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दुनियाभर में एक बार फिर पैर पसार रहा कोरोना वायरस, कई देशों में लगा प्रतिबंध

नई दिल्ली,नवसत्ता : दुनियाभर के तमाम देशों में एक बार फिर कोरोना महामारी अपना रौद्र रूप दिखा रही है. यूरोप यूनियन के कुछ देशों में तो कोविड-19 के केस इतनी तेजी से बढ़ रहे हैं कि यहां सख्त लॉकडाउन की आशंका बढऩे लगी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने तो यहां तक कह दिया है कि यूरोप अब एक बार फिर महामारी का केंद्र बन गया है. स्थानीय सरकारें क्रिसमस तक फिर से लॉकडाउन लगाने के विकल्प पर विचार कर रही है. साथ ही इस बात पर बहस हो रही है कि क्या सिर्फ अकेले वैक्सीन की मदद से कोरोना वायरस पर काबू पाया जा सकता है. सर्दियों में फ्लू के मौसम से पहले हुए टीकाकरण के बाद चिंता काफी बढ़ गई है.

यूरोपियन इकॉनोमिक एरिया, जिसमें यूरोपिय यूनियन, आइसलैंड और नॉर्वे शामिल हैं, यहां करीब 65प्रतिशत आबादी को वैक्सीन के दोनों डोज लग चुके हैं लेकिन हाल के महीनों में वैक्सीनेशन की रफ्तार में कमी आई है. 27 सदस्यीय यूरोपियन यूनियन के 10 देशों में कोविड-19 महामारी को लेकर हालात चिंताजनक है. ब्लॉक डिसिजीज एजेंसी ने शुक्रवार को इस बात की जानकारी दी है. यूरोपियन सेंटर फॉर डिसीज द्वारा तैयार रिपोर्ट के अनुसार, बेल्जियम, बुल्गारिया, क्रोएशिया, चेक रिपब्लिक, इस्टोनिया, ग्रीस, हंगरी, नीदरलैंड, पौलेंड और स्लोवेनिया में स्थिति बेहद खराब है.

इन देशों में सख्त किए गए प्रतिबंध

नीदरलैंड: नीदरलैंड में 3 सप्ताह के आंशिक लॉकडाउन के दौरान बार और रेस्टोरेंट अब जल्दी बंद होंगे, साथ ही खेलकूद से जुड़े आयोजन बिना दर्शकों के आयोजित होंगे. इसकी घोषणा शुक्रवार तक होने की संभावना है. पश्चिम यूरोप में गर्मियों के बाद यह पहली बार होगा जब लॉकडाउन लगेगा.

जर्मनी: यहां शनिवार से कोविड-19 टेस्ट फिर से शुरू किए जाएंगे. शुक्रवार को कार्यकारी हेल्थ मिनिस्टर जेन्स स्पाहन ने यह बात कही. इसके लिए जर्मनी में कानूनी ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है जिसके तहत सार्वजनिक स्थानों पर फेस मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग अनिवार्य होगी, जो कि मार्च तक जारी रहेगी.

ऑस्ट्रिया: ऑस्ट्रिया की सरकार टीका न लगवाने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का फैसला किया है और उन्हें लॉकडाउन में घरों में रखने से जुड़ा एलान कर दिया.

लाटविया: यहां वैक्सीनेशन की रफ्तार को बढ़ाने की कोशिश जारी है. सेंट्रल और ईस्टर्न यूरोपियन सरकारों ने इसे लेकर बड़े स्तर पर एक्शन लिया है. लाटविया, यूरोपियन यूनियन का वह देश है जहां टीकाकरण की दर बेहद कम है. यहां मध्य अक्टूबर में 4 सप्ताह का लॉकडाउन लगाया गया है.

चेक रिपब्लिक, स्लोवाकिया और रशिया: चेक रिपब्लिक, स्लोवाकिया और रशिया में भी कोविड-19 महामारी को लेकर प्रतिबंध कड़े कर दिए गए हैं. वहीं शुक्रवार को चेक रिपब्लिक की सरकार ने नए नियमों की जरूरत पर जोर दिया है.

