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कोरोना के नये मामले बढ़ने की वजह कारोबारी रामदेव तो नहीं !

उत्तराखंड आईएमए ने रामदेव को भेजा 1000 करोड़ रुपये का मानहानि नोटिस
विवादित योगगुरू अब आएंगे कानूनी शिकंजे में

नीरज श्रीवास्तव
लखनऊ,नवसत्ताः बीते एक माह से जारी लाकडाउन के बावजूद आज जिस तरह से कारोना के नये मामले में बढ़ोतरी हुई है उससे एक बार फिर ये बहस तेज हो गई है कि इसके पीछे की बड़ी वजह कारोबारी रामदेव तो नहीं हैं। आईएमए ने कहा है कि बीते दिनों जिस तरह से वैक्सीन और ऐलोपैथिक चिकित्सा को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है उसके गंभीर परिणाम होंगे। आईएमए इस पूरे मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी कर रहा है। उत्तराखंड की आईएमए इकाई ने रामदेव को 1000 करोड़ रुपये का मानहानि नोटिस भेजा है। उधर इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई न करने के कारण केन्द्र सरकार की कोरोना से निपटने की मंशा पर भी सवालिया निशान लगने लगे हैं।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा आज जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में कोरोना संक्रमण के घटते-बढ़ते क्रम में पिछले 24 घंटों में नये मामले फिर दो लाख से अधिक हो गये वहीं चार हजार से अधिक मरीज अपनी जान गंवा बैठे। यहां सवाल यह उठता है कि लाकडाउन होने व टीकाकरण के बावजूद नये मामले फिर क्यूं बढ़ने लगे। विशेषज्ञ इसके पीछे बड़ी वजह बीते एक सप्ताह से कारोबारी रामदेव के बयानों को जिम्मेदार बता रहे हैं।
कोरोना के उपचार को लेकर जिस तरह कारोबारी रामदेव अपनी विवादित दवा कोरोनिल का प्रचार कर रहे हैं और कोरोना से हो रही मौतों के लिए एलोपैथी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं उससे देश भर कें चिकित्सकों में आक्रोश व्याप्त है और वे सरकार से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। यहां ध्यान देने की बात यह है कि अभी तक सरकार ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है उल्टे वह कहीं न कहीं कारोबारी रामदेव के पक्ष में खड़़ी नजर आ रही है। हरियाणा सरकार ने तो कोराना मरीजों के लिए विवादों के बीच ही एक लाख कोरोनिल खरीदी है जिसे सरकार मरीजों के बीच मुफ्त बांटने जा रही है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि जब आईसीएमआर ने इस दवा को मान्यता ही नहीं दी तो किस बिना पर हरियाणा की भाजपा सरकार इस दवा को कोरोना मरीजों के बीच बांटने जा रही है।

क्या है कोरोनिल

पिछले साल जून माह में कारोबारी रामदेव ने पतंजलि की कोरोनिल दवा लान्च की। 500 रूपये से अधिक कीमत की विवादित दवा के बारे में दावा किया गया कि ये कोरोना के इलाज में कारगर है। ये दवा बिना आयुष मंत्रालय की अनुमति के ही लॉन्च कर दी गई थी। आयुष मंत्रालय ने पतंजलि से ट्रायल्स का हिसाब मांगा और अनुमति न लेने पर फटकार भी लगाई। लेकिन, बाद में सरकार ने कोरोनिल को ‘कोविड मैनेजमेंट ड्रग’ के रूप में मान्यता दे दी।

सिलसिला यहीं नहीं रुका बीते फरवरी माह में बाबा रामदेव ने केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन सिंह की उपस्थिति में कोरोनिल की रीलॉन्चिंग की। ये दावा कर दिया कि कोरोनिल को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सर्टिफाइड कर दिया है। पहले बाबा रामदेव और पतंजलि के ट्विटर हैंडल से ये झूठ फैलाया गया,लेकिन जब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पंतजलि के इस दावे का खण्डन किया तो बाद में पतंजलि के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने ही सफाई दे दी कि सर्टिफिकेट विश्व स्वास्थ्य संगठन ने नहीं भारत सरकार ने दिया है।

