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कौन बन रहा है डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक का स्पीड ब्रेकर?

नीरज श्रीवास्तव

लखनऊ,नवसत्ताः अपनी कार्यशैली से लम्बे समय से सुर्खियों में रहे डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक इस बार अपने अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखने के कारण चर्चा में हैं. उन्होंने अपने ही विभाग में चिकित्सकों के हुए तबादलों की जानकारी न होने और उसमें बरती गई अनियमतता को लेकर जो पत्र लिखा वह सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

इससे पहले भी पाठक अपने विभाग की कई गड़बड़ियां पकड़ चुके हैं परन्तु आरोपियों पर अब तक कोई कार्रवाई न होना यह साफ संकेत दे रहा है कि ब्रजेश पाठक की राह में कोई स्पीड ब्रेकर बना हुआ है. उधर विपक्ष भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरने का मौका नहीं छोड़ रहा है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दोबारा सत्ता संभालने के बाद शपथ ग्रहण में जिस नाम ने सबसे ज्यादा चैंकाया वह नाम ब्रजेश पाठक का था. ब्रजेश पाठक पिछली सराकर में कानून मंत्री थे. इस बार उन्हें सीधे डिप्टी सीएम बनाकर स्वास्थ्य जैसा महत्वपूर्ण मंत्रालय सौंप दिया गया.

दूसरी पार्टी यानी बसपा से आये किसी नेता को इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपना भाजपा के ही कई नेताओं को रास नहीं आया. स्वास्थ्य विभाग की गड़बड़ियों को उजागर करने में उनकी तेजी भी कई सफेदपोशों को रास नहीं आ रही है. यही नहीं उनकी संस्तुतियों पर कार्रवाई न होना चर्चा का विषय बन गया है.

सरकार के बीते सौ दिनों में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने लखनऊ समेत कई जिलों के अस्पतालों का दौरा किया, गड़बड़ियां भी पकड़ीं, लेकिन दोषियों के खिलाफ कोई बड़ा ऐक्शन नहीं हुआ. ब्रजेश पाठक ने गत 20 मई को दवाओं के सप्लाई कॉरपोरेशन का निरीक्षण किया था.

मौके पर उन्हें 16.40 करोड़ रुपये की एक्सपायर्ड दवाएं मिलीं. उन्होंने जांच करवाई. कमेटी ने कुछ ही दिन में जांच रिपोर्ट सौंप दी, लेकिन डेढ़ महीने से कार्रवाई का इंतजार हो रहा है. गत पांच जून को लखीमपुर में लावारिस ट्रक में मिली सरकारी एक्सपायर्ड दवाओं के मामले में भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

हाल यह है कि बीते तीन महीने में डिप्टी सीएम ने करीब एक दर्जन मामलों में ऐक्शन के लिए खुद आदेश दिए, लेकिन या तो कार्रवाई नहीं हुई.

जानकारों के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग में दवाओं की सप्लाई और आउटसोर्स पर कर्मचारियों को उपलब्ध करवाने का एक पूरा तंत्र है. इस तंत्र के साथ अधिकारियों और कर्मचारियों की साठगांठ के आरोप कई बार लग चुके हैं. सूत्रों का दावा है कि इस तंत्र की पैठ विभाग में इतने गहरे तक है कि इन पर कार्रवाई हो पाना आसान नहीं है. ड्रग कॉरपोरेशन के अध्यक्ष अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ही हैं, जिनसे तबादलों पर अब डिप्टी सीएम ने जवाब मांगा है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे पत्र में उन्होेंने आरोप लगाया है कि वर्तमान सत्र में जो भी स्थानांतरण किये गए हैं उनमें स्थानांतरण नीति का पूर्णतः पालन नहीं किया गया है.

गौरतलब है कि पिछली सरकार में कानून मंत्री रहते हुए भी ब्रजेश पाठक ने कोरोना काल में स्वास्थ्य महकमे पर खूब सवाल खड़े किए थे. तब भी अमित मोहन प्रसाद ही एसीएस स्वास्थ्य थे. अमित मोहन 14 फरवरी 2020 से इसी महकमे में हैं. इतने विवादों के बावजूद खबर लिखे जाने तक उनके खिलाफ सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया है. उधर विपक्ष भी इस मुद्दे पर सरकार की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा रहा है.

नेता प्रतिपक्ष व सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तो यहां तक कह दिया कि मंत्री की अपने ही विभाग में नहीं चल रही है. वे अपने ही विभाग के भ्रष्टाचार पर कार्रवाई नहीं  कर पा रहे हैं. विपक्ष के आरोपों के बीच यह प्रकरण सत्ता के गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है.

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