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ऑक्सीजन ऑडिट मामला : डॉ. गुलेरिया बोले- नहीं कह सकते, चार गुना बढ़ाकर बताई डिमांड

नई दिल्ली,नवसत्ता : ऑक्सीजन ऑडिट मामले में कमेटी के अध्यक्ष और एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि, मुझे नहीं लगता कि ऐसा कह सकते हैं कि दिल्ली ने अपनी ऑक्सीजन डिमांड चार गुना बढ़ाकर बताई। हालांकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में 30 जून को सुनवाई होनी है।

दरअसल, भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा ने ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी की अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान ऑक्सीजन की डिमांड चार गुना बढ़ाकर बताई।
बता दें कि शुक्रवार को खबर आई कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त ऑक्सीजन ऑडिट पैनल ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में दावा किया है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सरकार ने कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की मांग को चार गुना बढ़ाकर बताया था। इसी मामले में एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने अपनी सफाई में कहा है कि मुझे नहीं लगता कि ऐसा कह सकते हैं कि दिल्ली ने अपनी ऑक्सीजन डिमांड चार गुना बढ़ाकर बताई।
अप्रैल और मई के महीने में जब कोरोना की दूसरी लहर अपनी चरम पर थी तब राजधानी समेत पूरे देश में ऑक्सीजन की मांग अचानक से बढ़ गई थी। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी की रिपोर्ट शुक्रवार को सुर्खियों में आई जिसमें ये कहा गया कि दिल्ली सरकार ने अपनी जरूरत के हिसाब से चार गुना ज्यादा ऑक्सीजन की डिमांड की जिसके चलते 12 अन्य राज्यों को ऑक्सीजन की किल्लत झेलनी पड़ी।
इसके साथ ही अब ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी की अंतरिम रिपोर्ट पर विवाद गहरा गया है। पांच सदस्यीय कमेटी में दिल्ली सरकार द्वारा नामित सदस्यों डॉ. संदीप बुद्धिराजा और भुपिंदर एस भल्ला की असहमति अंतरिम रिपोर्ट में शामिल न किए जाने से रिपोर्ट की निष्पक्षता पर ही सवाल उठ गया है।

दरअसल, भारतीय जनता पार्टी के नेता डॉ. संबित पात्रा ने शुक्रवार को ऑक्सीजन ऑडिट कमेटी की अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान ऑक्सीजन की डिमांड चार गुना बढ़ाकर बताई। अपने इस आरोप के लिए उन्होंने कमेटी की उस रिपोर्ट को आधार बनाया जिसमें कहा गया है कि दिल्ली की ऑक्सीजन की कुल डिमांड 289 मिट्रिक टन ही थी। लेकिन दिल्ली सरकार ने अपने लिए इसी दौरान 1140 मिट्रिक टन ऑक्सीजन की मांग की। लेकिन अगर इसी ऑक्सीजन की मांग को दिल्ली सरकार के फॉर्मूले के आधार पर आंका जाए तो यही मांग 289 मिट्रिक टन से बढ़कर 391 मिट्रिक टन पहुंच जाती है। दिल्ली सरकार का फॉर्मूला यह था कि आईसीयू मरीजों के साथ-साथ सभी नॉन-आईसीयू मरीजों (100प्रतिशत) को भी ऑक्सीजन की आवश्यकता है।
ऐसे में बड़ा सवाल यह भी पैदा हो रहा है कि अगर इस अंतरिम रिपोर्ट को सर्वोच्च न्यायालय के सामने रखा जाता है तो इस पर अदालत का रुख क्या हो सकता है? इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 30 जून को सुनवाई होनी है।

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