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सोमनाथ सिर्फ मंदिर नहीं, आत्मविश्वास का प्रतीक है: पीएम मोदी

नई दिल्ली,नवसत्ता : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को गुजरात के प्रसिद्घ सोमनाथ ‘समुद्र दर्शन’ पैदल पथ, सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र और नवीनकृत अहिल्याबाई होलकर मंदिर का उद्घाटन किया। इसके अलावा उन्होंने श्री पार्वती मंदिर की आधारशिला भी रखी। इस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि सोमनाथ का यह मंदिर हमारे आत्मविश्वास का प्रेरणा स्थल है। उन्होंने कहा कि दुनिया का कोई भी व्यक्ति जब इसे देखता है तो उसे सिर्फ मंदिर ही नहीं दिखता बल्कि उसे ऐसा अस्तित्व नजर आता है, जो मानवता के मूल्यों को बताता है।

बता दें कि अहिल्याबाई होलकर पुराने सोमनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है और ये मुख्य मंदिर के विपरीत दिशा में स्थित है। इसके नवीनीकरण पर 3.5 करोड़ रुपये की लागत आई है। लगभग एक किलोमीटर लंबे ‘समुद्र दर्शन’ पैदल पथ के निर्माण पर करीब 47 करोड़ रुपये की लागत आई है। सोमनाथ प्रदर्शनी केंद्र सोमनाथ मंदिर के परिसर में स्थित पर्यटक सुविधा केंद्र के निकट बना है। इस प्रदर्शनी केंद्र में पुराने सोमनाथ मंदिर के टूटे-फूटे हिस्सों को प्रदर्शनी के लिए रखा गया है। अहिल्याबाई होलकर मंदिर को 3.5 करोड़ रुपये में पूरा किया गया है। इसका निर्माण इंदौर की अहिल्या बाई होलकर ने कराया था।

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमें देश में धार्मिक टूरिज्म को मजबूत करने की जरूरत है। इससे युवाओं को रोजगार मिलेगा। यही नहीं उन्हें अपने इतिहास के बारे में भी जानकारी मिल सकेगी। भारत आज पर्यटन के क्षेत्र में लगातार तरक्की कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी गिर-सोमनाथ जिले के प्रभास पाटन शहर में स्थित सोमनाथ मंदिर न्यास के अध्यक्ष हैं। पीएम मोदी ने इस मौके पर आगे कहा, ‘हमारी सोच होनी चाहिए इतिहास से सीखकर वर्तमान को सुधारने की, एक नया भविष्य बनाने की। इसलिए, जब मैं ‘भारत जोड़ो आंदोलन’ की बात करता हूं तो उसका भाव केवल भौगोलिक या वैचारिक जुड़ाव तक सीमित नहीं है। ये भविष्य के भारत के निर्माण के लिए हमें हमारे अतीत से जोडऩे का भी संकल्प है। इस मंदिर को सैकड़ों सालों के इतिहास में कितनी ही बार तोड़ा गया, यहां की मूर्तियों को खंडित किया गया, इसका अस्तित्व मिटाने की हर कोशिश की गई। लेकिन इसे जितनी भी बार गिराया गया, ये उतनी ही बार उठ खड़ा हुआ।’

पीएम मोदी ने बताया कि 12 ज्योतिर्लिंग पूरे भारत को आपस में बांधने का काम करते हैं। उन्होंने कहा, ‘पश्चिम में सोमनाथ और नागेश्वर से लेकर पूरब में बैद्यनाथ तक, उत्तर में बाबा केदारनाथ से लेकर दक्षिण में भारत के अंतिम छोर पर विराजमान श्री रामेश्वर तक, ये 12 ज्योतिर्लिंग पूरे भारत को आपस में पिरोने का काम करते हैं।’

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