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खोड़ा नगर पालिका की टीम जेसीबी लेकर पहुंची दुकान तोड़ने, होना पड़ा बैरंग वापिस

गाजियाबाद। खोड़ा नगर पालिका क्षेत्र के अंतर्गत नेहरू गार्डन पुलिस चौकी के पास बनी दुकान का है। अधिशासी अभियंता अधिकारी के के भड़ाना ने बताया कि यह संपत्ति सरकारी है और इस पर शौचालय का निर्माण होना है इसलिए इस संपत्ति को कई बार वाॅरनिंग देकर नगर पालिका के द्वारा कहा गया है कि इस संपत्ति को खाली कर दिया जाए, उधर इस संपत्ति को सुगरा बेगम पत्नी स्वर्गीय श्री बुंदू खान ने कहा कि वह 15 वर्षों से कोर्ट में केस लड़ रही हैं और यह संपत्ति मेरे पति स्वर्गीय श्री बुंदू खान को वसीयत के द्वारा भूरे सिंह पुत्र निहाल सिंह द्वारा दी गयी थी। सुगरा बेगम ने बताया कि उक्त संपत्ति को नोएडा प्राधिकरण द्वारा अपनी संपत्ति बताया जाने लगा जिस कारण प्रार्थिनी के पति द्वारा एक वाद संख्या- 235/2004, हाजी बुंदू खान बनाम नोएडा विकास प्राधिकरण योजित किया गया था जोकि जोकि दिनांक 9-3- 2016 को निरस्त हो गया था जिसके विरुद्ध प्रार्थिनी द्वारा अपील संख्या-88/2016 हाजी बुंदू खान बनाम नोएडा विकास प्राधिकरण योजित की है जोकि वर्तमान में न्यायालय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोर्ट संख्या- 05, गाजियाबाद के यहां विचाराधीन है और उक्त अपील में प्रार्थिनी द्वारा एक प्रार्थना पत्र 24 ग इस आशय का प्रस्तुत किया है कि उक्त संपत्ति किस खसरा नंबर में है इसका सर्वे कराया जाए जिसे न्यायालय ने अपने आदेश दिनांक 01- 04- 2019 द्वारा स्वीकार कर लिया है और न्यायालय के सर्वे अमीन द्वारा किया जा रहा है। उक्त संपत्ति प्रार्थिनी के पति को वसीयत के माध्यम से मिली है और उक्त संपत्ति की वसीयत के दस्तावेज भी मौजूद हैं,अब सबसे अहम बात यह है कि प्रार्थिनी का कहना है कि उसके पास अपनी जीविका का एकमात्र साधन यही है। उक्त वाद माननीय न्यायालय में विचाराधीन है और इसमें दिनांक 06-05-2019 नियत है और इस ओर देखा जाए तो जब तक माननीय न्यायालय से वाद का निस्तारण नहीं होता है तब तक किसी भी प्रकार से अगर कोई भी कार्यवाही होती है तो वह माननीय न्यायालय की अवमानना की श्रेणी में आता है, मामला गाजियाबाद के खोड़ा कालोनी स्थित नेहरू गार्डन का है जहां पर प्रार्थिनी सुगरा बेगम ने मोबाइल की दुकान खोली हुई है। कल सुबह लगभग 10 बजे से दुकान तोड़ने पहुंची जेसीबी लेकर नगर पालिका टीम को आखिर वापिस लौटना पड़ा,हालांकि यह बात ठीक है कि अगर यह संपत्ति सरकारी है और इस संपत्ति पर अगर अवैध कब्जा किया गया है तो बात समझ में आती है लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि जिस समय इस संपत्ति को वसीयत किया गया था उस समय खोड़ा कालोनी में खास बसावत नहीं थी और न ही प्रार्थिनी को उस समय इन सब बातों का कोई ज्ञान था। खैर जब मामला माननीय न्यायालय में विचाराधीन है और ऐसे में अगर कोर्ट की अवमानना होती है तो वह अपराध की श्रेणी में आता है। सुगरा बेगम ने बताया कि वह सरकार से अपील करते हुए कहा रही हैं कि उनकी जीविका चलाने के लिए और कोई दूसरा सहारा नहीं है इस लिए उनकी दुकान को न तोड़ा जाए, और अगर तोड़ दिया गया तो फिर उनकी रोज़ी रोटी छीनने का काम किया जाएगा और उस वृद्ध महिला का उत्पीड़न होने की श्रेणी में आता है चूंकि वही एक साधन एक मात्र है उसकी जीविका को चलाने के लिए।

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