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हमने कोरोना को ऐसे दी मात

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नवसत्ता, लखनऊ: आत्मविश्वास और आत्मबल उंचा रखिये, नकारात्मकता’ होगी लेकिन उस पर सकारात्मकता को ही हावी करिए और समय पर इलाज, ये सार है हमारे आज के कोरोना योद्धाओ के कथन का:

जिद्द थी कि अस्पताल नहीं जाऊंगा और अपना आत्मविश्वास नहीं डिगने दूंगा: पंडित प्रेम कुमार दीक्षित

अध्यात्मिक प्रवृत्ति के जिला उन्नाव निवासी 71 वर्षीय पंडित प्रेम कुमार दीक्षित ने नवसत्ता को बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में जिस समय लखनऊ में पत्थरो का काम हर तरफ चल रहा था तब मैं लखनऊ में ही कार्यरत था और उन्ही पत्थरो की धूल से मुझे एलर्जी हो गई थी जिसकी वजह से एक बार में 100-125 छींके आती थी जोकि इलाज करने पर ठीक होती थी और अनुकूल वातावरण मिलने पर फिर से समस्या शुरू हो जाती थी| पिछले महीने की 20 अप्रैल की रात को मुझे फिर से छीकने की शिकायत हुई जोकि दवाइयां लेने पर भी बन्द नहीं हो रही थी| 22 अप्रैल की रात 10:30 के आसपास मुझे बहुत तेज़ ठण्ड लगकर 1030 तक का तेज़ बुखार हुआ और किसी तरह से रात बीती| 23 अप्रैल को डॉक्टर की सलाह पर टाईफोइड की जाँच कराइ और उसकी दवा शुरू हुई लेकिन मुझे फायदा नहीं हो रहा था| फिर लखनऊ के पारिवारिक चिक्तिसक की सलाह पर मैंने 27 अप्रैल को सीटी स्कैन एवं कोविड टेस्ट कराया| मेरा सीटी  स्कोर 9/25 था और एंटीजेन कोविड टेस्ट पॉजिटिव आया जिसके बाद मुझे घर पर ही आइसोलेट कर दिया गया और सरकार की तरफ से कोविड किट भेजी गई|  28 अप्रैल को लंग्स इन्फेक्शन की वजह से मुझे स्टेरॉयड लेने की सलाह दी गई और पहली गोली लेने के बाद ही रात में मेरा बुखार 1030-1040 से उतर कर 990 के आसपास हो गया लेकिन मुझे पसीना बहुत आ रहा था यहाँ तक कि मेरा बिस्तर गीला हो गया था| मैंने सरकारी दवाइयों के साथ साथ अपने एक होमियोपैथ डॉक्टर मित्र की कुछ दवाएं भी लेना शुरू किया जिससे कि मेरा ऑक्सीजन लेवल बरकरार रहे और किसी तरह की घबराहट न हो| 29 अप्रैल से मुझे  बुखार तो नहीं हुआ पर अचानक से शरीर में बहुत ज्यादा कमजोरी आ गई यहाँ तक कि नित्यक्रिया के लिए जाना भी मुश्किल लगने लगा| पर मैंने अपने ऊपर कोविड के तथाकथित भय को कभी भी हावी नहीं होने दिया बल्कि दृढ निश्चय किया की मैं न तो अस्पताल में भर्ती होने जाऊंगा और ना ही कोविड से हार मानूंगा चाहे मुझे घिस घिस के ही चल के अपने को ठीक करना पड़े| सकारात्मकता बनाये रखने के लिए मैं अपनी रूचि का हर काम करता था, पुस्तके पढता था और अध्यातमिक कार्यो में अपना ध्यान लगाये रखता था| मैंने अपनी लाइब्रेरी से पुस्तके निकाली और जबरदस्ती कुर्सी पर बैठने की कोशिश करता था और अपना ज्यादातर वक़्त अपनी रूचि की पुस्तकों में लगाता था| इस बीच में मैंने न तो दवा छोड़ी और न ही कोविड प्रोटोकॉल का कोई उल्लंघन किया| चूँकि मुझे पाईल्स की समस्या है तो मैं हमेशा की तरह सिर्फ उबला खाना ही खाता था| 30 अप्रैल को मेरी आरटीपीसीआर की रिपोर्ट आई जिसमे मैं कोविड नेगेटिव था| जिसके बाद जिला प्रशासन 2 मई को मेरे परिवार का घर पर ही पुनः टेस्ट किया जिसमे मैं फिर से असंक्रमित घोषित हुआ| तब से आज तक समय पर दवाइयों के सेवन और अपने आत्मबल, आत्मविश्वास के कारण अपनी शारीरिक कमजोरी से भी निजात पाने की कोशिश कर रहा हूँ| कुछ दिन पहले मेरे पूरे शरीर की चिकत्सीय जांच हुई थी जिसमे सभी रिपोर्ट भी ठीक है| समस्या चाहे जैसे हो आप अपना आत्मबल और आत्मविश्वास कभी कम मत करिए, दवाइयां समय से लीजिये और हिम्मत मत हारिये|

