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फोन टेपिंग की स्वतंत्र जांच की मांग की विपक्ष ने, सरकार बोली- लीक डेटा का जासूसी से लेना-देना नहीं

संसद में बोले मंत्री,यह लोकतंत्र को बदनाम करने की साजिश

नई दिल्ली,नवसत्ता: इजराइली कंपनी के पेगासस स्पायवेयर के जरिए फोन टेपिंग की रिपोर्ट पर आज संसद में जमकर बवाल हुआ। कांग्रेस ने पत्रकारों समेत दूसरी हस्तियों के फोन टेपिंग की स्वतंत्र जांच कराने की मांग करते हुए गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की। सरकार ने इसे खारिज करते हुए कहा कि रिपोर्ट में लीक हुए डेटा का जासूसी से कोई लेना-देना नहीं है। 16 मीडिया समूहों की साझा पड़ताल के बाद जारी इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए सरकार पत्रकारों समेत जानी-मानी हस्तियों की जासूसी करा रही है।

राज्यसभा में विपक्ष के नेता कांग्रेस मल्लिकार्जुन खड़गे ने कांग्रेस की तरफ से आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री खुद विरोधी पार्टियों के नेताओं,  पत्रकारों और खुद के कैबिनेट में बैठे मंत्रियों की जासूसी कराते हैं, जिसका सबूत मिला है। इतना ही नहीं, राहुल गांधी का भी जासूसी कराया गया है. खड़गे ने कहा कि इसकी जांच होने से पहले खुद अमित शाह को गृह मंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए और पीएम मोदी की भूमिका की जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर आप लोकतंत्र के जरिए चलना चाहते हैं, संविधान के तहत इस देश को चलाना चाहते हैं कि इस जगह पर रहने के काबिल नहीं है।

इधर, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त, कैबिनेट के मंत्री, राहुल गांधी समेत विपक्षी नेताओं और पत्रकारों व अन्य हस्तियों की जासूसी कराना अगर देशद्रोह नहीं तो फिर किया है? सुरजेवाला ने कहा कि भारत सरकार ने यह इजरायली पेगासस सॉफ्टवेयर कब खरीदी और किसने इजाजत दी थी और उसके लिए पैसा कहां से आया? उन्होंने ने कहा देश में आंतरिक सुरक्षा के जिम्मेदार खुद गृहमंत्री अमित शाह है. ऐसे में उन्हें बर्खास्त क्यों नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि ये सारा कुछ उनकी ही देखरेख में हो रहा है. कांग्रेस प्रवक्ता ने आगे कहा कि क्या प्रधानमंत्री मोदी की भूमिका की जांच नहीं होनी चाहिए?

जासूसी कांड पर बोले अमित शाह

गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के हमले का जवाब देते हुए कहा कि विघटनकारी और अवरोधक शक्तियां अपने षड्यंत्रों से भारत की विकास यात्रा को नहीं रोक पायेंगी। मानसून सत्र देश में विकास के नये मापदंड स्थापित करेगा।

आज संसद का मानसून सत्र शुरू हुआ औरआज के घटनाक्रम को पूरे देश ने देखा। देश के लोकतंत्र को बदनाम करने के लिए मानसून सत्र से ठीक पहले कल देर शाम एक रिपोर्ट आती है, जिसे कुछ वर्गों द्वारा केवल एक ही उद्देश्य के साथ फैलाया जाता है कि कैसे भारत की विकास यात्रा को पटरी से उतारा जाए और अपने पुराने नैरेटिव के तहत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत को अपमानित करने के लिए जो कुछ भी करना पड़े किया जाए।

