड़ाई का नाटक कर रहे हैं, वह फिर से पलट सकते हैं। नरेंद्र मोदी, जगन मोहन रेड्डी और कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे दिग्गज नेताओं के कई सफल चुनाव अभियान को संभाल चुके किशोर ने पिछले साल पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद राजनीतिक परामर्श से अपनी सेवानिवृत्ति की घोषणा की थी। किशोर ने नीतीश पर अपना प्रहार जारी रखते हुए कहा कि वे मुझपर भाजपा का कठपुतली होने का आरोप लगा रहे हैं, पर पिछले साल विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराने में ममता बनर्जी की सहायता करने के लिए कौन गया था?
क्या यह नीतीश, लालू या तेजस्वी थे? नागरिकता संशोधन अधिनियम पर जदयू के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के साथ मतभेदों के बाद किशोर को पार्टी से निकाल दिया गया था। किशोर ने कहा, ‘‘अगर हमने पश्चिम बंगाल में भाजपा को नहीं हराया होता तो देश में एनआरसी लगा दिया जाता और फॉर्म भरने वालों की लंबी कतार लग जाती।’’ 45 वर्षीय किशोर ने अपने गृह राज्य में एक बेहतर विकल्प के साथ आने का जनता से वादा किया है।