- मोदी-योगी सरकार ने किसानों के साथ किया विश्वासघात- भूपेश बघेल
- मोदी सरकार में किसानों की आय तो दोगुनी हुई नहीं, दर्द सौ गुना जरूर हो गया- भूपेश बघेल
- कांग्रेस की सरकार बनने पर उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं को लेकर छत्तीसगढ़ का मॉडल लागू किया जाएगा- भूपेश बघेल
- भाजपा की हार में ही किसान-खेत मज़दूर की जीत है- सुप्रिया श्रीनेत
- वोट की चोट ही किसान-विरोधी भाजपा और मोदी सरकार को सच्चाई का आईना दिखाएगी- सुप्रिया श्रीनेत
लखनऊ,नवसत्ता: उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्यालय पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने प्रेसवार्ता कर मोदी राज में किसानों की बदहाल स्थिति पर श्वेतपत्र ’’आमदनी न हुई दोगुनी दर्द सौ गुना’’ जारी किया.
प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए भूपेश बघेल ने कहा कि भारत के गरीब-मज़दूर-किसान ने मोदीजी के वायदों पर ऐतबार करके वोट दिया था, पर उन्होंने विश्वासघात किया. मोदी सरकार व भाजपा ने भारत के भाग्यविधाता अन्नदाता किसानों पर आघात किया है. भारत कभी इन्हें माफ़ नहीं करेगा. छः साल होने को आए हैं जब नरेंद्र मोदी ने 28 फ़रवरी, 2016 को बरेली, उत्तर प्रदेश की रैली में देश के किसानों से वादा किया था कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी कर देंगे. स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू करेंगे. अब 2022 है, आय तो दोगुनी हुई नहीं, दर्द सौ गुना जरूर हो गया.
उन्होंने कहा छः साल बाद मोदी सरकार ने सितंबर, 2021 में NSSO की रिपोर्ट जारी कर बताया कि किसानों की औसत आय ₹ 27 प्रतिदिन रह गई है और औसत कर्ज़ ₹ 74,000 प्रति किसान हो गया है. सच तो यही है कि मोदी सरकार व भाजपा का डीएनए ही किसान-मज़दूर विरोधी है. मई, 2014 में सत्ता में आते ही भाजपा व मोदी सरकार किसानों की ज़मीन हड़पने के लिए, उनके ज़मीन के उचित मुआवज़ा कानून के खिलाफ़़ एक के बाद एक तीन अध्यादेश लेकर आई. फ़िर गेहूँ एवं धान पर राज्य सरकारों द्वारा दिया जाने वाला ₹ 150 का बोनस बंद करा दिया. मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शपथपत्र देकर कहा कि MSP+50% दिया तो बाज़ार बर्बाद हो जाएगा. कंपनियों के मुनाफ़े की फ़सल बीमा योजना लाए. टैक्स पर टैक्स लगाने के चलते फसलों की लागत में प्रति एकड़ 25 हजार रुपये वृद्धि हो गई है. मोदी जी अपने मुट्ठीभर पूँजीपति दोस्तों के लिए खेती विरोधी तीन काले कानून लाए. उन्होंने कहा कि आजतक कभी कृषि यंत्रों पर टैक्स नहीं लगता था. यह सरकार पहली बार किसानों पर टैक्स लाद रही है. तेल के दाम बढ़ रहे हैं. इसका असर किसानों पर पड़ रहा है.
छुट्टा जानवरों के मुद्दे और गाय पर हो रही राजनीति को लेकर योगी सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि यूपी में गाय के नाम पर खूब राजनीति हुई. अब लोगों ने मवेशी रखना बंद कर दिया. मवेशी बाजार बंद हो गए. जानवर खुले में घूम रहे हैं और उत्तर प्रदेश के किसान रतजगा करके फसल की रखवाली कर रहे हैं. इसी उत्तर प्रदेश में किसान अपनी फसल बचाने में नाकाम हो रहे हैं, दूसरी तरफ गौशालाओं में गायें मर रही हैं, गायें दुबली हो रही हैं और गौशाला चलाने वाले मोटे हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि जानवरों और पशुपालन से जुड़ी सभी समस्याओं के समाधान के बारे में छत्तीसगढ़ सरकार ने सोचा और अपनी योजनाओं को लागू किया.
