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स्टेशन पर समानांतर सरकार चला रहे रेल अधिकारी

रेलवे सहित तमाम विभागों को लगा रहे करोड़ों का चूना

अमरनाथ सेठ
मिर्जापुर, नवसत्ता: स्थानीय रेलवे स्टेशन पर तैनात अधिकारियों द्वारा निजी कमाई के चक्कर में समानांतर सरकार चलाते हुए रेल विभाग के अलावा आयकर, व्यापार कर तथा कस्टम्स एंड सेंट्रल एक्साइज को राजस्व हानि के रूप में करोड़ों रुपए प्रति वर्ष का चूना लगाया जा रहा है.

आरोप है कि यहां पार्सल घर से आयात/निर्यात किए जाने वाले कीमती सामानों यथा-रेडीमेड गारमेंट्स, पीतल के बर्तन, कॉस्मेटिक्स के सामान तथा स्क्रैप इत्यादि की वास्तविकता एवं वजन छुपाते हुए अधिकारियों के संगठित समूह द्वारा रेलवे के अलावा राजस्व संग्रह की विभिन्न एजेंसियों को कुल मिलाकर करोड़ों रुपए प्रति वर्ष का चूना लगाया जा रहा है जबकि इसके बदले लाखों रुपए प्रतिमाह की निजी कमाई की जा रही है.

सूत्रों की मानें तो इस कमाई का कुछ हिस्सा रेलवे के उच्चाधिकारियों के अलावा अन्य विभागों को लगातार पहुंचाया जा रहा है, जिसके कारण उच्च अधिकारी शिकायतों पर लगातार पर्दा डालते चले आ रहे हैं. आरोपित है कि कोलकाता एवं बरेली से प्रतिदिन हावड़ा-मुंबई मेल, चंबल तथा त्रिवेणी एक्सप्रेस से बगैर ई-वे बिल के आयातित 120 से 160 किलोग्राम तक वजन के 50-50 बंडलों को एक क्विंटल से कम वजन का दर्शाते हुए फर्जी आधार कार्ड लगे सामानों को ऊपरी कमाई के चक्कर में पुख्ता प्रमाण प्राप्त किए बगैर आनन-फानन में छोड़ दिया जाता है. जबकि आयातित प्रत्येक बंडल रेडीमेड गारमेंट्स की कीमत 70 से 80 हजार तथा पीतल के स्क्रैप की कीमत 4 लाख रुपए होते हैं.

ऐसी दशा में 1 क्विंटल से ज्यादा वजन होने पर रेलवे को डबल किराया वसूलने तथा 50 हजार रुपए से अधिक मूल्य का सामान होने के कारण ई-वे बिल की अनिवार्यता तथा इन सामानों पर केंद्र एवं राज्य सरकार की जीएसटी के भारी-भरकम धनराशि की अनिवार्यता को चंद पैसों की खातिर समाप्त करते हुए रेल अधिकारी जिस डाल पर बैठे हैं, उसी को काटने में लगे हैं.

इसी प्रकार यहां से निर्यात किए जाने वाले पीतल के बर्तनों तथा अन्य कीमती सामानों को स्टेशन पर लाने से पूर्व ही पार्सल घर को अपने हिसाब से चलाने वाले प्राइवेट व्यक्ति द्वारा सीपीएस की मौन स्वीकृति के कारण बगैर किसी से पूछे ही बिल्टी तैयार कर दूरभाष के जरिए सामानों के बंडलों पर रेलवे का मार्का रास्ते में ही अंकित कर दिया जाता है ताकि उस सामान पर व्यापार कर अथवा एक्साइज विभाग के अधिकारी हाथ तक न डाल सकें, नियमानुसार रेलवे का मार्का लगे इन सामानों की चेकिंग डीआरएम की अनुमति से ही की जा सकती है.

इसके बावजूद भी सामानों का यह बंडल पार्सल घर की बजाए सीधे प्लेटफार्म के लोडिंग पॉइंट पर पहुंचा दी जाती है. पार्सल घर को चला रहे इसी प्राइवेट व्यक्ति द्वारा तैयार किए गए समस्त बिल्टी पर एकमुश्त हिसाब करते हुए सीपीएस द्वारा एक साथ हस्ताक्षर कर दिया जाता है.

इस बारे में दूरभाष के जरिए पूछे जाने पर उत्तर मध्य रेलवे प्रयागराज के मुख्य सतर्कता अधिकारी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जीएसटी वसूलने की जिम्मेदारी उनकी नहीं है. जबकि केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क विभाग के स्थानीय असिस्टेंट कमिश्नर डॉ आर के मीणा से करापवंचन के इस मामले का जिक्र किए जाने पर उन्होंने अपनी विवशता दर्शाते हुए साफ-साफ कहा कि रेलवे का मार्का लगे सामानों को चेक करने का अधिकार उन्हें नहीं है किंतु सूत्रों की माने तो स्थानीय व्यापार कर विभाग एवं कस्टम्स एंड सेंट्रल एक्साइज विभाग के प्रतिनिधि की निगरानी में माल आयात निर्यात किए जाते हैं.

आलम यह है कि सामानों की लोडिंग के लिए प्राय: लंबी दूरी की गाड़ियों-ताप्ती गंगा, त्रिवेणी, गोंदिया तथा चंबल एक्सप्रेस ट्रेनों को ड्यूटी पर तैनात स्टेशन मास्टर को मिलाकर दो नंबर की बजाए एक नंबर प्लेटफार्म पर ले लिया जाता है.

चर्चा है कि इन दिनों प्रतिबंधित जर्दा युक्त बीड़ी बगैर ई वे बिल के ही फर्जी आधारकार्ड की छाया प्रति लगाकर मनमाने रेट पर यहां से निर्यात किए जा रहे हैं. यह पैसे का ही प्रभाव है की यहां से डाल्टनगंज, राउरकेला तथा रांची एवं गढ़वा जैसे अन्य डिवीजन के स्टेशनों पर कीमती सामानों के बंडल मनमाने पैसे लेकर त्रिवेणी एक्सप्रेस के माध्यम से यहीं से भेजे जा रहे हैं. जबकि नियमानुसार दूसरे डिवीजन को सामान भेजने का अधिकार मंडल मुख्यालय को है.

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