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भारत की वैक्सीन पर ब्राजील के राष्ट्रपति को देनी पड़ी सफाई

नई दिल्ली, नवसत्ता : ब्राजील में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को लेकर घमासान मचा हुआ है। ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो इस पूरे मामले में घिर गए हैं। बता दें कि ब्राजील में भारत बायोटेक से वैक्सीन के सौदे की जांच चल रही है।

आरोप है कि ब्राजील की जायर बोलसोनारो सरकार ऊंची कीमत पर भी भारत की वैक्सीन खरीदने के सौदे पर आगे बढ़ रही थी। ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा है कि उन पर दबाव था कि ऊंची कीमत पर भी भारत की वैक्सीन का सौदा किया जाए। इस पूरे विवाद में ब्राजील के राष्ट्रपति पर सवाल उठ रहे हैं। समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार ब्राजील के राष्ट्रपति ने कहा है कि ब्राजील में न तो भारत बायोटेक की वैक्सीन आई है और न ही कोई भुगतान किया गया है। ब्राज़ील में भारत बायोटेक से वैक्सीन के सौदे की जांच चल रही है। ब्राजील के संघीय अभियोजकों ने भारत बायोटेक की कोवैक्सीन की दो करोड़ डोज़ के लिए 32 करोड़ डॉलर के सौदे की जाँच शुरू कर दी है।
शुक्रवार को ब्राज़ील के राष्ट्रपति ने कहा, हमने कोवैक्सीन पर न तो एक पैसा खर्च किया है और न ही हमें कोवैक्सीन की एक भी डोज मिली है। इसमें भ्रष्टाचार कहाँ से आ गया?

बोलसोनारो ने कहा कि उनकी सरकार में कोई भी भ्रष्टाचार की बात सामने आएगी तो वे कार्रवाई करेंगे। ब्राजील के राष्ट्रपति ने कहा कि भारत बायोटेक वैक्सीन की क़ीमत दूसरे देशों की तरह ही ब्राजील में है। राष्ट्रपति ने कहा, सरकार वैक्सीन का सौदा तभी करती है जब फेडरल हेल्थ अथॉरिटी से उस वैक्सीन के इस्तेमाल की मंज़ूरी मिलती है। कोवैक्सीन के इस्तेमाल की मंज़ूरी अभी नहीं मिली है हालांकि तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के लिए ब्राजील की पार्टनर कंपनी जरिए मंजूरी मिली है।
रॉयटर्स के अनुसार, भारत बायोटेक ने कहा है कि इसी कीमत में ब्राजील के साथ समझौता हुआ है। ब्राजील ने भारत बायोटेक के साथ फरवरी में ही सौदे पर हस्ताक्षर किया था लेकिन भारत बायोटेक के अनुसार खरीदारी ऑर्डर को मंजूरी नहीं मिलने के कारण कोई खेप अभी नहीं गई है। भारत बायोटेक का कहना है कि विदेशी सरकारों के लिए कोवैक्सीन की प्रति डोज की कीमत 15-20 डॉलर है और इसमें कोई बदलाव नहीं आया है।

समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार ब्राज़ील के स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो को आगाह किया था कि भारत में बनी कोवैक्सीन खऱीदने का दबाव था।
ब्राज़ील में रियो डी जेनेरो समेत कई अन्य बड़े शहरों में विरोध-प्रदर्शन हुए थे। कोरोना महामारी से निपटने में सरकार का जो रुख़ रहा, उससे बोलसोनारो की लोकप्रियता कम हुई है. ब्राज़ील में कोरोना से अब तक चार लाख 70 हज़ार लोगों की जान गई है। ब्राज़ील दुनिया का तीसरा देश है, जहाँ कोरोना के सबसे ज़्यादा एक करोड़ 60 लाख मामले दर्ज किए गए हैं। डॉक्टर डाइमस ने कहा कि इस प्रस्ताव पर राष्ट्रपति बोलसोनारो ने कह दिया था कि उनकी सरकार चीन की वैक्सीन कभी नहीं खऱीदेगी। डॉ डाइमस ने कमिटी के सामने कहा, ब्राजील टीकाकरण की शुरुआत करने वाला पहला देश बन सकता था। लेकिन सरकार की नीतियों के कारण ऐसा नहीं हो पाया।

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