लेकिन सच जब तक जूते पहनता झूठ दुनिया का चक्कर काट चुका था। हजारों लोग कोरोनिल पर भरोसा कर ये मान चुके थे कि अब उन्हें कोरोना के किसी अन्य इलाज की जरूरत नहीं है। आज जब देश में 24 घंटे में कोरोना के 2 लाख से ज्यादा केस रिकॉर्ड किए जा रहे हैं। लोगों को ऑक्सीजन नहीं मिल रही है, वैक्सीन के स्टॉक खाली होने की खबरें आ रही हैं। ऐसे में कोरोबारी रामदेव द्वारा लगातार कोरोनिल का प्रचार और वैक्सीन तथा ऐलोपैथी के बारे में दुष्प्रचार देश की कोरोना की लड़ाई को कमजोर कर रही है।

कानूनी शिकंजे में आयेंगे कोरोबारी रामदेव

बीते दिनों के बयानों से साबित हो गया है कि अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए कारोबारी रामदेव किसी भी हद तक जा सकते हैं। एलोपैथी और चिकित्सकों को लेकर उनका कोई यह पहला विवाद नहीं है। कई विवादित बयानों को लेकर उन पर मुकदमें भी दायर हो चुके हैं परन्तु सरकारों की सरपरस्ती में वे अपना कारोबार बढ़ाते जा रहे हैं। कभी हरिद्वार में साइकिल पर च्वयनप्रास बेचने वाले रामदेव यादव ने सरकारी मदद से हजारों करोड़ का साम्राज्य खड़ा कर लिया। कोरोना काल में उनके कारोबारी दिमाग ने कोराना के भय से पीड़ित जनता को भ्रमित करने के लिए आनन फानन में कोरोनिल लांच कर दी जिसकी मान्यता दवा के रूप में है ही नहीं। यही नहीं लोगों को भरमाने व अपने उत्पाद को बेचने के लिए उनके कारोबारी दिमाग ने अब ऐलोपैथी चिकित्सा पर ही सवाल खड़े करना शुरू कर दिया है। उन्होंने एक बयान में यहां तक कह दिया कि दो-दो डोज वैक्सीन की लगवाने के बावजूद एक हजार चिकित्सक कोरोना की चपेट में आकर मर चुके हैं,जबकि यह आंकड़ा एकदम गलत है। उन पर कार्रवाई के बजाय सरकार उनके कारोबार को ही बढ़ाती नजर आ रही है।

गत 24 तारीख को हरियाणा सरकार के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने ट्विट कर जानकारी दी है कि हरियाणा की भाजपा सरकार ने कोरोना मरीजों के लिए एक लाख कोरोनिल खरीदी है जिसे मरीजों को मुफ्त दी जाएगी। सरकार के इस कदम की आईएमए ने कड़ी निंदा की है। आईएमए के महासचिव डा जयेश एम लेल ने नवसत्ता को बताया कि हमने कोरोनिल के दावे के बारे में आरटीआई से जानकारी एकत्रित की है। हमने ऐलोपैथी को बदनाम करने और चिकित्सकों के बारे में की टिप्पणियों को लेकर रामदेव को लीगल नोटिस दी है और अब हम सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की तैयारी कर रहे हैं।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के उत्तराखंड डिवीजन ने भी योग गुरु रामदेव को एलोपैथी डॉक्टरों और दवाओं पर उनके हालिया बयानों के लिए 1000 करोड़ रुपये का मानहानि नोटिस भेजा है। नोटिस में कहा गया है कि अगर योग गुरु अगले 15 दिनों में लिखिति माफी नहीं मांगते और अपने हालिया बयानों का विरोध करने वाला वीडियो पोस्ट नहीं करते, तो उनसे 1000 करोड़ रुपये की मांग की जाएगी।
आईएमए उत्तराखंड यूनिट के अध्यक्ष डॉ अजय खन्ना ने कहा कि रामदेव के पास ठोस ज्ञान नहीं है और वह बयानबाजी में लिप्त हैं। उन्होंने कहा, ’’मैं बाबा रामदेव से आमना-सामना करने के लिए तैयार हूं। आईएमए के इस सख्त रूख से जहां आने वाले दिनों में कारोबारी रामदेव की मुश्किलें बढ़ सकतीं हैं वहीं कोरोना से जंग में सरकार की मंशा पर भी सवालिया निशान लगने लगे हैं।

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