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भारतीय सेना को श्रेष्ठ से श्रेष्ठतम बनाने का मार्ग है अग्निपथ: लेफ्टिनेंट जनरल शाही

युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 53वीं तथा राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की 8वीं पुण्यतिथि पर साप्ताहिक समारोह

‘भारतीय सेना और अग्निपथ’ विषयक संगोष्ठी में बोले राज्य आपदा प्रबंध प्राधिकरण के उपाध्यक्ष

गोरखपुर,नवसत्ता: राज्य आपदा प्रबंध प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, लेफ्टिनेंट जनरल आरपी शाही ने कहा कि भारतीय सेना दुनिया की श्रेष्ठ सेनाओं में से एक है. अग्निपथ दुनिया में एक बड़ी शक्ति के रूप में उभरते भारत, नए भारत, श्रेष्ठ भारत के अनुरूप सेना को श्रेष्ठतम बनाने का मार्ग है. आजादी के अमृत काल में भारतीय सेना भी पूरे विश्व में अद्वितीय हो, इस निमित्त अग्निपथ पहले प्रयास सरीखा है.

लेफ्टिनेंट जनरल शाही युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 53वीं तथा राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की 8वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक श्रद्धाजंलि समारोह के अंतर्गत शुक्रवार को ‘भारतीय सेना और अग्निपथ” विषयक संगोष्ठी को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि समर्थ और विकसित राष्ट्र की पहली व अनिवार्य शर्त है शांति. शांति के लिए शक्ति संतुलन अपरिहार्य है. भारत में इसी शक्ति संतुलन के लिए युगानुकूल परिवर्तन की बेहद महत्वपूर्ण शुरूआत है अग्निपथ योजना. शक्ति संतुलन से शांति और शांति के माध्यम से विकास. इस परिप्रेक्ष्य में अग्निपथ व्यावहारिक रूप में समग्र विकास की आधारशिला बनेगा.

उन्होंने कहा कि भारतीय सेना का इतिहास अत्यंत प्राचीन है. भारतीय सेना के शौर्य का भान व ज्ञान हमें रामायण तथा महाभारत काल से ही है. वर्तमान दौर में हमारी सेना थल, नभ और जल तीनों क्षेत्रों में बहुत तीव्र गति से आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है. स्वदेशी पोत, एयरक्राफ्ट, मिसाइलें आदि भारतीय सेना की नई पहचान बन रही हैं. सेना की नई और सुदृढ़ पहचान की महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में अग्निपथ का नाम भी जुड़ गया है. अग्निपथ के माध्यम से अपना देश प्रशिक्षित और अनुशासित युवाओं का देश बनेगा.

युवाओं के बहुआयामी भविष्य का मार्ग है अग्निपथ: प्रो भारती

संगोष्ठी में अपने विचार रखते हुए राष्ट्रीय रक्षा अकादमी पुणे के सेवानिवृत्त आचार्य प्रो राजेंद्र भारती ने कहा कि सेना का अग्निपथ वह मार्ग है जो कौशल विकास और अनुशासन से दक्ष कर युवाओं को उनके सुनहरे और बहुआयामी भविष्य की ओर उन्मुख करेगा. उन्होंने अग्निपथ योजना की विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि अग्निपथ में चार साल की सेवा के बाद युवाओं के पास सेना के साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी समायोजित होने का भरपूर अवसर होगा. 25 फीसद अग्निवीर योग्यता के अनुसार सेना में ही भर्ती कर लिए जाएंगे. जो 75 फीसद शेष रह जाएंगे उन्हें कंबाइंड आर्म्ड पुलिस फोर्सेज (सीएपीएफ) में भर्ती के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण व आयु सीमा में छूट मिलेगी.

इसके अलावा उन्हें डिफेंस पीएसयू, कोस्ट गार्ड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार आदि राज्यों की पुलिस में भर्ती होने की वरीयता मिलेगी. टाटा और महिंद्रा जैसी कई कंपनियों ने भी अग्निवीरों को सेवायोजित करने की बात कही है. यदि कोई अग्निवीर सेवा के बाद खुद का कारोबार शुरू करना चाहेगा तो सेवा पूर्ण होने पर मिलने वाले 11.70 लाख रुपए व बैंक लोन की मदद से वह बहुत कुछ कर सकेगा. उन्होंने अग्निवीर को चार सालों के दौरान मिलने वाले वेतन वह उसके बाद मिलने वाली एकमुश्त धनराशि के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

राष्ट्रधर्म का पथ है अग्निपथ : ब्रह्मचारी दास लाल

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए सिद्धगुफा, सवाई आगरा से पधारे ब्रह्मचारी दास लाल ने कहा कि अग्निपथ वास्तविक रुप से जीवन का पथ है. यह राष्ट्र धर्म का पथ है, जीवन के लक्ष्य को साधने का भी पथ है। जीवन की सफलता का पथ है. भारत माता की सेवा साधना का पथ है. मानव जीवन की मुक्ति का पथ है और युवाओं को राष्ट्रीय कर्तव्यों का बोध कराने का पथ है. संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो उदय प्रताप सिंह ने कहा कि हमारे देश की विविधता ही हमारी ताकत रही है. अग्निपथ अखिल भारतीय स्तर की भर्ती की योजना है और इसके माध्यम से हम अपनी विविधता की ताकत का सही इस्तेमाल कर पाएंगे.

संगोष्ठी का शुभारंभ ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ एवं ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के चित्रों पर पुष्पांजलि से हुआ. वैदिक मंगलाचरण डॉ रंगनाथ त्रिपाठी व गोरक्ष अष्टक का पाठ गौरव और आदित्य पांडेय ने किया. इस अवसर पर महंत शिवनाथ, महंत गंगा दास, राममिलन दास, महंत राम नाथ, महंत राजू दास, महंत मिथलेश नाथ, महंत रविंद्रदास, महंत पंचाननपुरी, गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ प्रदीप कुमार राव समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे.

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