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राजीव गांधी हत्याकांड: 31 साल बाद जेल से बाहर आएगा एजी पेरारिवलन

नई दिल्ली,नवसत्ता: राजीव गांधी के हत्यारों में एक एजी पेरारिवलन की अब रिहाई हो रही है. 31 साल से अधिक पुरानी कैद को समाप्त करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जेल में उनके अच्छे आचरण, चिकित्सा स्थिति, शैक्षिक योग्यता को देखते हुए उन्हें रिहा करने का निर्देश दिया. बता दें कि जेल में बंद पेरारिवलन की दया याचिका दिसंबर 2015 से लंबित है.

राजीव गांधी की हत्या 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक बम धमाके में हुई थी. धमाके में उपयोग किए गए दो 9 वोल्ट की बैटरी खरीद कर मुख्य दोषी शिवरासन को देने के आरोप में ए. जी. पेरारिवलन को दोषी ठहराया गया था. दरअसल एजी पेरारिवलन एक प्रतिभाशाली इंजीनियरिंग छात्र था. गिरफ्तारी के बाद जेल में ही उसने पढ़ाई की. इसमें एक परीक्षा में वो गोल्ड मेडलिस्ट भी रहा. 11 जून 1991 में उसके घर से उसकी गिरफ्तारी हुई.

पेरारिवलन ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा था कि तमिलनाडु सरकार ने उसे रिहा करने का फैसला लिया था, लेकिन राज्यपाल ने फाइल को काफी समय तक अपने पास रखने के बाद राष्ट्रपति को भेज दिया था. यह संविधान के खिलाफ है.

मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर सरकार कानून का पालन नहीं करेगी, तो हम आंख मूंद नहीं सकते हैं. कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल कैबिनेट के फैसले को मानने के लिए बाध्य है, लेकिन अब तक इसे अमल में नहीं लाया गया है. इस मामले में दया याचिका राज्यपाल और राष्ट्रपति के बीच लंबित रहने के चलते सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है.

जस्टिस एल नागेश्वर राव और बीआर गवई की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, जेल में उनके संतोषजनक आचरण, मेडिकल रिकॉर्ड, जेल में हासिल की गई शैक्षणिक योग्यता और दिसंबर 2015 से तमिलनाडु के राज्यपाल के समक्ष अनुच्छेद 161 के तहत दायर उनकी दया याचिका की लंबित होने के कारण अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए आर्टिकल 142 के तहत हम याचिकाकर्ता को मुक्त होने का निर्देश देते हैं.

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