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क्षेत्रीय

शहर के सभासदों ने भी नकारा 90% सेनेटाईज़ेशन का दावा, बयाँ किया दर्द

 

राय अभिषेक

सभासदों ने सिरे से नकारा, 90 फीसद जनपद के प्रशासन का सेनेटाईजेशन का दावा

इओ एवं अध्यक्ष नहीं करते सहयोग

जहाँ शहर बसता है, वहाँ कुछ नहीं हुआ

नहीं मिलते कोई भी दिशा निर्देश

रायबरेली नवसत्ता: कोरोना महामारी से निपटने के लिए जिले का प्रशासन के दावों और हकीकत में जमीन आसमान का फर्क है। लोग मर रहे है और जिम्मेदार कागजी घोड़े दौड़ा रहे हैं। कुछ दिन पूर्व प्रशासन ने शहर के 90 फीसदी इलाकों में सेनेटाईजेशन का दावा करते हुए लंबा-चौड़ा प्रेस नोट जारी किया था,परंतु हमारे सर्वे में हकीकत ठीक उलट है।

कल हमने शहर के नागरिकों से इस संबंध में बात की थी और आज मोहल्लों की जिम्मेदारी संभालने वाले सभासदों से हकीकत जानी तो स्थिति चौंकाने वाली मिली। क्या तेलियाकोट क्या छोटी बाज़ार, क्या चतुर्भुजपुर क्या रतापुर, चाहे आनंद नगर हो या प्रभु टाउन, कही भी नवसत्ता ने नगर पालिका के सभासद से उनके वार्ड के बारे में जानकारी लेने के लिए बात की तो एक दो को छोड़ कर सभी ने प्रशासन द्वारा किये गए 90% जनपद के सेनेटाईजेशन के दावे को सिरे से नकार दिया और साफ़ साफ़ कहा कि “आज मानवता के अस्तित्व पर ख़तरा है लेकिन शासन प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से कोसों दूर सिर्फ कागज़ी कार्यवाही ही कर रहा है|”

“यदि हम नगर पालिका के ईओ या अध्यक्ष से किसी भी प्रकरण में मदद की गुहार करते है तो हमें सिर्फ निराशा ही हाथ लगती है, आश्वासन तो मिलता है पर जरूरी काम बिलकुल भी नहीं हो रहे है| जो भी हम अपनी तरफ से अपने वार्ड में कर सकते है वही कर रहे है क्यूंकि यहाँ की जनता ने हमें चुना है और वो नगर पालिका को नहीं जानती| वार्ड जितने बड़े है उतने सफाई कर्मचारी हमारे

पास नहीं है, सीमित संसाधन में जो भी हो सकता है वो हम कर रहे है| नालियों सड़कों की सफाई जितनी हो रही है उतनी कराई जा रही है और ब्लीच जितना मिलता है उसे हिसाब से सभी जगह छिड़कने का प्रयास कर रहे है| ”

कितना हुआ सेनीटाईज़ेशन

ज्यादातर सभासदों से एक ही स्वर सुनने को मिला कि “ज्यादातर काम सिर्फ दिखावे और फोटो खिचवाने के लिए हुआ है, या फिर पसंदीदा इलाको में वाहवाही लूटने के लिए किया गया है| सत्यता ये है कि सिर्फ दिखाने के लिए सड़को पर गाड़िया दौड़ी है और छिड़काव किया गया है लेकिन जिन गली मोहल्लो में शहर बसता है वहाँ कुछ भी नहीं हुआ, झूठे आंकड़े देने से पहले कुछ काम तो कर लिया होता|”

शहर में सिर्फ 2 बड़ी गाड़ियां और कुछ छोटी गाडियों को छिड़काव के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। जिसमे जब भी बड़ी गाड़ी आती है तो 4-5मिनट बाद ही उसके कर्मचारी ये बहाना बना देते है कि “साहब का फ़ोन आया है और हमें तत्काल कही और जाना पड़ेगा वहां आपात स्थिति है|” ज्यादातर वार्ड में अथक प्रयास और मिन्नतो के बाद हाथ से छिड़काव करने वाली मशीन से ही काम हो रहा है और जैसे जहाँ जरूरत पड़ रही छिड़काव कराने का प्रयास सभासद कर रहे है|

कोविड से बचाव के प्रशाशनिक दिशा निर्देश

प्रशाशन की तरफ से कोविड से बचाव के लिए या वैक्सीनेशन के प्रोत्साहन के लिए सभासद को कोई भी दिशा निर्देश नहीं है कि कही कैंप कराया जाये या कोई मुहिम चलाई जाये| कांटेक्ट ट्रेसिंग की जानकारी या गतिविधि के बारे में पूछने पर सभी ने अनभिज्ञता जाहिर की और ऐसी किसी भी प्रक्रिया के शुरू होने की जानकारी होने की बात को सिरे से मना कर दिया| सभासदों का कहना है कि “हम अपनी तरफ से जितना हो सकता है लोगो को जांच और वैक्सीनेशन करवाने के लिए प्रेरित कर रहे है लेकिन हम उनपर दबाव नहीं बना सकते| अस्पताल में भीड़ इकठ्ठा करने के बजाय यदि घर घर जांच करवाई जाये तो हमें सही मायने में मरीज मिलेंगे जिनके इलाज़ से बाकी लोग बच सकते है| डीएम कार्यालय से सिर्फ मरीजो की जानकारी लेने के लिए कॉल आती है कभी कोई दिशा निर्देश हमें प्राप्त नहीं हुआ|”

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