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संकल्पों को सिद्धि में बदल रहा है आज का नया भारत : योगी आदित्यनाथ

  • पराजय को कभी स्वीकार नहीं किया भारत ने
  • युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 53वीं तथा राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की 8वीं पुण्यतिथि पर साप्ताहिक समारोह
  • ‘आजादी का अमृत महोत्सव : संकल्पना से सिद्धि तक’ विषयक सम्मेलन में बोले मुख्यमंत्री

गोरखपुर,नवसत्ता: मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जिस ब्रिटेन ने भारत पर 200 वर्षों तक शासन किया, वह देश अपनी आजादी के 75 सालों में उसी ब्रिटेन को पछाड़कर आज विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है. यह इस बात का जीवंत उदाहरण है कि आज का नया भारत अपने संकल्पों को सिद्धि में बदल रहा है. यह भारत के वर्तमान यशस्वी नेतृत्व की सफलता का भी उदाहरण है.

सीएम योगी गुरुवार को युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 53वीं तथा राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की 8वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष में आयोजित साप्ताहिक समारोह के अंतर्गत ‘आजादी का अमृत महोत्सव : संकल्पना से सिद्धि तक’ विषयक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में पहली बार लगा कि स्वाधीनता दिवस का पर्व सिर्फ सरकारी आयोजन नहीं है बल्कि इसमें जन-जन की भागीदारी है. सभी भारतवासियों ने हर घर तिरंगा फहराया. इसमें सम्पूर्ण देश की सहभागिता रही.

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे देश को आजादी अचानक नहीं मिली. इसके लिए अहर्निश प्रयास करना पड़ा, अनगिनत बलिदान देने पड़े. भारत उन चंद देशों में से एक है जिसने कभी पराजय को स्वीकार नहीं किया बल्कि निरंतर लड़ता रहा. पृथ्वीराज चौहान, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी, गुरु गोविंद सिंह जैसे महापुरुष लगातार देश के सम्मान और स्वाभिमान के लिए लड़ते रहे. उस दौर में देश एकजुट होकर लड़ा होता तो मुगलों के छक्के उसी कालखंड में छुड़ा दिए गए होते और उसके बाद पराधीनता नही मिलती.

1857 के बाद बुझने नहीं पाई क्रांति की ज्वाला

सीएम योगी ने कहा कि 1857 के प्रथम स्वातंत्र्य समर में देश एकजुट होकर लड़ा था. बैरकपुर में मंगल पांडेय, गोरखपुर में बंधु सिंह, मेरठ में धनसिंह कोतवाल, झांसी में रानी लक्ष्मीबाई, बिठूर में तात्या टोपे ने आजादी की लड़ाई की मशाल जलाई. देश का कोई क्षेत्र ऐसा नहीं था जहां लोगों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हुंकार न भरी हो. पहली बार लगा था कि भारत दासता से मुक्त हो जाएगा. तभी से क्रांति की ज्वाला बुझने नहीं पाई. 1922 में ऐतिहासिक चौरीचौरा जनाक्रोश हुआ, लखनऊ में काकोरी की घटना में कई क्रांतिकारियों को फांसी दी गई. अनगिनत बलिदान से अंततः 15 अगस्त 1947 को देश स्वतंत्र हो गया.

गोरखपुर में युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 53वीं तथा राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की 8वीं पुण्यतिथि पर आयोजित साप्ताहिक समारोह ‘आजादी का अमृत महोत्सव : संकल्पना से सिद्धि तक’ विषयक सम्मेलन में भाग लेते माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
भारत को विकसित राष्ट्र बनने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वाधीनता दिवस पर बताए गए पंच प्रणों से जुड़ने का आह्वान करते हुए कहा कि यदि हम लक्षित संकल्पों से जुड़कर अपने अपने क्षेत्र के दायित्वों का ईमानदारी से निर्वहन करें तो दुनिया की कोई भी ताकत भारत को विकसित राष्ट्र बनने से नहीं रोक सकती. उन्होंने कहा कि चाहे वह छात्र हो, शिक्षक, किसान, उद्यमी, व्यापारी या समाज का कोई भी तबका, सबके मन मे ‘देश प्रथम’ का भाव होना चाहिए. हमें अपने क्षेत्र में कार्य करते हुए आत्मनिर्भर भारत के लिए कार्य करना होगा. पंचायतों और निकायों को हरेक कार्य के लिए सरकार पर निर्भर रहने की बजाय राजस्व के स्रोतों को बढ़ाना होगा. पीएम मोदी के पंच प्रण किसी व्यक्ति, मजहब, धर्म या क्षेत्र के लिए नहीं बल्कि देश की 135 करोड़ जनता के लिए मिलकर काम करने का मंत्र हैं.

