लखनऊ, नवसत्ता: राजधानी में बीस साल के अंदर प्रशासनिक और न्यायिक अधिकारियों के गठजोड़ से अकूत संपत्ति जुटाने वाला डॉ. एमसी सक्सेना मेडिकल कॉलेज का चेयरमैन डॉ. एमसी सक्सेना 10 फरवरी की सुबह से पूरे परिवार के साथ घर से गायब हो गया है. अलीगंज चंद्रलोक कॉलोनी स्थित घर पर ताला लटक रहा हैै. वहीं, महानगर स्थित घर में एक महिला गार्ड ने सुरक्षा के चलते घर को दोनों तरफ से अंदर से बंद कर रखा हैै.
पुलिस ने कॉलेज परिसर के साथ ही इन दोनों घरों पर भी नोटिस चस्पा कर दिया है. पुलिस उनकी अकूत संपत्ति के साथ ही उनके कॉलेज की मान्यता, उनकी खुद की शिक्षा की डिग्री और पहुंच तक का ब्योरा जुटा रही हैै. डीसीपी पश्चिम सोमेन वर्मा के मुताबिक डॉ. एमसी सक्सेना मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन डॉ. एमसी सक्सेना से कॉलेज संबंधी दस्तावेज मांगे गए है. उनके घर बंद करके जाने पर नोटिस दिया गया है। जवाब न मिलने पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. बता दें कि डॉ. एमसी सक्सेना मेडिकल कॉलेज मान्यता की चाहत में धांधली कर रहा है. इसका खुलासा मंगलवार को हुआ, जब 250 मजदूरों को चंद रुपए का लालच देकर उनकी जिंदगी खतरे में डाल दी गई.
पुलिस जांच कर रही कि वह डॉक्टर है भी या नहीं
पुलिस सूत्रों के मुताबिक डॉ. एमसी सक्सेना के कॉलेज में धोखाधड़ी का खुलासा होने के बाद यह भी जांच का विषय बन गया है कि वह खुद डॉक्टर है कि नहीं. अभी तक की जांच में सामने आया है कि उसने एक कोचिंग सेंटर से शुरुआत की थी. जहां से उसके प्रशासनिक अधिकारियों और एक न्यायिक अधिकारी से संबंध मजबूत हो गए. उनकी मदद से करीब 20 साल पहले इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज के साथ बी-फार्मा और डी फार्मा के कॉलेज की नींव रखी.
साल 2004 के बाद उन्होंने पांच संस्थान खोलकर एमसीएसजीओसी ग्रुप बनाया. करीब 35 एकड़ में मेडिकल, फार्मेसी, इंजीनियरिंग, शिक्षा और प्रबंधन संस्थान देखते-देखते बना लिए. बताया जाता है कि इसके पीछे न्यायिक विभाग और कुछ आईएएस के पैसे लगे हैं. इन्हीं की पैरवी के चलते एक रिटायर जज के खिलाफ भी जांच बैठ गई थी, जिसने मेडिकल कॉलेज की मान्यता को लेकर हुए जुर्माने में मदद की थी. जानकारों का कहना है कि डॉ. एम सी सक्सेना शुरू से ही लो-प्रोफाइल रहते थे, जिससे किसी की नजर में न आएं.
2016 में आया चर्चा में, मेडिकल छात्रों के धरना प्रदर्शन पर की गई थी मारपीट
साल 2016 में डॉ. एमसी सक्सेना मेडिकल कॉलेज की धोखाधड़ी का खुलासा हुआ. तब इसकी मान्यता को लेकर सवाल उठे. इसके बाद करीब 25 दिनों तक छात्र-छात्राएं धरने पर बैठे. यहां पर 150 छात्र-छात्राओं ने यूपीसीमैट परीक्षा और काउंसलिंग के जरिए वर्ष 2015-16 में प्रवेश लिया था, जबकि कॉलेज के एमसीआई के नियमों के पालन न करने पर मान्यता रद्द कर दी गई. छात्र एक साल की परीक्षा में उत्तीर्ण कर चुके थे. लिहाजा, कोर्ट चले गए.
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) से एमसी सक्सेना कॉलेज की मान्यता स्थगित होने पर छात्रों के प्रदर्शन के चलते स्कूल में उन्हें बंधक बनाकर पीटा भी गया था. वहीं, इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एमसीआई की याचिका पर 29 सितंबर 2015 को आदेश दिया कि कॉलेज कोई दाखिले नहीं ले सकता. 10 मार्च 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने फिर साफ कर दिया कि कॉलेज को एमबीबीएस में दाखिले का कोई अधिकार नहीं है। साथ ही बच्चों की फीस वापस करने के आदेश दे दिए, जो नहीं लौटाई गई. तभी से कॉलेज सुर्खियों में बना हुआ है.
कॉलेज में प्रवेश के लिए कई एजेंट बनाने के साथ दैनिक जागरण चौराहे के पास सूरज दीप कॉम्पलेक्स में एक ऑफिस खोल रखा है. यह महानगर छन्नीलाल चौराहे के पास रहता है. वहीं, चंद्रलोक कालोनी स्थित घर से गोरखधंधा चलाने के साथ लड़कियों का हॉस्टल खोल रखा है. इसके साथ ही गोमतीनगर, राजाजीपुरम, सीतापुर रोड पर इनके घर हैं. कई प्राइम लोकेशन पर उनकी जमीन भी है. मलिहाबाद में फार्म हाउस है.
लोगों से दूर रहने वाला डॉ. एमसी सक्सेना पुलिस प्रशासन की नजर में आने के बाद एक पुलिस से बचने के लिए अखबार का संपादक बन गया. पुलिस के मुताबिक डॉ. एमसी सक्सेना लखनऊ से प्रकाशित होने वाले राहत टाइम का संपादक भी बताया जाता है. उसके महानगर स्थित घर की नेमप्लेट पर भी यह लिखा हुआ है. अखबार किसका है और उससे कौन-कौन जुड़ा है, इसकी भी जानकारी जुटाई जा रही है.
पुलिस जांच में सामने आया है कि डॉ. एमसी सक्सेना मेडिकल कॉलेज के बच्चों की फीस वापसी के लिए कोर्ट ने 37.5 करोड़ रुपए की रिकवरी के आदेश दिए थे. इस राशि को उसने छात्रों को नहीं लौटाया है. वहीं, शहर के पचास बड़े गृहकर बकायेदारों में डॉ. एमसी सक्सेना कॉलेज का भी नाम है. उसके ऊपर 34.36 लाख गृहकर बकाया है, जो कई बार नोटिस के बाद भी नहीं जमा किया गया.