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क्या है कोरोनावायरस से जुड़े दावों की सच्चाई, कब खत्म होगा इसका कहर

नई दिल्ली: कोरोनावायरस को लेकर एक भय ये जताया जा रहा है कि ये लंबे समय तक दुनिया भर के लोगों को सताने वाला है. ऐसे में इससे जुड़ी ऐसी कई बातें भी फैली हुई हैं जो सही नहीं हैं. ऐसी ही कई बातों के कल्पनिक और सच होने के अंतर को साफ़ करने का काम यूनिवर्सिटी ऑफ़ मैरिलैंड के क्वालिटी और इंफेशियशी डीज़ीज़ के चीफ फहीम यूनुस ने किया है. क्या दुकान, एटीम, पेट्रोल पंप से दूर रहना है लोगों में एक भय ये बैठाया गया है कि उन्हें बाहर से आने वाला सामान, गैस-पेट्रोल पंप, सामान ख़रीदने की जगहों और एटीएम से दूर रहना चाहिए नहीं तो वो मर जाएंगे. इसके जवाब में यूनुस कहते हैं कि ये बात ग़लत है. वायरस के किसी चीज़/सतह के ऊपर मौजूद होना एक बात है और उससे इंफेक्शन होना दूसरी बात है. वो सलाह देते हैं कि ऐसी किसी सेवा का इस्तेमाल करने के बाद हाथ धो लें तो कोई दिक्कत नहीं होगी. बाहर से खाना ऑर्डर करना कितना सही एक भ्रांति ये है कि अगर आप बाहर का खाना या चाइनीज़ फूड का ऑर्डर करेंगे तो आपको कोविड- 19 हो सकता है. इसके जवाब में उन्होंने लिखा है कि ये बीमारी ड्राप्लेट से होती है ना कि खाने से. अभी तक इसके सबूत नहीं है कि ये बीमारी बाहर से खाना ऑर्डर करने या चाइनीज़ खाने से होती है. क्या होता है ड्रॉपलेट इंफेक्शन नोट: ड्राप्लेट इंफेक्शन का मतलब है कि अगर कोई कोरोना पीड़ित खांस या छींक देता है तो इससे निकलने वाले कण में शामिल कोरोनावायरस बाहर आकर गिरते हैं. अगर आप ऐसे किसी व्यक्ति के करीब हैं तो आपको कोविड- 19 हो सकता है. अगर कोई करीब नहीं है तो भी ये छींकने-खांसने के दौरान निकला वायरस बाहर जिस सतह पर गिरता है वहां 6 से 24 घंटे या इससे ज़्यादा समय से पहले नष्ट नहीं होता. इसलिए बार-बार 2 बातों पर ज़ोर दिया जा रहा है कि लोग एक-दूसरे से दूरी बनाए रखें और हाथ धोते रहें. क्या सॉना बाथ लेने से कोरोना ख़त्म हो जाता है एक और बात ये फैलाई गई है कि 20 मिनट तक सॉना बाथ लेने से कोरोना समेत 90 प्रतिशत वायरस मर जाते हैं. सॉना बाथ लेने वाले को गर्म तापमान वाले भाप के कमरे में बैठना होता है. इस दावे का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. यूनुस का कहना है कि उल्टे सॉना से निमोनिया जैसी बीमारी हो सकती है. कोविड- 19 ने पहले से निमोनिया ग्रस्त लोगों की काफी संख्या में जान ली है. ऐसे में इससे दूर रहें. क्या स्वाद की क्षमता ख़त्म हो जाना कोरोना का लक्ष्ण है ये भी फैलाया जा रहा है कि अगर आप स्वाद लेने या सूंघने की क्षमता खो चुके हैं तो आपको कोविड-19 है. यूनुस का कहना है कि किसी भी वायरल बीमारी के साथ ऐसा होता है कि व्यक्ति की ये क्षमताएं समाप्त हो जाती हैं. उन्होंने लिखा है कि ये कोरोना का कोई अहम लक्ष्ण नहीं है. क्या हाइड्रोक्लोरोक्वीन, अजीथ्रोमाइसीन हैं कोरोना की दवाएं अमेरिकी में कोरोना के मामले में हाइड्रोक्लोरोक्वीन और अजीथ्रोमाइसीन जैसी दवाओं की काफी चर्चा है. वहां माना जा रहा है कि इन दवाओं को पहले से ले लेने से कोविड-19 से बचा जा सकता है. इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी बल दिया है. यूनुस का कहना है कि इन दवाओं से जुड़ा प्रयोग चल रहा है. ये कुछ लोगों के मामले में ये असरदार भी साबित हुआ है. हालांकि, बिना डॉक्टर के कहे इन्हें लेने पर उल्टा असर हो सकता है. क्या लॉकडाउन इसलिए लगाया गया है क्योंकि बहुत से लोग मरने वाले हैं क्या लहसुन/नींबू को गर्म पानी/प्याज़ के साथ कमरे में इस्तेमाल करने से कोविड-19 से बचा जा सकता है? उन्होंने इस दावे को सिरे से ख़ारिज किया है. अमेरिका में ये भी फ़ैला है कि वहां आपातकाल की घोषणा इसलिए हुई हैं क्योंकि बहुत से लोग मरने वाले हैं. संभव है कि भारत में भी ऐसी ही बातें तैर रही हों. यूनुस का कहना है कि आपातकाल इसलिए लगाया गया है ताकि सरकार और संसाधनों को जुटा सके और बेहतर तरीके से काम कर सके. क्या घर लौटकर नहाना और कपड़े बदलना ज़रूरी है क्या घर लौटने पर हर बार नहाकर कपड़े बदल लेने चाहिए नहीं तो आप अपने परिवार को कोरोना से संक्रमित कर सकते हैं? इसके जवाब में यूनुस का कहना है कि ऐसे पागलपन की कोई ज़रूरत नहीं है. बस इतने से काम चल सकता है कि लोग हाथ धोते रहें, एक दूसरे से छह फ़ीट की दूरी बनाए रखें और भीड़-भाड़ में न जाएं. ये भी फ़ैला हुआ है कि ऐसे मैसेज चीन और इटली के डॉक्टर भेज रहे हैं. इसका जवाब है कि असली डॉक्टर अपना रिसर्च सोशल मीडिया पर नहीं पोस्ट करते. कोरोना पर तेज़ी से काफी रिसर्च हो रही है, ग़लत जानकारी से दूर रहें. आईब्रूफेन या पेरासिटामोल है कोरोना की दवाई क्या आईब्रूफेन या पेरासिटामोल जैसी दवा ली जा सकती है? जवाब वही है कि डॉक्टर की सलाह के बिना कोई दवा लेना सही नहीं है. इसी बीमारी म

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