अभी कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री जी द्वारा केंद्रीय मंत्रिपरिषद का विस्तार किया गया जिसमें देश के हर कोने से समाज के हर वर्ग विशेषकर महिलाओं, किसान, दलित और पिछड़े वर्ग से चुनकर आए सदस्यों को विशेष प्रतिनिधित्व दिया गया। लेकिन, कुछ ऐसी देशविरोधी ताकतें हैं जो मोदी जी द्वारा महिलाओं और समाज के पिछड़े व वंचित वर्ग को दिए गए सम्मान को पचा नहीं पा रही हैं। ये वही लोग हैं जो निरंतर देश की प्रगति को बाधित करने का प्रयास करते रहते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि ये लोग किसके इशारे पर भारत की छवि को धूमिल करने का काम कर रहे हैं? उन्हें बार-बार भारत को नीचा दिखाने में क्या ख़ुशी मिलती है? अपना जनाधार व राजनीतिक महत्व खो चुकी कांग्रेस को इसमें कूदते देखना न तो अप्रत्याशित लगता है और ना ही आश्चर्यजनक। कांग्रेस के पास लोकतंत्र को कुचलने का अच्छा अनुभव है। लोकतंत्र एवं विकास की अवरोधक कांग्रेस खुद आंतरिक कलह से जूझ रही है इसलिए वो संसद में आने वाले किसी भी प्रगतिशील कार्य को पटरी से उतारने की हर सम्भव कोशिश कर रही है। 

यह भारत के विकास में विघ्न डालने वालो की भारत के विकास के अवरोधकों के लिए एक रिपोर्ट है। कुछ विघटनकारी वैश्विक संगठन हैं जो भारत की प्रगति को पसंद नहीं करते हैं। ये अवरोधक भारत के वो राजनीतिक षड्यंत्रकारी हैं जो नहीं चाहते कि भारत प्रगति कर आत्मनिर्भर बने। भारत की जनता इस क्रोनोलोजी और रिश्ते को बहुत अच्छे से समझती है। 

उधर संसद में संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, ‘रविवार की रात को एक वेब पोर्टल ने बेहद सनसनीखेज स्टोरी पब्लिश की। इसमें कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। संसद के मानसून सत्र की शुरुआत के एक दिन पहले इस स्टोरी को लाया गया। यह सब संयोग नहीं हो सकता। पहले भी वॉट्सऐप पर पेगासस के इस्तेमाल को लेकर इसी तरह के दावे किए गए थे। उन रिपोर्ट्स में भी कोई फैक्ट नहीं थे और उन्हें सभी ने नकार दिया था। 18 जुलाई को छपी रिपोर्ट भारत के लोकतंत्र और उसके संस्थानों की छवि खराब करने की कोशिश दिखाई देती है।’

अश्विनी ने कहा कि उन लोगों को दोष नहीं दिया जा सकता, जिन्होंने वह मीडिया रिपोर्ट विस्तार से नहीं पढ़ी। सदन के सभी सदस्यों से अनुरोध है कि वे तथ्य और तर्क के आधार पर इस मुद्दे पर चर्चा करें। रिपोर्ट एक कंसोर्टियम (समूह) को आधार बनाकर पब्लिश की गई है। इस ग्रुप की पहुंच लीक हुए 50,000 फोन नंबरों के डेटाबेस तक है। रिपोर्ट में ये तो कहा गया है कि फोन नंबर के जरिए कई लोगों की जासूसी की जा रही थी, लेकिन ये नहीं बताया गया कि किस समय फोन की पेगासस के जरिए निगरानी की गई या कब हैकिंग की कोशिश हुई। इस मामले को तर्क के चश्मे से देखने पर पता चलता है कि इसका कोई आधार नहीं है।

 

इजराइल का पेगासस सॉफ्टवेयर ऐसे काम करता है
पेगासस के जरिए जिस व्यक्ति को टारगेट करना हो, उसके फोन पर एसएमएस, वॉट्सएप, आई मैसेज (आईफोन पर) या किसी अन्य माध्यम से एक लिंक भेजा जाता है। यह लिंक ऐसे संदेश के साथ भेजा जाता है कि टारगेट उस पर एक बार क्लिक करे। सिर्फ एक क्लिक से स्पायवेयर फोन में एक्टिव हो जाता है। एक बार एक्टिव होने के बाद यह फोन के एसएमएस, ईमेल, वॉट्सएप चैट, कॉन्टैक्ट बुक, जीपीएस डेटा, फोटो व वीडियो लाइब्रेरी, कैलेंडर हर चीज में सेंध लगा लेता है।

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