एक भारत-श्रेष्ठ भारत की शुरुआत स्वयं से करनी होगी

सीएम योगी ने कहा कि देश की आजादी के बाद दुनिया को लगा था कि भारत लंबा नहीं चल पाएगा. पर, इन 75 वर्षों में अलग अलग बोली, भाषा, खानपान के बावजूद कश्मीर से कन्याकुमारी तक तथा द्वारिका से बंगाल तक पूरे देश में एक समान राष्ट्रीय भाव भंगिमा दिखती है. हमें और आगे बढ़ने के लिए ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ का भाव जगाना होगा और इसकी शुरूआत स्वयं से करनी होगी। यदि हमें भारत को विकसित बनाना है तो आत्मनिर्भरता के लक्ष्य पर आगे बढ़ना होगा. ऐसा करके ही हम आजादी के शताब्दी महोत्सव में यह कहने की स्थिति में होंगे कि हमारा देश विकसित और दुनिया की आर्थिक महाशक्ति बन चुका है.

इतिहास को विस्मृत कर उज्ज्वल भविष्य की कल्पना नहीं

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम इतिहास को विस्मृत कर उज्जवल भविष्य की कल्पना नहीं कर सकते. विकास केवल बोल देने से नहीं होगा बल्कि इसमें सबकी भूमिका होनी चाहिए. इतिहास, ज्ञान, विज्ञान के समन्वय से ही विकास का मार्ग प्रशस्त होगा. उन्होंने कहा कि जिन महापुरुषों ने आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया और गुमनाम रह गए, उन्हें ढूंढना और उनके जरिए वर्तमान एवं भावी पीढ़ी को प्रेरणा देने का दायित्व शिक्षण संस्थाओं को उठाना होगा.

इसी क्रम में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के संकल्पों से जुड़कर शिक्षण संस्थान खुद को आदर्श केंद्र बना सकते हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थाएं पाठ्यक्रमों के साथ सरकार की योजनाओं की गहरी जानकारी रखें ताकि अध्ययन के बाद छात्र को कहीं भटकना न पड़े. योजनाओं की जानकारी से छात्र अध्ययन के साथ ही अपने आगामी लक्ष्य को तय कर सकेगा और लक्षित संकल्प से ही सिद्धि प्राप्त होगी.

आजीवन राष्ट्र निर्माण की संकल्पना से जुड़े रहे महंत दिग्विजयनाथ व महंत अवेद्यनाथ

इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने दादागुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ एवं गुरुदेव ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ को भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि महंतद्वय आजीवन राष्ट्र निर्माण की संकल्पना से जुड़े रहे. महंतद्वय के नेतृत्व में गोरक्षपीठ के एक-एक कार्य समाज एवं राष्ट्र के प्रति समर्पित रहे. श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन, छुआछूत उन्मूलन, गोरक्षा से लेकर शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में गोरक्षपीठ ने हमेशा अग्रणी भूमिका निभाई है. आचार्यद्वय ने सदैव राष्ट्रीय कर्तव्यों का निर्वहन किया.

विश्व में बढ़ी है भारत की स्वीकार्यता : प्रो रविशंकर सिंह

सम्मेलन के मुख्य वक्ता दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो रविशंकर सिंह ने कहा कि 1947 में देश के आजाद होने पर ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री चर्चिल ने कहा था कि भारत बिखर जाएगा. लेकिन, आजादी के 75 सालों में भारत बिखरा नहीं बल्कि निखर गया है. आजादी के अमृत महोत्सव को राष्ट्र जागरण का उत्सव बताते हुए डॉ सिंह ने कहा कि आज पूरे विश्व में भारत की स्वीकार्यता बढ़ी है. किसी भी वैश्विक नीति के निर्धारण में भारत की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि वस्तुतः भारत एक आध्यात्मिक राष्ट्र है इसी परिकल्पना के अनुरूप गोरक्षपीठाधीश्वरों की परंपरा रही कि वह धर्म-संस्कृति व राष्ट्रीयता पर होने वाले आक्षेप का प्रतिघात करते हुए नेतृत्व करते रहे हैं.

सम्मेलन में विषय की प्रस्ताविकी महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो उदय प्रताप सिंह ने प्रस्तुत की. इस अवसर पर जगद्गुरु स्वामी श्रीधराचार्य, अयोध्या से आए प्रशांत शुक्ल ने भी अपने विचार व्यक्त किए. सम्मेलन में महंत शेरनाथ, महंत शिवनाथ, ब्रह्मचारी रास लाल, महंत गंगा दास, राममिलन दास, महंत राम नाथ, महंत राजू दास, महंत मिथलेश नाथ, महंत रविंद्रदास, भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र सिंह, विधायक प्रदीप शुक्ला, महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ प्रदीप कुमार राव समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे.

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