घबराया तो बहुत पर परिवार और मित्रो ने मनोबल बढ़ाये रखा: नवीन सिंह

राना नगर, रायबरेली निवासी नवीन सिंह जोकि पेशे से शिक्षक है ने बताया कि लॉकडाउन लगने के बाद शैक्षिक संस्थान बंद हो गए थे| 17 अप्रैल को मुझे बहुत तेज़ बुखार आया जोकि दिनभर बना रहा तो मैं आम बुखार की दवा ली लेकिन मुझे कोई भी लाभ नहीं मिले| जब 19 अप्रैल तक मेरा बुखार नहीं उतरा तो मैंने जिला अस्पताल जा कर कोविड टेस्ट कराया जिसमे मेरी पॉजिटिव रिपोर्ट आई| उसके बाद मन बहुत घबराने लगा और मैं घर आ गया था| चूँकि कोरोना का कहर शुरू हो चुका था तो सभी तरह के नकारात्मक विचार मन में आ रहे थे| घर आकर मैंने अपने को अलग कमरे में आइसोलेट कर लिया| “अचंभित करने वाली बात थी कि मेरे पॉजिटिव होने के बाद मुझे डीएम कण्ट्रोल रूम या किसी अन्य सरकारी विभाग ने संपर्क ही नहीं किया कि मेरी हालत कैसी है और मुझे किन सावधानियो के साथ कैसे रहना है या क्या दवाइयां खानी है|” मैंने अपने एक मित्र जोकि कोविड पॉजिटिव हुए थे, से संपर्क करके कोविड किट की दवाइयों के बारे में जानकारी ली और मेरे साथ साथ मेरे परिवार में मेरी पत्नी और मेरे साले जोकि साथ में ही थे, ने भी पूरा कोर्स किया| 23-24 अप्रैल के आसपास मुझे डीएम कण्ट्रोल रूम से कॉल आया और मेरा ऑक्सीजन लेवल, तापमान और पल्स रेट पूछ कर मुझे एक नंबर दिया और उस पर कॉल करके अपना हाल नियमित रूप से बताते रहने को कहा जोकि मैं करता रहता था| सभी तरफ से आ रही नकारात्मक खबरों की वजह मैं हमेशा नकारात्मकता में रहता था लेकिन मेरी पत्नी और साले ने मेरा बहुत साथ दिया और हमेशा मेरा मनोबल बढाये रखने का प्रयास करते थे और मेरा पूरा ख्याल रखते थे| लगभग 20-21 तारिख से मेरा सूघने की शक्ति, स्वाद आदि सब चला गया था, शरीर में बेहद दर्द बना हुआ था, गले में समस्या बनी हुई थी लेकिन मेरा ऑक्सीजन हमेशा 98 के आस पास ही रहा| रोज़ शाम को मेरे मित्र अलोक श्रीवास्तव, अमित शुक्ला, वेद प्रकाश, सूरज शुक्ला आदि मुझे विडियो कॉल करके घंटो हंसी मजाक करते रहते थे और मेरा ध्यान सकारात्मक रखने की कोशिश करते थे| 30 अप्रैल के आसपास मैंने अपना फिर से टेस्ट कराया जिसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई| बस उसके बाद मेरे शरीर में बहुत ज्यादा दर्द होता रहता है और कमजोरी है लेकिन परिवार और मित्रो के सहयोग और दवाइयों के बल पर मैं उससे भी निजात पाने की कोशिश कर रहा हूँ| आप सभी को मेरा यही सन्देश है कि  अपना मनोबल बनाये रखे, समझदारी से काम ले और समय पर दवाइयां जरूर ले|

 

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