इससे छत्तीसगढ़ में आवारा पशुओं की संख्या में कमी आई है. किसानों की डीएपी की समस्या को को हमने वर्मी कंपोस्ट के माध्यम से ख़त्म किया. हमने छत्तीसगढ़ में छुट्टा जानवरों का समाधान निकाला. गायों का गोबर दो रुपये प्रति किलो खरीदना शुरू किया और लाखों टन गोबर खरीदा. वर्मी कंपोस्ट का कार्य शुरू हुआ. आज छत्तीसगढ़ में आवारा पशुओं की संख्या में भारी कमी आई है.
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में हमारी सरकार बनी तो आवारा पशुओं को लेकर छत्तीसगढ़ का मॉडल लागू किया जाएगा. यहां पर भी गोबर खरीदा जाएगा ताकि किसानों को आय हो और लोग पशुओं को अपने घर पर रखें. यूपी की समस्याओं का हल कांग्रेस की प्रतिज्ञाओं में शामिल है. सत्तर के दशक में इंदिरा जी ने हरित क्रांति अभियान चलाया था. किसानों ने ये कर दिखाया था कि वे देश को आत्मनिर्भर बना सकते हैं. उस समय किसानों को समर्थन मूल्य मिलता था. किसान फसलों का समर्थन मूल्य चाहते हैं लेकिन यह सरकार किसानों की मेहनत का सम्मान नहीं कर पा रही है. किसानों की मेहनत का परिणाम ये है आज अनाज की अधिकता है लेकिन सरकार किसानों को हतोत्साहित कर रही है.
प्रेस को संबोधित करते हुए सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि मोदी सरकार ने तीन काले कानून लाकर 700 किसानों को आत्महत्या के लिए मजबूर किया. उनके सिर फोड़ने के आदेश देकर लहू-लुहान किया गया. किसानों के रास्ते में कील-काँटे बिछाए गए. इससे भी पेट नहीं भरा तो उन्हें लख़ीमपुर-ख़ीरी में देश के गृह राज्यमंत्री की जीप से रौंदकर मार डाला गया. उन्होंने कहा कि लड़कियों का सम्मान करने के साथ कांग्रेस उनके साथ किए गए वादों को पूरा कर रही हैं, हमारी पहली लिस्ट में 40 प्रतिशत महिलाओं को टिकट देना उसी का परिणाम है.
उन्होंने कहा कि आमदनी बढ़ाने का वादा करने वाली मोदी सरकार ने किसान को आकंठ कर्ज में डुबा दिया है. भारत के 50.2 प्रतिशत किसान कर्ज में डूबे हुए हैं, जिनका प्रति परिवार औसतन ऋण ₹ 74,121 है. NSSO द्वारा जारी की गई. इसी रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि भारत के ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले किसान परिवार खेती की अपेक्षा मजदूरी करने को अधिक मजबूर हैं. किसानों को होने वाली आमदनी में 39.8 प्रतिशत हिस्सा वो प्रतिमाह मजदूरी से अर्जित कर रहे हैं और फसल उत्पादन से 37.2 प्रतिशत. इस रिपोर्ट के अनुसार पशुपालन में लगा किसान-मज़दूर परिवार पशुपालन से औसत मात्र ₹ 16.24 प्रतिदिन ही कमा पाता है.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने अपनी रिपोर्ट में खुद इस बात का खुलासा किया है कि धान और गेहूँ को छोड़कर कोई भी फसल एमएसपी पर 6 प्रतिशत से अधिक नहीं खरीदी जाती. इतना ही नहीं, खुले बाजार में अच्छे दाम मिलने का दावा करने वाली मोदी सरकार की पोल खुल गई. इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि जनवरी, 2018 से दिसंबर, 2019 के बीच 0 से 0.5 प्रतिशत ही फसलों को समर्थन मूल्य से अधिक कीमत बाजार में मिली है. साथ ही यह भी बताया गया कि बाजार मूल्य तो एमएसपी से भी कम था और 57.4 प्रतिशत किसानों को उस बाजार मूल्य (जो एमएसपी से कम था) से भी कम दाम मिले हैं. हालत यह है कि भाजपा व मोदी सरकार पर्याप्त मात्रा में समर्थन मूल्य पर किसानों से अनाज नहीं खरीद रही.
