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AIR POLLUTION से निपटने के लिए केंद्र ने टास्क फोर्स का किया गठन

नई दिल्ली,नवसत्ता: दिल्ली-एनसीआर में खतरनाक वायु प्रदूषण (AIR POLLUTION) को लेकर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद केंद्र सरकार ने टास्क फोर्स का गठन कर दिया है. वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने शीर्ष कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि उन्होंने वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के अपने निर्देशों के अनुपालन की निगरानी के लिए एक इंफोर्समेंट टास्क फोर्स का गठन किया है.

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि ये टास्क फोर्स पांच सदस्यों वाली है और इन्हें विधायी शक्तियां भी दी गई हैं. टास्क फोर्स के पास सजा देने और प्रिवेंटिव विधायी शक्तियां भी हैं. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दिए गए अपने हलफनामे में कहा कि 17 फ्लाइंग स्क्वाड सीधा इंफोर्समेंट टास्क फोर्स को रिपोर्ट करेगी. सरकार ने कहा है कि अगले 24 घंटे में फ्लाइंग स्क्वाड की संख्या बढ़ाकर 40 कर दिया जाएगा.

AIR POLLUTION : केवल आवश्यक समान वाले ट्रकों को ही प्रवेश मिलेगा

AIR POLLUTION के मद्देनजर राजधानी दिल्ली में आने वाले ट्रकों पर रोक जारी रहने वाली है. हालांकि, सरकार ने ये भी बताया है कि केवल आवश्यक समान वाले ट्रकों को प्रवेश मिलेगा. हलफनामे में कहा गया है कि स्कूल अगले आदेश तक बंद रहेंगे.

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि ये फ्लाइंग स्क्वाड सिर्फ दिल्ली में निरीक्षण करेगी या एनसीआर में. इस पर सॉलिसिटर जरनल ने कहा कि पूरे एनसीआर के लिए टास्क फोर्स के तहत फ्लाइंस स्क्वाड काम करेगा. पॉवर प्लांट के बंद किए जाने पर कोर्ट ने पूछा कि क्या इससे बिजली उत्पादन पर तो फर्क नहीं पड़ेगा. इस पर मेहता ने कहा नहीं.

वहीं सरकार ने बताया कि इंफोर्समेंट टास्क फोर्स की अध्यक्षता एमएम कुट्टी (वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के चेयरपर्सन) करेंगे और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन तन्मय कुमार इसके सदस्य होंगे. हलफनामे में बताया गया है कि ऊर्जा और संसाधन संस्थान की डीजी विभा धवन, मध्यप्रदेश पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के पूर्व चेयरमैन एनके शुक्ला वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग एनजीओ के सदस्य भी केंद्र सरकार की इंफोर्समेंट टास्क फोर्स के सदस्य होंगे.

दिल्ली सरकार को निर्माण कार्य करने की अनुमति, 10 दिसंबर को सुनवाई

वहीं, कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को लेकर दिल्ली सरकार द्वारा दायर हलफनामा को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को अस्पतालों में निर्माण कार्य करने की अनुमति दे दी है. मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी.

सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर शहर के अस्पतालों में निर्माण कार्यों की अनुमति मांगी थी. सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में दिल्ली सरकार ने कहा कि कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए कुछ पुराने अस्पतालों में बुनियादी ढांचे तैयार करना शुरू कर दिया था. इसके अलावा सात नए अस्पतालों का भी निर्माण कार्य चल रहा था, लेकिन प्रदूषण बढ़ने के कारण निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी गई थी. इस बीच फिर से कोरोना के नए वैरिएंट ने दहशत का माहौल बना दिया है. ऐसे में दिल्ली के अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाना जरूरी हो गया है. शीर्ष अदालत से निर्माण कार्यों की अनुमति देने का आग्रह करते हैं.

चीफ जस्टिस ने कहा कि हमने केंद्र और एनसीटी के हलफनामे का अध्याय किया है. हमने प्रस्तावित निर्देशों को ध्यान में रखा है. हम दिल्ली और केंद्र को 2 दिसंबर के आदेशों को लागू करने का निर्देश देते हैं. हम मामले को लंबित रखते हैं और अगले शुक्रवार यानी कि 10 दिसंबर को इस पर सुनवाई करेंगे.

तो क्या पाकिस्तान के उद्योगों को बंद कर दें, सीजेआई ने यूपी सरकार पर ली चुटकी

वहीं, उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उद्योगों के बंद होने से राज्य में गन्ना और दूध उद्योग प्रभावित होंगे और राज्य पीछे चला जाएगा. राज्य सरकार ने कहा कि प्रदूषित हवा ज्यादातर पाकिस्तान से आ रही है. इस पर सीजेआई एनवी रमणा ने चुटकी लेते हुए कहा कि तो आप पाकिस्तान में उद्योगों पर प्रतिबंध लगाना चाहते हैं.

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