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दो साल से फायर की एनओसी नहीं तो कैसे बन गई सैकड़ों इमारतें

लाक्षागृह बने शहर के नामी रेस्टोरेंट और होटल

पार्किंग की जगह पर बेसमेंट में बन गई दुकानें

आदित्य वाजपेई

रायबरेली,नवसत्ता: अगर आप अपने परिवार के साथ शहर के किसी नामी होटल या रेस्टोरेंट में खाना खाने जाने का प्लान बना रहे हों तो आग बुझाने का इंतजाम भी साथ लेकर जाइएगा, क्योंकि प्रशासन की लापरवाही से शहर के अधिकांश होटल और रेस्टोरेंट लक्षागृह बन चुके है. जिस विभाग पर यह देखने की जिम्मेदारी है वो यह कहकर पल्ला झाड़ रहा है कि बीते दो साल से शहर में बनी सैकड़ों इमारतों में से किसी ने फायर की एनओसी नहीं ली है. अब सवाल ये उठता है कि बिना एनओसी की बनीं इन इमारतों पर अभी तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?

जिले के आला अधिकारियों और अग्नि शमन विभाग के अधिकारियों की खौफनाक लापरवाही और मिलीभगत के चलते शहर की अधिकांश इमारते आग के मुहाने पर हैं. पैसा कमाने की हवस में लोगों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. हालत यह है कि शहर के बाजार के नीचे एक पाताल नगरी बसती जा रही है जहां आप सामान खरीदने या परिवार के साथ कुछ खाने जाएं तो वापस आ पाएंगे इसकी कोई गारंटी नहीं है.

लखनऊ के लेवाना होटल में हुए अग्निकांड के बाद सूबे के मुखिया मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी जिले के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जिले में जितने भी होटल मैरिज लान या कॉन्प्लेक्स बने हैं, उनकी एनओसी और मानक पूर्ण होनी चाहिए. लेकिन जिले के अधिकारी तो मुख्यमंत्री के आदेशों को ठेंगा दिखा रहे हैं. लखनऊ में हुई घटना के बाद आज प्रशासन ने कुछ होटलों व कॉम्प्लेक्स जाकर जांच के नाम पर रस्म अदायगी की.

और तो और यहां तो विकास प्राधिकरण के भी खेल निराले हैं. जिले में लगभग डेढ़ सौ से ज्यादा इमारतें मानक विहीन बनी हुई है. अधिकारी जानकर भी अनजान बनते हैं, सूत्र बताते हैं कि लेन-देन के खेल के चलते बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी हो जाती हैं. वहीं जिले के किसी भी बिल्डिंगों में एनओसी तो है ही नहीं, बल्कि सारी बिल्डिंगे मानक विहीन बनी हुई है.

वही जिले के लगभग बिल्डिंगों में ना तो दो एग्जिट प्वाइंट हैं और न ही फायर अलार्म लगे हुए है, अगर कोई घटना घटती है तो बचाव के उपाय शून्य हैं. बिल्डिंगो में बेसमेंट बने हुए हैं लेकिन बेसमेंट को पार्किंग दिखाकर लेन-देन का खेल कर दुकाने बन जाती हैं. सबसे बड़ी बात तो यह है कि जिले के लगभग इमारतों में न अग्निशमन यंत्र लगे है और बाल्टी में भरी बालू भी नहीं रखी हुई है. आग लगने पर यह दो सामान बहुत जरूरी होते हैं आग बुझाने के लिए.

वही अग्निशमन अधिकारी ने बीते 2 सालों में किसी भी इमारतों की एनओसी जारी नहीं की है.

मुख्य अग्निशमन अधिकारी सुरेंद्र चौबे

अब सवाल यह खड़ा होता है कि बिना एनओसी जारी किए हुए आखिरकार दर्जनों से भी ज्यादा इमारतें कैसे खड़ी हो गई. अगर लखनऊ राजधानी जैसी आग की घटना जिले में हो जाती है, तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? अग्निशमन अधिकारी सुरेंद्र चौबे ने बताया कि बीते 2 सालों में किसी भी इमारतों के लिए एनओसी नहीं जारी की गई है.

जिलाधिकारी के निर्देशन पर तीन टीमें गठित कर दी गई हैं, टीमें जिले में भ्रमण कर रही हैं. जिले के सारे होटल लाइन और कांप्लेक्स की जांच करने के लिए निर्देशित कर दिया गया है. सभी तरीके की सुरक्षा व्यवस्था तैयार कर ले और एनओसी के लिए ऑनलाइन करा दें, अगर जांच के बाद भी ऑनलाइन नहीं कराते हैं तो इमारतों के मालिकों के ऊपर कार्रवाई की जाएगी.

वही आज कई होटलों की जांच की गई, जिसमें कई कमियां पाई गई. जिसको लेकर सभी को नोटिस देकर सही करवाने का समय दिया गया है अगर सही नहीं होता है तो उन पर कार्रवाई की जाएगी.

वही अपर जिला अधिकारी अमित कुमार ने बताया कि शासन के आदेश के बाद जिले में बने होटल, लॉन और कांप्लेक्सो की पुन: जांच कराई जा रही है और जिन प्रतिष्ठानों में पार्किंग की व्यवस्था होकर भी दुकान बनवा ली गई है, तो उन पर कार्रवाई की जाएगी.

विकास प्राधिकरण सचिव पल्लवी मिश्रा

आरडीए की सचिव पल्लवी मिश्रा से बात करने की कोशिश की गई तो हमेशा की तरह उनका फोन नही उठा. जिससे आरडीए सचिव पल्लवी मिश्रा से बात नहीं हो पाई.

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