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डॉक्टर्स डे विशेष:जानिए अपने डॉक्टर के अनसुने किस्से, मिलिए देवरिया के फिजिशियन डॉ विजय कुमार गुप्ता से

आधा दर्जन बार प्रयास के बाद मेडिकल प्रवेश परीक्षा में सफल तो हो गया परंतु मुश्किलें कम नहीं हुईं।
अपने गुरु के कड़ाई व छात्रों के रैगिंग से परेशान होकर एक बार तो एमबीबीएस की पढ़ाई ही छोड़ना चाहता था लेकिन जब समाज में डॉक्टरों के सम्मान का ध्यान आया तो पुनः एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर आज एक चिकित्सक के रूप में लोगों की सेवा कर रहा हूं।

विपिन कुमार शर्मा

देवरिया,नवसत्ता: जिला अस्पताल देवरिया के सुप्रसिद्ध फिजीशियन (एमडी, मेडिसिन) डॉ विजय कुमार गुप्ता एक मिलनसार व अपने कर्तव्य के प्रति निष्ठा पूर्वक कार्य करने के लिए जाने जाते हैं।
जिला अस्पताल में जब उन्होंने कार्यभार ग्रहण किया, तो कोरोना काल शुरू था। फिर भी वे दिन-रात मेहनत और अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदारी दिखाते हुए मरीजों का इलाज करते रहे।
डॉक्टर्स डे की विशेष सीरीज के लिए मुलाकात के दौरान डॉ विजय कुमार गुप्ता से उनके ही कई अनसुने किस्से उन्हीं की जुबानी सुनने को मिले। समाज सेवा से ओतप्रोत विजय कुमार गुप्ता अपने डॉक्टर बनने के लिए प्रेरणा स्रोत अपने माता- पिता को मानते हैं। पांच भाइयों- बहनों में सबसे बड़े डॉ विजय कुमार गुप्ता के पिता जनरल स्टोर के व्यवसायी है। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि जब मेरा जन्म बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर में हुआ तो डॉक्टरों को देखकर मेरी मां ने कहा कि मेरा भी लड़का यहीं से डॉक्टर बनेगा और हुआ भी यही। डॉ विजय कुमार गुप्ता ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर से ही एमबीबीएस कि पढ़ाई 2011 में पूरी की। सन 2017 में एमडी, मेडिसिन की पढ़ाई महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज, झांसी से पूरी की।
डॉ विजय कुमार गुप्ता पढ़ाई में शुरू से ही होनहार रहे। उन्होंने हाई स्कूल और इंटर दोनों में अपने स्कूल में टॉप किया। प्रतिभाशाली होने के बावजूद सीट कम होने की वजह से 6 प्रयासों के बाद उन्हें गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में प्रवेश मिला। वहां भी मुश्किलें अलग तरह की थीं।
संत कबीर नगर के मूल निवासी डॉ विजय कुमार गुप्ता ने बताया कि पढ़ाई के दौरान अपने गुरु डॉ रामजी के कड़ाई और कॉलेज के रैगिंग से परेशान होकर एक बार तो उन्होंने पढ़ाई ही छोड़ने का मन बना लिया था,परंतु समाज मे चिकित्सकों के प्रति सम्मान और पेशेगत सुविधाओं को देखते हुए पूरे जोश खरोश से पुनः एमबीबीएस की पढ़ाई करके समाजसेवा करने की ठान ली। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ कर नही देखा।
मेडिकल सेवा के दौरान जब वे सपरिवार कोरोना संक्रमित हो गए तो, उनके माता – पिता, भाई – बहन और सबसे ज्यादा पत्नी के देखभाल और आत्मविश्वास ने कोरोना से जंग जीतने में मदद की।
अंत में उन्होंने कहा कि सभी को हेल्दी फूड और व्यायाम करना चाहिए।

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