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि मोदी सरकार ने 1 दिसंबर, 2018 से किसान सम्मान निधि योजना प्रारंभ की थी, जिसके तहत दो-दो हजार रु. की तीन किस्तों में 6,000 रु. प्रत्येक किसान के खाते में डालने की बात कही गई थी. इस योजना के तहत 11.61 करोड़ किसानों के खाते में यह पैसा हस्तांतरित किया जा रहा है. जबकि एग्रीकल्चर सेंसस के अनुसार भारत में 14.65 करोड़ किसान हैं. अर्थात् अभी भी लगभग 3.04 करोड़ किसानों के खाते में यह राशि हस्तांतरित नहीं की जा रही.
उन्होंने कहा कि अकेले पेट्रोल-डीज़ल पर एक्साईज़ लगाकर मोदी सरकार ने सात सालों में 24 लाख करोड़ रु. कमाए हैं. देश में खाद की कीमतों में अनाप-शनाप बढ़ोत्तरी की गई. डीएपी खाद के 50 किलो के बैग की कीमत रातोंरात ₹ 1,200 से बढ़ाकर ₹ 1,900 कर दी गई. चौतरफा विरोध के बाद भाजपा ने बढ़ी कीमत तो वापस ले ली, पर डीएपी खाद मिला नहीं और मजबूरन ब्लैक मार्केट में ₹ 2,200 प्रति बैग खरीदना पड़ा. भाजपा सरकार ने यूरिया खाद के 50 किलो के कट्टे से 5 किलो खाद ही चोरी कर लिया. पोटाश खाद के 50 किलो के बैग की कीमत साल, 2014 में ₹ 450 से बढ़ाकर ₹825 कर दी गई है. सुपर खाद के 50 किलो के बैग की कीमत भी साल, 2014 के ₹ 260 से बढ़कर ₹ 340 हो गई है. बीज और बिजली की कीमतों में भी इसी प्रकार से बढ़ोत्तरी की गई.
उन्होंने निजी बीमा कंपनियों को घेरते हुए कहा कि यह ‘‘किसान लूट योजना’’ है. जब से यह योजना लागू की गई हैं देश के किसानों से प्रीमियम के नाम पर 21,450 करोड़ रुपये वसूले गए हैं. मोदी सरकार ने दावा किया था कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए एक लाख करोड़ रु. का एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड दिया जा रहा है. उसकी सच्चाई यह है कि अब तक इसमें से मात्र 6098 करोड़ रु. का लोन स्वीकृत किया गया है, जिसमें से मात्र 2071 करोड़ रु. जारी किए गए हैं. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में साल 2014 से 2020 के बीच 78,303 किसान-खेत मज़दूर आत्महत्या का फंदा चूमने को मज़बूर हो गए. पाँच राज्यों के चुनाव में वोट की चोट ही किसान-विरोधी भाजपा और मोदी सरकार को सच्चाई का आईना दिखाएगी. भाजपा की हार में ही किसान-खेत मज़दूर की जीत है.
इस मौके पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव राजेश तिवारी, पूर्व अध्यक्ष उत्तर प्रदेश कांग्रेस निर्मल खत्री, उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग के चेयरमैन नसीमुद्दीन सिद्दीकी, पूर्व सांसद एवं मंत्री प्रदीप आदित्य जैन, संगठन महासचिव दिनेश सिंह, संयोजक प्रिंट मीडिया व प्रवक्ता अशोक सिंह, संयोजक डिजिटल मीडिया व प्रवक्ता अंशू अवस्थी, प्रदेश प्रवक्ता डॉक्टर उमा शंकर पांडेय, पंकज तिवारी, प्रदीप सिंह, आसिफ रिजवी, विकास श्रीवास्तव, विशाल राजपूत, प्रियंका गुप्ता, रफत फातिमा समेत सैकड़ों पदाधिकारी मौजूद रहे.