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देवरिया जिला महिला अस्पताल में आपरेटर के बिना शो पीस बने 14 वेंटिलेटर

वेंटिलेटर नहीं चलने के कारण गोरखपुर, बस्ती रेफर किए जा रहे हैं मरीज

विपिन कुमार शर्मा

देवरिया, नवसत्ता : सरकार हमेशा से कहती आ रही है कि वेंटिलेटर, ऑक्सीजन और बेड की कोई कमी नहीं है। जबकि हकीकत ठीक इसके विपरीत है। आज तक देवरिया जिले में जितने भी व्यक्ति की मृत्यु हुई है। उनका एकमात्र कारण है ऑक्सीजन की कमी। जिले में जितने भी वकील मरे हैं। वह ऑक्सीजन की कमी के कारण मरे हैं। लेकिन सरकार अपनी छवि धूमिल नहीं करना चाहती है। इसलिए वह हमेशा से कहती आ रही है कि इन चीजों की कोई कमी नहीं है। जिला महिला चिकित्सालय के एमसीएच विंग में संसाधन उपलब्ध होने के बाद भी कोरोना मरीजों की जान नहीं बचाई जा रही है। वजह 14 वेंटीलेटरों में एक भी नहीं चल रहा है। इसके चलते मरीज की हालत गंभीर होने पर डॉक्टर मेडिकल कॉलेज बस्ती व गोरखपुर रेफर कर दे रहे हैं।
करीब एक महीना पहले कोरोना मरीजों का इलाज करने को जिला महिला अस्पताल परिसर के एमसीएच विंग को कोविड अस्पताल में बदला गया। अस्पताल में कोरोना मरीजों का इलाज करने को 250 बेड लगाया गया है। इसमें गंभीर मरीजों के लिए 100 बेड है।मरीजों को बेड पर ही ऑक्सीजन देने की भी सुविधा है। मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होने व हालत अधिक गंभीर होने पर उन्हें वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत होती है। लेकिन अस्पताल में 14 वेंटीलेटर उपलब्ध होने के बाद भी एक भी चल नहीं रहा है। जबकि पिछले साल कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने पर इसे खरीदा गया था। एक भी वेंटिलेटर नहीं चलने से डॉक्टर चाह कर भी गंभीर मरीजों की जान नहीं बचा पा रहे हैं। ऐसे मरीजों को मेडिकल कॉलेज गोरखपुर, बस्ती रेफर करने के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं है। कुछ मरीजों को तो बस्ती गोरखपुर ले जाने के दौरान ही मौत को जाती है क्योंकि मरीज को ले जाने में समय लगता है। जबकि मरीज के लिए एक एक मिनट कीमती होता है।
अगर कोरोना के वजह से मरने वालों की वजह देखा जाए तो, हर जगह सिर्फ एक ही वजह है वह है ऑक्सीजन, बेड और वेंटीलेटर की कमी। शासन प्रशासन को इन मुद्दों पर धरातल स्तर पर और युद्ध स्तर पर कार्य करने की जरूरत है।

“जिला अस्पताल में 14 वेंटीलेटर उपलब्ध है, लेकिन अभी कोई चल नहीं रहा है इसे चलाने को ऑपरेटर की व्यवस्था की जा रही है 2 दिन पहले एक ऑपरेटर वेंटीलेटररो को देखकर गया है शीघ्र ही कुछ वेंटीलेटर को चालू कर दिया जाएगा।”

डॉ संजय चंद, नोडल अधिकारी, कोविड अस्पताल

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