नॉर्वे: नॉर्वे में शुक्रवार को सरकार ने यह घोषणा की है कि कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों की रोकथाम के लिए पूरे देश में नियम और प्रतिबंधों को लागू किया जाएगा. इनमें हेल्थ पास भी शामिल होंगे. इससे पहले नॉर्वे में सितंबर के अंत में महामारी से जुड़े सभी प्रतिबंधों को हटा लिया गया था. अब यहां 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को वैक्सीन का तीसरा डोज देने का प्रस्ताव रखा जाएगा लेकिन फिर से लॉकडाउन नहीं लगाया जाएगा. प्रधानमंत्री जोनस गहर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात की जानकारी दी.

आइसलैंड: आइसलैंड में पिछले सप्ताह कोरोना के रिकॉर्ड मामले सामने आने के बाद शुक्रवार को कोविड नियमों को कड़ा कर दिया गया है. यहां एक महीने में दूसरी बार प्रतिबंध बढ़ाए गए हैं. आइसलैंड में स्विमिंग पूल और स्पोर्ट्स हाल सिर्फ 75 फीसदी क्षमता के साथ खोले जाएंगे.

वैक्सीन पासपोर्ट और फेस मास्क अनिवार्य
कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच विरोलॉजिस्ट का कहना है कि केवल अकेले वैक्सीन की मदद से लंबे समय के लिए कोविड महामारी से नहीं लड़ा जा सकता है. इटली यूनिवर्सिटी ऑफ पाडुआ में इम्यूनोलॉजी के प्रोफेसर, एंटोनेला विलोआ ने कहा कि, महामारी की इस स्थिति में उदाहरण के तौर पर इजराइल से काफी कुछ सीखने की जरूरत है इनमें टीकाकरण के अलावा सार्वजनिक स्थानों पर सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और वैक्सीन को अनिवार्य किया जाए. उन्होंने कहा कि अगर इसमें से किसी 2 बातों का अभाव रहा तो, हालाता काफी बिगड़ सकते हैं जैसा कि हम यूरोपियन देशों में अभी देख रहे हैं.

80प्रतिशत टीकाकरण करा चुके स्पेन में भी फैला कोरोना
एक समय यूरोप में कोरोना वायरस से सबसे अधिक प्रभावित रहे स्पेन ने संभवत: यह उदाहरण दिया है कि कैसे खतरे से निपटा जा सकता है. उसने अपनी 80 प्रतिशत आबादी को टीके की खुराक दे दी है और बाहर मास्क लगाना भी अनिवार्य नहीं किया. इसके बावजूद लोगों ने मास्क लगाना जारी रखा है. हालांकि, इसके बावजूद वहां संक्रमण के मामले थोड़े बढ़े हैं.
मौतों में 10प्रतिशत की बढ़ोतरी

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की 7 नवंबर की रिपोर्ट की से पता चलता है कि यूरोप, जिसमें रशिया भी शामिल है, एकमात्र क्षेत्र है जहां 7प्रतिशत से ज्यादा रिकॉर्ड केस दर्ज किए गए हैं. जबकि अन्य क्षेत्रों में ट्रेंड स्थाई रहा है या उसमें गिरावट आई है. ठीक इसी तरह, मौत के आंकड़ों में भी 10 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली है जबकि अन्य क्षेत्रों में गिरावट आई है. इन हालातों के चलते सरकारें और कंपनियों को इकोनॉमिक रिकवरी को लेकर चिंता सता रही है. इनमें से कुछ देशों ने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए तेजी से कदम उठाना शुरू कर दिए हैं.

वैक्सीन का बूस्टर डोज
ज्यादातर यूरोपियन यूनियन देशों में उन युवाओं को वैक्सीन की अतिरिक्त खुराक देने की योजना है जिनका इम्युन सिस्टम कमजोर है. वैज्ञानिकों का कहना है कि लॉकडाउन जैसी स्थिति से बचने के लिए अधिक से अधिक आबादी के वैक्सीनेशन को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. इसी कड़ी में नॉर्वे की सरकार ने कहा कि वे 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों को कोविड-19 वैक्सीन का तीसरा डोज लगाए जाने की तैयारी कर रहे हैं. फिलहाल नॉर्वे में 65 साल से अधिक उम्र के व्यक्तियों को ही कोरोना वैक्सीन का तीसरा डोज दिया गया है. 1 दिसंबर से, इटली में भी 40 साल से अधिक आयु वाले लोगों को कोरोना वैक्सीन का तीसरा डोज ऑफर किया जाएगा.

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