नई दिल्ली,नवसत्ता: हमारे देश में एक ओर ज्यूडिशरी की भूमिका संविधान संरक्षक की है, वहीं लेजिस्लेचर नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है. संविधान की इन दो धाराओं के संतुलन से ही जनता को न्याय मिलेगा. उक्त बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में कहीं. इस अवसर पर केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू और भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना भी शामिल थे.
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि आज का सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है, जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. आजादी के इन 75 सालों ने ज्यूडिशरी और एग्जीक्यूटिव दोनों के ही भूमिका और जिम्मेदारियों को निरंतर स्पष्ट किया है. जहां जब भी जरूरी हुआ, देश को दिशा देने के लिए ये संबंध लगातार विकसित हुआ है.
2047 में कैसी हो न्याय व्यवस्था?
पीएम ने सम्मेलन में कहा कि, 2047 में जब देश अपनी आजादी के 100 साल पूरे करेगा, तब हम देश में कैसी न्याय व्यवस्था देखना चाहेंगे? हम किस तरह अपने न्याय व्यवस्था को इतना समर्थ बनाएं कि वह 2047 के भारत की आकांक्षाओं को पूरा कर सके, उन पर खरा उतर सके, ये प्रश्न आज हमारी प्राथमिकता होना चाहिए.
न्याय व्यवस्था में टेक्नोलॉजी की भूमिका
पीएम मोदी ने आगे कहा कि भारत सरकार न्याय व्यवस्था में तकनीकी की संभावनाओं को डिजिटल इंडिया मिशन का एक जरूरी हिस्सा मानती है. उदाहरण के तौर पर, ई-कोर्ट परियोजना को आज मिशन मोड में लागू किया जा रहा है. आज छोटे कस्बों और यहां तक कि गांवों में भी डिजिटल ट्रांसजेक्शन आम बात होने लगी है. उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में पिछले साल जितने डिजिटल ट्रांजेक्शन हुए, उसमें से 40 प्रतिशत डिजिटल ट्रांजेक्शन भारत में हुए हैं.
कोर्ट में स्थानीय भाषाओं को दें प्रोत्साहन
पीएम मोदी ने कहा कि हमें कोर्ट में स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने की जरूरत है. इससे देश के सामान्य नागरिकों का न्याय प्रणाली में भरोसा बढ़ेगा, वो उससे जुड़ा हुआ महसूस करेंगे. उन्होंने कहा कि, एक गंभीर विषय आम आदमी के लिए कानून की पेंचीदगियों का भी है. पीएम मोदी ने कहा कि 2015 में हमने करीब 1800 ऐसे क़ानूनों को चिन्हित किया था जो अप्रासंगिक हो चुके थे. इनमें से जो केंद्र के कानून थे, ऐसे 1450 क़ानूनों को हमने खत्म किया, लेकिन राज्यों की तरफ से केवल 75 कानून ही खत्म किए गए हैं.