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दो राज्यों के मुख्यमंत्री आपस में भिड़े, जानें विवाद की पूरी कहानी

नई दिल्ली,नवसत्ता: मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांगा और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा दोनों एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते हुए आपस में भिड़ गए। यही नहीं हिंसक झड़प में असम पुलिस के पांच जवानों की मौत भी हो गई है। यह झड़प की स्थिति तब बनी जब दोनों राज्यों की पुलिस एक-दूसरे के सामने खड़ी हो गई। भारतीय इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब दो राज्यों के मुख्यमंत्री आपस मे भिड़ गए। वहीं पूर्वोत्तर भारत की राजनीति पर नजर रखने वालों की मानें तो इस बैठक में इन राज्यों के बीच सीमा विवाद भी एक मुद्दा था।

दरअसल बीते रविवार को सोशल मीडिया पर भारत के दो राज्यों के मुख्यमंत्री भिड़ गए। लेकिन सोशल मीडिया पर जो नहीं दिख रहा था, उसकी खबर कुछ ही घंटों के बाद सामने आ गई। जिसमें असम पुलिस के पांच जवानों की मौत हो गई है। असम के मुख्यमंत्री हों या फिर मिजोरम के मुख्यमंत्री, दोनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से गुहार लगाते सोशल मीडिया पर नजर आए, जबकि इस घटना से महज एक दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शिलांग में सातों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से मिले थे।

वहीं मिजोरम सरकार के मुख्यमंत्री ने अपने बयान में पूरे हादसे पर दुख जताया है। यह पूरा संघर्ष तब शुरू हुआ जब कछार जिले के वैरंगते ऑटो रिक्शा स्टैंड के पास बने सीआरपीएफ़ पोस्ट में असम के 200 से ज़्यादा पुलिसकर्मी पहुंचे और इन लोगों ने मिजोरम पुलिस और स्थानीय लोगों पर बल प्रयोग किया। पुलिस के बल प्रयोग को देखते हुए जब स्थानीय लोग वहां जमा हुए तो उन पर पुलिस ने लाठी चार्ज किया और टियर गैस का इस्तेमाल किया जिसमें कई लोग घायल हुए हैं।

मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांगा ने अपने बयान में कहा है कि मिजोरम पुलिस ने तब असम पुलिस का जवाब दिया जब कोलासिब के जिला पुलिस अधीक्षक असम के पुलिस अधिकारियों से बात कर रहे थे।
यही एक बात है जो असम के मुख्यमंत्री के जारी बयान में भी एक समान है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने अपने बयान में कहा है कि यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब यथास्थिति का उल्लंघन करते हुए मिजोरम सरकार ने लैलापुर जिले यानी असम के इलाके में सड़क बनाने का काम शुरू किया है। इसी सिलसिले में 26 जुलाई को असम पुलिस के आईजी, डीआईजी और पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी वहां गए ताकि उन लोगों को यथास्थिति बनाए रखने के लिए समझाया जा सके।

कोलासिब के पुलिस अधीक्षक ने असम के अधिकारियों से यह भी कहा कि उनका भीड़ पर नियंत्रण नहीं है और जब वे बातचीत कर ही रहे थे तभी मिजोरम के पुलिसकर्मियों ने गोली चलाई जिसमें असम पुलिस के पांच जवानों की मौत हो गई और कछार जिले के पुलिस अधीक्षक सहित पचास लोग घायल हुए हैं।
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद तो रहा है, लेकिन दोनों राज्यों की पुलिस एक-दूसरे के सामने खड़े होकर गोलियां चलाने लगेगी, यह तो पहले कभी नहीं हुआ। यह स्थिति क्यों उत्पन्न हुई होगी यह जांच का विषय है। सवाल यही है कि पुलिस बल को गोली क्यों चलानी पड़ी। यह पुलिस अधिकारियों की कामकाजी शैली पर भी सवाल है।

दरअसल मिजोरम असम के साथ ही था, लेकिन मिज़ो आबादी और लुशाई हिल्स का क्षेत्र निश्चित था। यह क्षेत्र 1875 में चिन्हित किया गया था। मिजोरम की राज्य सरकार इसी के मुताबिक अपनी सीमा का दावा करती है, लेकिन असम सरकार यह नहीं मानती है। असम सरकार 1933 में चिन्हित की गई सीमा के मुताबिक अपना दावा करती है। इन दोनों माप में काफी अंतर है तो विवाद की असली जड़ वही एक-दूसरे पर ओवरलैप करता हुआ हिस्सा है जिस पर दोनों सरकारें अपना-अपना दावा छोडऩे को तैयार नहीं हैं।

बता दें कि 1875 का नोटिफिकेशन बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन (बीइएफ़आर) एक्ट, 1873 के तहत आया था, जबकि 1933 में जो नोटिफिकेशन आया उस वक्त मिजो समुदाय के लोगों से सलाह मशविरा नहीं किया गया था, इसलिए समुदाय ने इस नोटिफिकेशन का विरोध किया था।

असम के साथ मिजोरम लगभग 165 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है जिसमें मिजोरम के तीन जिले आइजोल, कोलासिब और ममित आते हैं। वहीं, इस सीमा में असम के कछार, करीमगंज और हैलाकांदी जिले आते हैं।
पिछले साल अक्टूबर में असम के कछार जिले के लैलापुर गांव के लोगों और मिजोरम के कोलासिब जिले के वैरेंगते के पास स्थानीय लोगों के बीच सीमा विवाद को लेकर हिंसक संघर्ष हुआ था जिसमें कम से कम आठ लोग घायल हो गए थे।
दोनों राज्यों के बीच मूल रूप से यह झगड़ा जमीन का है। आप इसे बढ़ती आबादी का जमीन पर पडऩे वाला दबाव भी कह सकते हैं। लोगों को मकान चाहिए, स्कूल, अस्पताल चाहिए तो इसके लिए जमीन चाहिए। दोनों राज्य एक-दूसरे की जमीन पर अतिक्रमण का आरोप लगा रहे हैं। दोनों राज्यों के अपने-अपने दावे हैं और उन दावों में कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ बोल रहा है, इसका पता लगाना अब बेहद मुश्किल हो चुका है।

वैसे दिलचस्प यह है कि असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद को सुलझाने की कोशिशों पर कहा जाता है कि 1955 से ही कोशिश हो रही है, लेकिन इन कोशिशों पर सवाल उठाते हुए एडम हैली बताते हैं, किसी जमीन या सीमा पर जब कोई विवाद को निपटाने की कोशिश होती है तो सबसे पहले उसका दोनों पक्षों की निगरानी में सर्वे होता है। विवाद इतना पुराना भले हो, लेकिन आज तक इसे सुलझाने के लिए किसी स्तर पर ज्वाइंट सर्वे कराने की कोशिश नहीं हुई है, ना ही इस दिशा में ज़्यादा बात हो रही है।

बहरहाल, मिज़ोरम और असम के बीच मौजूदा विवाद को कुछ विश्लेषक आने वाले दिनों की राजनीति से भी जोड़कर देख रहे हैं। एक वरिष्ठ पत्रकार ने इस पूरे विवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा, अभी असम में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और जोरामथांगा की मिजो नेशनल फ्रंट भी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा है। मिजोरम में दो साल बाद चुनाव होने हैं, लेकिन तब तक जोरामथांगा एनडीए में बने रहेंगे, इसे लेकर संदेह है। केंद्र और असम की सरकार के सामने उन्हें अपना रास्ता अलग करना होगा।

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